हैलो दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग के इस आर्टिकल में हम आयुर्वेद औषधि आनंद भैरव रस के फायदे और सेवन विधि की जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं . आनंद भैरव रस एक रस औषधि है और आयुर्वेद में रसौषधियों को बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है . ज्वर , कास , श्वास , अतिसार , ग्रहणी आदि रोगों के उपचार में आनंद भैरव रस का प्रयोग किया जाता है .
आनंद भैरव रस निर्माण विधि
आनंद भैरव रस के घटक द्रव्य
- शुद्ध पारद
- शुद्ध गंधक
- शुद्ध हिंगुल
- शुद्ध वत्सनाभ
- सौंठ
- काली मिर्च ( यह भी पढ़ें – काली मिर्च के फायदे )
- पिप्पली
- शुद्ध टंकण
- जायफल ( यह भी पढ़ें – जायफल के फायदे )
भावना द्रव्य
- जम्बीरी निम्बू ( बिजौरा नींबू ) स्वरस
आनंद भैरव रस निर्माण विधि
निर्माण विधि प्रथम
शुद्ध पारा , शुद्ध गंधक , शुद्ध हिंगुल , शुद्ध वत्सनाभ , शुद्ध टंकण , सौंठ , पीपल , काली मिर्च 1-1 भाग लेकर शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक की कज्जली बनाते हैं . कज्जली को भांगरा के रस में घोट कर सौंठ , काली मिर्च आदि का चूर्ण बना कर कज्जली में मिलाते हैं और बिजौरा नींबू के रस के साथ खरल में घोटते हैं . जब यह मिश्रण सूखने लगे तो इसकी गोलियां बना लेते हैं .
निर्माण की दूसरी विधि
दूसरी विधि में शुद्ध हिंगुल , शुद्ध वत्सनाभ , शुद्ध टंकण , काली मिर्च , पीपल , जायफल का बारीक चूर्ण बना कर कुटज की छाल के क्वाथ के साथ घोट कर सूखने पर गोलियां बना लेते हैं . ( यह भी पढ़ें – मंडूर भस्म के फायदे )
आनंद भैरव रस के फायदे
आनंद भैरव रस ( ज्वर ) एवं आनंद भैरव रस ( कास ) दो प्रकार से बनाया जाता है . आनंद भैरव रस का एक और प्रकार आनंद भैरव रस ( अतिसार ) भी होता है . मुख्यतः आनंद भैरव रस ( कास ) और आनंद भैरव ( ज्वर ) सर्वाधिक प्रचलित हैं जिनका ज्वर , कास , कफ विकार . प्रतिश्याय आदि में प्रयोग किया जाता है . स्वास्थ्य के लिए आनंद भैरव रस के फायदे निम्नलिखित रोगों में हैं –
आनंद भैरव रस ( ज्वर ) के बुखार में फायदे
आनंद भैरव रस ( ज्वर ) के सेवन से सभी प्रकार के ज्वर ( बुखार ) में लाभ होता है . बुखार होने पर आनंद भैरव रस की 1-1 गोली अदरक के रस या शहद के साथ देने से ज्वर में लाभ होता है .
कफ विकार में आनंद भैरव रस (कास के फायदे)
ठण्डे पदार्थों के अधिक सेवन से कफ की वृद्धि होकर शरीर में भारीपन , आलस्य , भूख की कमी , खांसी , ज्वर आदि विकार हो जाते हैं . ऐसी स्थिति में आनंद भैरव रस ( कास ) की 1-1 गोली शहद या अदरक के रस के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है .
आनंद भैरव रस से अतिसार ( दस्त ) में लाभ
शरीर में कफ की अधिक वृद्धि होने से मन्दाग्नि , अपच होकर अतिसार हो जाता है . अतिसार होने पर आनंद भैरव रस की 1-1 गोली कुटज की छाल के क्वाथ से देने पर लाभ होता है . ( पढ़ें – बार बार दस्त लगने का क्या कारण है ? )
आनंद भैरव रस से जुकाम में लाभ
जुकाम होने पर जब नाक बंद हो जाये , सिर में दर्द हो , भारीपन हो , सांस में दिक्कत हो तो आनंद भैरव रस की गोली पान के पत्ते के रस के साथ सेवन करने से लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – कुमार कल्याण रस के फायदे )
आनंद भैरव रस (कास के फायदे) श्वास में
कफ प्रधान श्वास में कफ की अधिक विकृति से खांसी के साथ कफ निकलता है , रोगी को सांस लेने में दिक्कत होती है . ऐसी स्थिति में आनंद भैरव रस की गोली शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है .
आनंद भैरव रस सेवन विधि और मात्रा
मात्रा – 125 -250 mg ( 1 से 2 गोली )
अनुपान – शहद , अदरक का रस , पान के पत्तों का रस , पानी ( रोग एवं चिकित्सक के निर्देशानुसार )
आनंद भैरव रस के नुकसान
आनंद भैरव रस एक रस औषधि है इसलिए आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श और निर्देश के बिना इसका इस्तेमाल नुकसानदायक हो सकता है . आनंद भैरव रस पित्त को उत्तेजित करता है और शरीर में पित्त को बढाता है इसलिए पित्त विकार ( एसिडिटी ) वालों को इसके सेवन से बचना चाहिए . आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देशानुसार ही आनंद भैरव रस का सेवन करना चाहिए .
दोस्तों , आज के लेख में हमने आयुर्वेद औषधि आनंद भैरव रस के फायदे बताये . आशा है आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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