हैलो दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आयुर्वेदिक दवाओं की जानकारी की कड़ी में आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आयुर्वेद औषधि अमृतारिष्ट के फायदे , सावधानियां और सेवन विधि के बारे में जानकारी शेयर कर रहे हैं . आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी .
अमृतारिष्ट क्या है ? ( अमृतारिष्ट सिरप के बारे में जानकारी )
अमृतारिष्ट किण्वन प्रक्रिया से तैयार की जाने वाली एक आयुर्वेदिक दवा है जिसका मुख्य घटक अमृता ( गिलोय ) होता है . गिलोय में अमृत के सामान गुण होने के कारण इसे अमृता कहा गया है .
अमृतारिष्ट के घटक
सभी प्रकार के ज्वर ( बुखार ) की अनुपम आयुर्वेदिक औषधि अमृतारिष्ट के निर्माण में निम्नलिखित घटक द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है .
- गुडुची ( गिलोय ) ( यह भी पढ़ें – गिलोय घन वटी के फायदे और नुकसान )
- दशमूल
- जीरा ( यह भी पढ़ें – जीरा पानी पीने के फायदे और नुकसान )
- पित्त पापड़ा
- मरिच ( काली मिर्च ) ( यह भी पढ़ें – काली मिर्च के फायदे )
- पिप्पली ( पीपल )
- शुण्ठी ( सौंठ )
- सप्तपर्ण
- नागकेसर
- नागरमोथा
- अतिविषा ( अतीस )
- कुटकी
- इंद्र जौ
- गुड़
- जल
अमृतारिष्ट के फायदे
आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा सभी प्रकार के ज्वर ( बुखार ) में प्रयोग की जाने वाली आयुर्वेदिक दवा अमृतारिष्ट के अन्य कई रोगों में भी औषधीय उपयोग हैं . आइये जानते हैं अमृतारिष्ट के फायदे किन किन रोगों में प्राप्त होते हैं .
ज्वर ( बुखार ) में अमृतारिष्ट से लाभ
सामान्य ज्वर में अमृतारिष्ट की 2-4 चम्मच बराबर पानी के साथ सेवन करने से बुखार में फायदा होता है .
विषम ज्वर में अमृतारिष्ट के फायदे
एक या दो -तीन दिन के अंतराल में बुखार आने पर अमृतारिष्ट का सेवन करने से लाभ होता है .
प्लीहा वृद्धि में अमृतारिष्ट के लाभ
ज्वारोपरांत तिल्ली बढ़ जाने ( प्लीहा वृद्धि ) पर अमृतारिष्ट का प्रयोग करने से रोगी को लाभ होता है .
अमृतारिष्ट का रक्तविकार में प्रयोग
अमृतारिष्ट का मुख्य घटक गिलोय रक्तशोधक होने के कारण अमृतारिष्ट के सेवन से रक्तविकार के कारण उत्पन्न होने वाले रोगों में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – चर्म रोगों में खदिरारिष्ट के फायदे )
टायफाइड ( आन्त्रिक ज्वर ) में अमृतारिष्ट का उपयोग
आन्त्रिक ज्वर या टायफाइड में अमृतारिष्ट का सेवन करने से रोगी को लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – आनंद भैरव रस के फायदे )
यकृत रोगों में अमृतारिष्ट का प्रयोग
अमृतारिष्ट के सेवन से यकृतशोथ , यकृत वृद्धि आदि लिवर के विकारों में लाभ होता है .
अमृतारिष्ट से सूजन में कमी
अमृतारिष्ट में शोथहर गुण होने के कारण इसके सेवन से सूजन में फायदा होता है .
अमृतारिष्ट के नुकसान
सामान्यतः आयुर्वेदिक दवा अमृतारिष्ट के दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिलते किन्तु कुछ परिस्थितियों में तथा व्यक्ति विशेष को अमृतारिष्ट के सेवन से नुकसान भी हो सकते हैं . आइये जानते हैं अमृतारिष्ट के नुकसान क्या हैं और इसके सेवन में क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए .
- गर्भवती महिलाओं को आसव अरिष्ट के सेवन की सलाह नहीं दी जाती इसलिए उन्हें इसके सेवन से बचना चाहिए अन्यथा अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए .
- अमृतारिष्ट के अधिक सेवन से एसिडिटी की समस्या बढ़ सकती है इसलिए एसिडिटी के रोगियों को इसके सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए .
- अमृतारिष्ट में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में किसी से एलर्जी होने की स्थिति में इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
- अमृतारिष्ट में शर्करा या मीठा होने के कारण डायबिटीज ( मधुमेह ) रोगियों को इसके सेवन से बचना चाहिए .
अमृतारिष्ट सेवन विधि
अमृतारिष्ट एक आयुर्वेदिक दवा है इसलिए इसका सेवन हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श और दिशा निर्देशानुसार ही करना चाहिए . सामान्यतः अमृतारिष्ट सेवन विधि निम्नानुसार है .
मात्रा – 15-30 ml ( भोजन के बाद )
अनुपान – समभाग जल ( बराबर पानी )
FAQ
प्रश्न – अमृतारिष्ट का क्या काम है ?
उत्तर – अमृतारिष्ट एक आयुर्वेदिक दवा है जो मुख्यतः सभी प्रकार के ज्वर ( बुखार ) में अत्यंत उपयोगी होती है .
प्रश्न – मुझे अमृतारिष्ट कब लेना चाहिए ?
उत्तर – ज्वर आदि होने पर अमृतारिष्ट की 2-4 चम्मच बराबर पानी से भोजन के बाद सेवन करना चाहिए .
प्रश्न – क्या अमृतारिष्ट लिवर के लिए अच्छा है ?
उत्तर – लिवर बढ़ जाने या लिवर में सूजन होने की स्थिति में अमृतारिष्ट का सेवन लाभदायक होता है .
दोस्तों , इस लेख में हमने आयुर्वेदिक दवा अमृतारिष्ट के फायदे , सेवन विधि और नुकसान से सम्बन्धित जानकारी साझा की . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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