हैलो दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग के इस आर्टिकल में हम आज आपको आयुर्वेद औषधि द्राक्षासव के फायदे और नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं . विभिन्न रोगों में प्रयोग की जाने वाली आयुर्वेद औषधि एवं टॉनिक द्राक्षासव के चमत्कारिक फायदे जानकर आपको अवश्य लाभ होगा .
द्राक्षासव क्या है ?
द्राक्षासव एक आयुर्वेद औषधि है जिसका मुख्य घटक द्राक्षा ( अंगूर, मुनक्का ) होता है . मुनक्का एवं अन्य औषधियों को किन्वीकरण की प्रक्रिया से द्राक्षासव का निर्माण किया जाता है . इस दवा को आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा भूख की कमी , उदर विकार , बवासीर , कमजोरी आदि में प्रयोग किया जाता है .
द्राक्षा का परिचय
द्राक्षा के ताजा फल को अंगूर कहते हैं और सूखने के बाद दाख , मुनक्का , द्राक्षा आदि नामों से जाना जाता है . आयुर्वेद के अनुसार यह कासहर, श्रमहर और विबन्ध नाशक होता है . इसमें विटामिन बी 6 , विटामिन सी , थायमिन , राइबोफ्लेविन और पौटेशियम पाया जाता है . इसमें एंटी ओक्सिडेंट , एंटी फंगल , एंटी बैक्टीरियल आदि गुण पाए जाते हैं . यह व्रण नाशक , हृदय प्रतिरक्षक और स्तन कैंसर रोधक होता है .
द्राक्षासव के घटक
द्राक्षासव के निर्माण में निम्नलिखित औषध द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है –
- मुनक्का
- मिश्री
- शहद
- धातकी पुष्प
- तेजपात
- दालचीनी
- इलायची
- मरिच
- नागकेसर
- लौंग
- जायफल
- चव्य
- चित्रक
- पिप्पली
- पिप्पली मूल
- निर्गुन्डी
- जल
द्राक्षासव किस रोग की दवा है ?
द्राक्षासव का आयुर्वेद के अनुसार विभिन्न रोगों के उपचार हेतु प्रयोग किया जाता है . मुख्यतः द्राक्षासव उदर विकार , विबंध , पांडु , कास , यकृत रोग , अर्श , आंत्र विकार आदि में उपयोग की जाने वाली औषधि है . इसके सेवन से पेट सम्बंधित समस्या , बवासीर , कब्ज , शारीरिक कमजोरी , खून की कमी आदि में लाभ होता है .
द्राक्षासव के फायदे और नुकसान
द्राक्षासव आयुर्वेद का एक उत्तम योग है जो औषधि एवं टॉनिक का कार्य करता है . यह महिला , पुरुष दोनों के लिए लाभदायक है और सभी आयुवर्ग के लोगों द्वारा सेवन किया जा सकता है . आइये जानते हैं द्राक्षासव के फायदे और नुकसान क्या क्या हैं .
द्राक्षासव के फायदे
अर्श ( बवासीर ) के रोगियों के लिए लाभदायक
द्राक्षासव के सेवन से कब्ज दूर होती है और पाचन में सुधार होता है जिससे बवासीर के रोगियों को फायदा होता है . ( यह भी पढ़ें – बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने का उपाय )
द्राक्षासव से पीलिया में लाभ
द्राक्षासव के सेवन से यकृत के कार्य सम्पादन में सुधार होता है तथा खून की कमी दूर होती है जिससे पांडु ( पीलिया ) रोगी को लाभ होता है .
द्राक्षासव है रक्तपित्त में लाभकारी
रक्तपित्त ( कान , नाक , मुख आदि से खून निकलना ) की समस्या होने पर द्राक्षासव का प्रयोग करने से फायदा होता है . ( यह भी पढ़ें – नकसीर का आयुर्वेदिक इलाज )
उदर रोगों में द्राक्षासव के फायदे
द्राक्षासव पाचन तंत्र में सुधार करता है , आँतों की सक्रियता बढाता है और विबंध ( कब्ज ) का नाश करता है इसलिए पेट सम्बंधित समस्याओं ( उदर विकारों ) में लाभदायक होता है . ( यह भी पढ़ें – पेट दर्द का घरेलू इलाज )
द्राक्षासव हृदय के लिए फायदेमंद
द्राक्षासव के सेवन से हृदय को मजबूती मिलती है और हृदय के कार्यों में कुशलता आती है इसलिए हृदय के लिए लाभप्रद है .
