अँधेरे भी रास आने लगते हैं
Title 3
कौन कहता है कि ख़ुशी पर वश है सबका
निगाहों में जहालत देख कर ख़ुशी काफूर हो जाती है
आसमानों में उड़ने की तमन्ना मंजिलों को ...
आसमानों में उड़ने की तमन्ना मंजिलों को ...
'''' पाने की ख्वाहिश क्यों किसी के हाथों चूर हो जाती है
वो कहे हंस तो हँसना वो कहे रो तो रोना है
वो कहे हंस तो हँसना वो कहे रो तो रोना है
आखिर क्या है जो जिन्दगी इस तरह मजबूर हो जाती है
रात की स्याही का खौफ क्यूँ कर हो ...
अँधेरे भी रास आने लगते हैं जब चांदनी दूर हो जाती है
डॉ. राजेन्द्र वर्मा ' राजन ' https://rajendraverma.in/