हैलो दोस्तों ! आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आज हम बात कर रहे हैं ‘ किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी के बारे में . इस लेख में आज हम किडनी स्टोन के कारण , उससे बचने के उपाय और घरेलू इलाज के बारे में चर्चा करेंगे . आशा है यह आर्टिकल पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा .
गुर्दे की पथरी क्या है ?
आयुर्वेद में पथरी को अश्मरी कहा जाता है । आयुर्वेद में चरक के अनुसार प्रकुपित वात द्वारा मूत्राशय में आये शुक्र सहित मूत्र को या पित्त सहित कफ को सुखाने से अश्मरी बनती है ।
सुश्रुत के अनुसार प्रकुपित कफ पित्त की ऊष्मा से सूख कर अश्मरी बन जाती है ।
आयुर्वेद अनुसार अश्मरी ( पथरी ) चार प्रकार की होती हैं –
- वातज अश्मरी
- पित्तज अश्मरी
- कफज अश्मरी
- शुक्रज अश्मरी
गुर्दे की पथरी ( Kidney Stone ) एक कठिन क्रिस्टलीय खनिज पदार्थ है जो गुर्दे या मूत्र मार्ग में हो सकता है । आयुर्वेद में इसे वृक्काश्मरी कहा जाता है ।
गुर्दे की पथरी कितने प्रकार की होती हैं ?
गुर्दे की पथरी ( Kidney Stone ) चार प्रकार की होती हैं
( 1 ) Calcium Stones
( 2 ) Stuvite Stones
( 3 ) Cystine Stones
( 4 ) Uric acid Stones
गुर्दे की पथरी के लक्षण
गुर्दे की पथरी ( Kidney Stone ) होने पर व्यक्ति में पेट दर्द , पेशाब में रुकावट आदि समस्याएँ होती हैं . सामान्यतः गुर्दे की पथरी के लक्षण निम्नलिखित हैं .
- मूत्रत्याग के समय दर्द
- बार बार मूत्र आना
- मूत्र में खून आना
- मूत्र रुक रुक कर आना
- मूत्र में रुकावट
- मूत्र में दुर्गन्ध आना
- पेट में दर्द व ऐंठन होना
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना
- उल्टी होना
- बुखार होना
गुर्दे की पथरी के कारण क्या हैं ?
मूत्र में मौजूद रसायन तथा यूरिक एसिड, फॉस्फोरस, कैल्शियम व ऑक्जेलिक एसिड गुर्दे की पथरी के मुख्य कारण हैं ।
निम्नलिखित कारणों से गुर्दे में पथरी ( Kidney Stone ) बन सकती है
- पानी कम पीना
- नमक का अधिक सेवन करना
- शरीर में कैल्शियम या प्रोटीन की अधिकता होना
- मोटापा या अधिक वजन होना
- आनुवंशिक कारण भी पाया जाता है
- जलवायु भी एक कारण है , स्थान विशेष में भी वृक्काश्मरी या गुर्दे की पथरी के रोगी अधिक पाये जाते हैं
- जंक फूड का अधिक सेवन
गुर्दे की पथरी के नुकसान क्या हैं ?
गुर्दे की पथरी ( Kidney Stone ) होने पर अधोलिखित नुकसान होने की संभावना रहती है ।
- मूत्र मार्ग में रुकावट
- पेट में तेज असह्य दर्द
- गुर्दों में सूजन
- संक्रमण की संभावना
- समय पर उपचार न होने से गुर्दे खराब होने की आशंका
गुर्दे की पथरी का घरेलू इलाज
आधुनिक मेडिकल साइंस सर्जरी द्वारा गुर्दे की पथरी को निकाल देती है किन्तु आयुर्वेद में ऐसी बहुत सी औषधियाँ हैं जो गुर्दे की पथरी को यदि साइज बहुत ज्यादा न हो तो सहज रूप से मूत्र मार्ग द्वारा बाहर निकाल देती हैं । आयुर्वेद के अनुसार पथरी होने पर निदान परिवर्जन, पानी व तरल पदार्थों का अधिक उपयोग तथा कुछ औषधियों के प्रयोग से गुर्दे की पथरी से छुटकारा पाया जा सकता है .
निम्नलिखित औषधियों गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए उपयोग किया जा सकता है .
- नींबू
- पाषाणभेद या पत्थरचट्टा
- गोखरु ( यह भी पढ़ें – गोक्षुरादि गुग्गुल के फायदे )
- पुनर्नवा
- पपीते की जड़
- इलायची
- तुलसी पत्र
- चौलाई
- जीरा
- सौंफ ( यह भी पढ़ें – सौंफ खाने के फायदे )
गुर्दे की पथरी में नींबू का प्रयोग
कुछ दिन नियमित नींबू का रस पानी में मिला कर दिन में तीन बार सेवन करने से पथरी निकल जाती है .