शारीरिक कमजोरी दूर करने में सहायक
द्राक्षासव के सेवन से भूख बढ़ती है , खून की कमी दूर होती है और पाचन क्रिया में सुधार होता है जिससे शारीरिक कमजोरी दूर होकर शरीर को बल प्राप्त होता है . ( यह भी पढ़ें – शरीर में कमजोरी और थकान दूर करने के उपाय )
द्राक्षासव से एनीमिया में फायदा
द्राक्षासव के सेवन से यकृत के कार्यों में सुधार होता है तथा खून में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है इसलिए एनीमिया के रोगियों के लिए लाभदायक है .
द्राक्षासव के प्रयोग से कब्ज में राहत
द्राक्षासव का सेवन करने से कोष्ठबद्धता ( कब्ज ) खत्म होती है तथा मल शुद्धि होती है . ( यह भी पढ़ें – कब्ज क्यों होता है )
द्राक्षासव से अग्निमान्ध्य ( भूख की कमी ) में लाभ
द्राक्षासव का सेवन करने से जठराग्नि प्रदीप्त होती है जिससे मन्दाग्नि का नाश होकर भूख जागृत होती है .
द्राक्षासव से खांसी , बुखार में फायदा
द्राक्षा में कास हर व ज्वर हर गुण होने के कारण बुखार , खांसी के रोगियों के लिए द्राक्षासव का सेवन फायदेमंद होता है .
द्राक्षासव के नुकसान
सामान्यतः द्राक्षासव के दुष्प्रभाव देखने में नहीं आते किन्तु कुछ लोगों को एवं कुछ परिस्थितियों में इसका सेवन नुकसान दायक भी हो सकता है . आइये जानते हैं द्राक्षासव के नुकसान किस तरह हो सकते हैं .
- गर्भवती महिलाओं को आसव अरिष्ट का सेवन निषेध है इसलिए गर्भावस्था में द्राक्षासव का सेवन नहीं करना चाहिए .
- द्राक्षासव में शर्करा की उपस्थिति के कारण डायबिटीज के रोगियों के लिए नुकसान दायक हो सकती है .
- द्राक्षासव में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में किसी द्रव्य से एलर्जी होने पर द्राक्षासव का सेवन नुकसान दायक हो सकता है .
द्राक्षासव सेवन विधि
मात्रा – 20-30 मिली बराबर पानी मिला कर भोजन के बाद सेवन करें . ( यह वयस्क की मात्रा है )
बच्चों में आयु अनुसार मात्रा कम एवं चिकित्सक के दिशा निर्देश अनुसार ( 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को न दें )
नोट – किसी भी दवा का प्रयोग बिना चिकित्सकीय सलाह नहीं करना चाहिए . सेवन से पहले आयुर्वेद चिकित्सक से अवश्य परामर्श करें .
FAQ
प्रश्न – मुझे द्राक्षासव का सेवन कब करना चाहिए ?
उत्तर – द्राक्षासव का सेवन भूख की कमी , कब्ज , बवासीर , कमजोरी आदि में 20-30 मिली की मात्रा में भोजन के बाद बराबर पानी मिला कर करने की सलाह दी जाती है .
प्रश्न – द्राक्षासव पीने से क्या फायदा होता है ?
उत्तर – द्राक्षासव पीने से बवासीर , उदर विकार , कमजोरी , कब्ज , खून की कमी आदि में फायदा होता है .
प्रश्न – द्राक्षासव का अर्थ क्या होता है .
उत्तर – द्राक्षासव द्राक्षा और आसव दो शब्दों से मिल कर बना है जिसका अर्थ है द्राक्षा ( मुनक्का ) का आसव ( एक आयुर्वेद औषधि जो किन्वीकरण की प्रक्रिया से बनायी जाती है ) .
दोस्तों , आज के लेख में हमने आयुर्वेद औषधि द्राक्षासव के फायदे और नुकसान से सम्बंधित जानकारी बतायी . आशा है आपको जानकारी अच्छी लगी होगी . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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