सामान्यतः अफीम को हम एक मादक पदार्थ के रूप में जानते हैं , लेकिन अफीम कई औषधीय गुणों से युक्त वनस्पति है और आयुर्वेद में इससे कई प्रकार की औषधियों का निर्माण होता है . अफीम युक्त आयुर्वेदिक दवा का योग्य आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोग किया जाता है .
अफीम का सामान्य परिचय
अफीम का पौधा 3-5 फुट ऊंचा होता है जिस पर सफ़ेद , बैंगनी या लाल रंग के फूल आते हैं . अफीम का फल अनार के समान होता है . अफीम के बीज सफ़ेद या काले रंग के होते हैं . अफीम को संस्कृत में अहिफेन और अंग्रेजी में Opium कहते हैं . अफीम का वैज्ञानिक नाम Papaver somnitium है .
अफीम उष्णवीर्य अर्थात् गर्म तासीर वाला होता है और इसका शरीर पर मादक प्रभाव होता है . औषधि के रूप में इसके फल निर्यास का प्रयोग किया जाता है . यह मादक , निद्रा जनक , वाजीकर , शोथ हर और स्तंभक होता है .
अफीम के औषधीय उपयोग
आयुर्वेद अनुसार अफीम या अहिफेन के विभिन्न रोगों में औषधीय उपयोग हैं जिनका योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशन में ही प्रयोग करना चाहिए . आयुर्वेद में निम्नलिखित रोगों में अफीम के प्रयोग बताये गये हैं –
- अतिसार
- संग्रहणी
- दन्त शूल
- शिरः शूल
- अजीर्ण
- गठिया ( यह भी पढ़ें – गठिया को जड़ से खत्म करने के उपाय )
- प्रमेह
- अनिद्रा ( यह भी पढ़ें – अनिद्रा के लिए आयुर्वेदिक दवा )
- धातु क्षय
- कर्ण शूल
- स्वर भेद
- शीघ्र पतन
अफीम युक्त आयुर्वेदिक दवा
आयुर्वेद में ऐसी कई औषधियां हैं जिनके घटक द्रव्यों में अफीम भी पाया जाता है . नीचे कुछ मुख्य अफीम युक्त आयुर्वेदिक दवा और प्रयोग बताये जा रहे हैं जो आयुर्वेद चिकित्सक की देख रेख में ही इस्तेमाल करनी चाहिए अन्यथा गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं .
कर्पूर रस
कर्पूर रस का प्रयोग मुख्यतः अतिसार , प्रवाहिका में किया जाता है . ( यह भी पढ़ें – बार बार दस्त लगने का क्या कारण है )
कामिनी विद्रावण रस
इस औषधि का प्रयोग यौन क्षमता बढाने एवं शीघ्र पतन में किया जाता है .
जातीफलादि वटी
जातीफलादि वटी का प्रयोग डायबिटीज ( मधुमेह ) रोग में किया जाता है .
निद्रोदय रस
अफीम युक्त निद्रोदय रस का उपयोग अनिद्रा रोग में किया जाता है .
महा वात राज रस
इस आयुर्वेद औषधि का प्रयोग कास , श्वास , हिक्का ( हिचकी ) , न्युमोनिया , आमवात , संधिवात आदि रोगों के उपचार हेतु किया जाता है . ( यह भी पढ़ें – दमा की आयुर्वेदिक दवा )
अगस्ति सूतराज रस
अतिसार , ग्रहणी , संग्रहणी आदि रोगों में अहिफेन युक्त अगस्ति सूतराज रस का प्रयोग किया जाता है .
वीर्य स्तम्भन वटी
अफीम युक्त दवा वीर्य स्तम्भन वटी का प्रयोग शीघ्र पतन , शुक्रमेह , स्वप्न दोष आदि रोगों के इलाज के लिए किया जाता है .
ग्रहणी कपाट रस
ग्रहणी कपाट रस का प्रयोग ग्रहणी ( IBS ) , संग्रहणी , आमातिसार आदि रोगों में किया जाता है .
वेदानान्तक रस
शारीरिक वेदना ( पीड़ा ) के शमन के लिए वेदानान्तक रस का प्रयोग किया जाता है .
अहिफेनासव
अहिफेनासव का उपयोग मुख्यतः अतिसार एवं विसूचिका ( हैजा ) में किया जाता है .
समीर गज केसरी रस
समीर गज केसरी रस का प्रयोग वातव्याधि गठिया , जोड़ों के दर्द आदि में किया जाता है . ( यह भी पढ़ें – जोड़ों के दर्द की आयुर्वेदिक दवा )
अफीम खाने से क्या होता है शरीर में ? ( अफीम के दुष्प्रभाव )
अफीम के अधिक सेवन से कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक विकार होने की संभावना होती है . अफीम का अतिमात्रा में सेवन करने से अथवा अफीम युक्त आयुर्वेदिक दवा बिना वैद्यकीय परामर्श के सेवन करने से निम्नलिखित दुष्परिणाम हो सकते हैं .
- बेहोशी
- आलस्य
- बेचैनी
- सांस में तकलीफ
- डिप्रेसन
- पागलपन
- मलावरोध ( कब्ज )
- सिर दर्द
- मृत्यु
अतः उपर्युक्त अफीम युक्त आयुर्वेदिक दवा बिना चिकित्सकीय परामर्श स्वेच्छा से लेना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है और इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं .
दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आपके लिए स्वास्थ्य और आयुर्वेद से सम्बंधित नयी नयी जानकारियाँ प्रस्तुत की जाती हैं . आज के आर्टिकल में हमने अफीम युक्त आयुर्वेदिक दवा के बारे में जानकारी शेयर की . अगले लेख में हम आपके लिए अन्य कोई उपयोगी और रोचक जानकारी लेकर आयेंगे . यदि आपको हमारी कोई पोस्ट अच्छी लगती है तो उसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिये .
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