गुर्दे की पथरी में पाषाणभेद या पत्थर चट्टा का प्रयोग
पत्थर चट्टा का एक पत्ता नियमित खाने से पथरी निकल जाती है . पथरी निकालने के लिए प्रयोग की जाने वाली अधिकतर औषधियों में पाषाण भेद घटक होता है .
गुर्दे की पथरी में गोखरू का प्रयोग
गोखरू का काढा या गोखरू का चूर्ण गुर्दे की पथरी को निकालने में मदद करता है . आयुर्वेद में गोक्षुर चूर्ण , गोक्षुरादि गुग्गुलु नाम से औषधि प्राप्त होती है .
गुर्दे की पथरी के लिए पुनर्नवा का प्रयोग
पुनर्नवा मूत्रल होता है . शरीर ममे मूत्र का वेग बढ़ा कर मूत्र मार्ग से पथरी को बाहर निकाल देता है . पुनर्नवा मंडूर , पुनर्नवा वटी , पुनर्नवारिष्ट नाम से बाजार में आयुर्वेद औषधि के रूप में मिलती है .
गुर्दे की पथरी में पपीते की जड़ का प्रयोग
पपीते के पेड़ की जड़ को घिस कर पानी के साथ नियमित सेवन करने से गुर्दे की पथरी निकल जाती है .
गुर्दे की पथरी में इलायची का प्रयोग
आधा चम्मच इलायची व एक चम्मच खरबूजे के बीज का काढा बना कर छानकर कुछ दिन पीने से पथरी निकल जाती है .
गुर्दे की पथरी में तुलसी पत्र का प्रयोग
तुलसी की पत्तियों के नियमित सेवन से गुर्दे की पथरी निकल जाती है .
गुर्दे की पथरी में चौलाई का प्रयोग
चौलाई की सब्जी का कुछ दिन नियमित सेवन करने से पथरी निकल जाती है .
गुर्दे की पथरी में जीरा का प्रयोग
जीरा और चीनी को बराबर मात्रा में पीस कर पानी से दिन में तीन बार कुछ दिन नियमित सेवन करने से पथरी निकल जाती है .
गुर्दे की पथरी में सौंफ का प्रयोग
सौंफ का पाउडर , धनिया पाउडर और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर रात को पानी में भिगो दें , सुबह उठ कर सेवन करें . कुछ दिन नियमित प्रयोग करने से पथरी निकल जाती है .
गुर्दे की पथरी होने से कैसे बचा जा सकता है ?
उचित आहार विहार द्वारा गुर्दे की पथरी होने से बहुत हद तक बचने की संभावना होती है ।
निम्नलिखित कुछ उपायों द्वारा गुर्दे की पथरी होने से बचा जा सकता है-
- पानी का सही मात्रा में सेवन करें
- अधिक प्रोटीन से बच कर उचित मात्रा में प्रोटीन का सेवन करें
- कैल्शियम का उचित मात्रा में सेवन किया जाये, अधिकता से बचें
- पशु प्रोटीन ( मांसाहार ) के अधिक सेवन से बचें
- वजन पर नियंत्रण रखें
- तरल पेय पदार्थों ( नारियल पानी, फलों का रस, छाछ आदि ) का सेवन करें
- जंक फूड के सेवन से बचें
गुर्दे की पथरी में परहेज
किसी भी रोग की चिकित्सा में परहेज का विशेष महत्त्व होता है . रोग को बढाने वाली चीजों से दूरी और रोग को मिटाने वाली चीजों का सेवन ही परहेज कहलाता है . गुर्दे की पथरी में परहेज निम्नानुसार हैं –
गुर्दे की पथरी में क्या खाना चाहिए ?
- भरपूर पानी पियें
- नींबू पानी पियें
- नारियल पानी पियें
- कुलथी की दाल का सेवन करें
- छाछ पियें
- जौ का अधिक सेवन करें
- ककड़ी , खीरा खाएं
गुर्दे की पथरी में क्या नहीं खाना चाहिए ?
गुर्दे की पथरी में निम्नलिखित चीजों के सेवन से बचना चाहिए –
- टमाटर
- बैंगन
- पालक
- सोया
- मटर
- गाजर
- मांसाहार
- प्याज
- चोकलेट
दोस्तों , इस लेख में हमने गुर्दे की पथरी से सम्बन्धित सामान्य जानकारी और घरेलू उपचार के बारे में बताया . अन्य रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहिये .
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