अपने खूबसूरत पीले पीले फूलों से अत्यंत मनमोहक और सुन्दर दिखने वाला अमलतास कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है तथा आयुर्वेद शास्त्रों में इसके विभिन्न औषधीय उपयोग बताये गये हैं . आज के लेख में हम आपको इसी गुणकारी अमलतास के फायदे बताने जा रहे हैं .
अमलतास का परिचय
अमलतास का वानस्पतिक नाम Casia Fistula है तथा संस्कृत में एवं आयुर्वेदीय ग्रंथों में इसे आरग्वध कहा गया है . स्वर्ण ( सोने के समान ) वर्ण वाले फूलों के कारण इसे सोनारु , सुनारी , सोनहाली आदि नामों से भी जाना जाता है . आरग्वध के अलावा संस्कृत में इसे स्वर्ण भूषण , राजवृक्ष , कृतमाल . दीर्घफल आदि नामों से भी बताया गया है .
आयुर्वेद में अमलतास को कफ नाशक , विष नाशक , ज्वर , वमन , प्रमेह , कुष्ठ आदि रोगों का निवारण करने वाला बताया गया है . यह एक वृक्ष होता है जो अपने सोने के समान सुन्दर फूलों और फली के आकार के फलों के कारण पहचाना जाता है .
अमलतास के प्रयोज्यांग ( उपयोग में लिए जाने वाले भाग )
अमलतास के लगभग सभी हिस्सों का औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है . चिकित्सा के लिए अमलतास के निम्नलिखित अंगों का उपयोग किया जाता है .
- पत्तियाँ
- फूल
- फल का गूदा
- जड़
- बीज
- छाल
आयुर्वेद अनुसार विभिन्न रोगों में अमलतास के फायदे
आयुर्वेद में विभिन्न रोगों में अमलतास के चिकित्सकीय उपयोग बताये गये हैं . रोगानुसार आरग्वध या अमलतास के फायदे निम्नानुसार हैं .
अर्श या बवासीर में अमलतास का प्रयोग
अमलतास का काढा बनाकर , छानकर उसमे घी और सैंधा नमक मिला कर सेवन करने से अर्श या बवासीर रोग में लाभ होता है . ( पढ़ें – बवासीर का इलाज )
गले की सूजन में अमलतास का उपयोग
अमलतास की छाल को कूट कर पानी में उबाल कर काढा बना कर थोड़ा थोड़ा सेवन करने से गले ( कंठ ) की सूजन में लाभ होता है .
पीरियड्स या मासिक स्राव में अमलतास की फली के उपयोग
कष्टार्तव ( दर्द के साथ पीरियड्स आना ) या मासिक स्राव में अवरोध होने पर अमलतास की फली का छिलका , मंजिष्ठा और कपास के डोडे पानी में उबाल कर काढा बना कर तथा इस काढ़े में गुड़ मिला कर सेवन करने से अवरोध दूर होता है तथा पीरियड्स खुल कर आते हैं . ( यह भी पढ़ें – पीरियड्स में दर्द कम कैसे करें )
कंठमाला रोग में अमलतास के लाभ
कंठमाला होने पर अमलतास की जड़ को चावल के पानी के साथ घिस कर लेप करने से लाभ होता है .
आमवात में अमलतास का प्रयोग
अमलतास के ताजे पत्तों को सरसों के तेल में अच्छी तरह से पका कर छान कर प्रभावित स्थान पर लेप लगाने से सूजन और दर्द में लाभ होता है .
चर्म रोगों में अमलतास के फायदे
त्वचा विकारों में त्वचा पर तेल की मालिश कर अमलतास के ताजे पत्तों को छाछ ( मट्ठा ) के साथ पीसकर लेप करने से लाभ होता है .
बुखार में अमलतास का उपयोग
बुखार होने पर अमलतास के गूदे के साथ नागरमोथा , चिरायता , हरीतकी . पीपल मिला कर क्वाथ बना कर छान कर इस काढ़े का सेवन करने से बुखार नष्ट होता है .
अमलतास का नकसीर में प्रयोग
अमलतास का गूदा और गुलकंद बराबर मात्रा में लेकर पानी में उबाल कर काढा बना कर , छान कर , ठंडा कर पीने से नकसीर ( नाक में खून आना ) में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – नकसीर का आयुर्वेदिक इलाज )
श्वास रोग में अमलतास से लाभ
अमलतास की फलियों का गूदा रात में पानी में डाल कर खुली छत पर ओस में रखें . सुबह इस गूदे को मसल कर इसमें ईसबगोल , बादाम गिरी , आक के फूल मिला कर खरल कर गोलियां बना लें . एक एक गोली सुबह शाम दूध के साथ सेवन करने से श्वास में लाभ होता है .
कब्ज में अमलतास के फायदे
कब्ज होने पर अमलतास के फल का गूदा मुनक्का के साथ सेवन करने से लाभ होता है . अमलतास का चूर्ण गुनगुने पानी से सेवन करने से कब्ज नष्ट होती है . अमलतास के फूलों का गुलकंद बना कर सेवन करने से भी कब्ज से राहत मिलती है . ( यह भी पढ़ें – कब्ज के घरेलू उपचार )
अमलतास की मात्रा
अमलतास के क्वाथ ( काढ़ा ) की मात्रा सामान्यतः 20 – 30 ml तथा फल के गूदे की मात्रा 10 – 20 ग्राम मानी गयी है . आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए .
अमलतास के नुकसान
विभिन्न रोगों में चिकित्सा के रूप में प्रयोग किया जाने वाला अमलतास अनुचित मात्रा में सेवन करने से हानिकर हो सकता है इसलिए आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार उचित मात्रा में सेवन करना चाहिए . यह विरेचक होता है इसलिए अतिसार के रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए . छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को बिना चिकित्सकीय परामर्श इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
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