हैलो दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आज हम इस आर्टिकल में रक्तस्राव रोकने की अद्भुत आयुर्वेदिक औषधि नागकेसर के फायदे नुकसान से सम्बन्धित जानकारी शेयर कर रहे हैं . नागकेसर के फायदे और नुकसान जानने के लिए पढ़ते रहिये .
नागकेसर क्या है ?
नागकेसर का वृक्ष मध्यम आकार का पूरे साल हरा रहने वाला होता है . नागकेसर के पेड़ की छाल लाल व भूरे रंग की होती है . इसके पेड़ पर 2-6 इंच के पत्ते और 2 सेमी . के फूल लगते हैं . इसके पत्तों के बीच अनेक पुंकेशर होते हैं जिनके साथ स्त्रीकेशर भी होता है . स्त्रीकेशर का आकार सांप के समान होने के कारण इसे नागकेशर कहा जाता है .
नागकेसर को आयुर्वेद में रक्तस्राव रोकने की उत्तम औषधि माना जाता है . खूनी बवासीर ( रक्तार्श ) और रक्तप्रदर की चिकत्सा में विशेषतः नागकेसर का प्रयोग किया जाता है . नागकेसर के समावेश से रक्तार्श , प्रदर , रक्त प्रदर आदि रोगों की कई दवाइयां बनायी जाती हैं .
नागकेसर के फायदे नुकसान
आयुर्वेद में नागकेसर के विभिन्न रोगों में औषधीय उपयोग बताये गये हैं . रक्तार्श ( खूनी बवासीर ) एवं रक्त प्रदर ( महिलाओं में लाल पानी की शिकायत ) में नागकेसर का मुख्यतः प्रयोग किया जाता है किन्तु नागकेसर के अन्य कई रोगों में भी चिकित्सकीय प्रयोग किये जाते हैं . आइये जानते हैं नागकेसर के फायदे नुकसान क्या क्या हैं .
नागकेसर के फायदे
आयुर्वेद के अनुसार निम्नलिखित रोगों के उपचार में नागकेसर के फायदे बताये गये हैं .
खूनी बवासीर में नागकेसर के लाभ
रक्तार्श ( खूनी बवासीर ) में मलद्वार से रक्तस्राव के कारण रोगी बहुत परेशान होता है तथा कई बार खून की कमी से रोगी के प्राणों पर संकट आ जाता है . ऐसे स्थिति में नागकेसर चूर्ण का अथवा नागकेसर एवं अन्य औषधियों के सम्मिश्रण से बनी प्राणदा गुटिका का प्रयोग करने से रोगी का रक्तस्राव बंद हो जाता है और रोगी को लाभ प्राप्त होता है . ( यह भी पढ़ें – खूनी बवासीर का रामबाण इलाज )
रक्त प्रदर में नागकेसर के फायदे
महिलाओं में रक्त प्रदर ( लाल पानी ) की शिकायत होने पर महिला बहुत कमजोरी महसूस करती है और खून की कमी की आशंका भी होती है . रक्त प्रदर होने पर नागकेसर चूर्ण का उपयोग करने से रक्तस्राव में कमी होती है और रोगी को लाभ मिलता है .
नागकेसर के लाभ गर्भस्राव में
जिन महिलाओं को गर्भस्राव हो जाता है उन्हें नागकेसर चूर्ण और मिश्री जल के साथ सेवन करने से लाभ होता है और गर्भस्राव की संभावना कम होती है .
ल्यूकोरिया में नागकेसर का उपयोग
श्वेत प्रदर ( सफ़ेद पानी ) की समस्या से परेशान महिलाओं को नागकेसर चूर्ण , मधुयष्टि ( मुलैठी ) चूर्ण और मिश्री दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – ल्यूकोरिया की आयुर्वेदिक दवा )
शीतपित्त में नागकेसर के लाभ
शीतपित्त की शिकायत होने पर नागकेसर चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – शीतपित्त का आयुर्वेदिक इलाज )
गर्भधारण में नागकेसर का प्रयोग
जिन महिलाओं को गर्भधारण नहीं हो रहा है ऐसी स्त्रियों को माहवारी के बाद एक सप्ताह तक नागकेसर चूर्ण का दूध के साथ सेवन करने से गर्भधारण की संभावना बढ़ती है .
नागकेसर से संधिवात में लाभ
नागकेसर के तेल की मालिश करने से संधिवात में होने वाले दर्द और सूजन में फायदा होता है .
पैर के तलवों की जलन में नागकेसर का प्रयोग
पैर के तलवों में जलन होने पर नागकेसर चूर्ण का लेप करने से जलन में लाभ होता है .
खूनी दस्त में नागकेसर से लाभ
रक्तातिसार ( खूनी दस्त ) होने पर नागकेसर चूर्ण का सेवन करने से रोगी को लाभ होता है . ( पढ़ें – बार बार दस्त लगने का क्या कारण है )
नागकेसर का नेत्र रोग में उपयोग
नेत्राभिष्यन्द होने पर नागकेसर का सेवन करने से आँखों की लालिमा नष्ट होती है .
नागकेसर के नुकसान
नागकेसर के कई रोगों में औषधीय उपयोग होते हैं किन्तु इसका सेवन किसी आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार ही करना चाहिए अन्यथा हानि की भी संभावना रहती है . आइये जानते हैं नागकेसर के नुकसान क्या हैं .
- अति मात्रा में नागकेसर का सेवन करने से पेट दर्द या कब्ज की शिकायत हो सकती है .
- उच्च रक्तचाप या अन्य किसी जीर्ण व्याधि से पीड़ित रोगियों को नागकेसर के सेवन से पूर्व अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए अथवा नागकेसर के प्रयोग से बचना चाहिए .
- जिन लोगों को नागकेसर से एलर्जी है उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
- गर्भवती महिलाओं को नागकेसर के सेवन से पूर्व अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए .
दोस्तों , आज के लेख में हमने नागकेसर के फायदे नुकसान से सम्बन्धित जानकारी शेयर की . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे . आयुर्वेद और स्वास्थ्य से सम्बन्धित जानकारी के लिए पढ़ते रहिये हमारा ब्लॉग ” आयुर्वेद और साहित्य ” .
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