यह आर्टिकल आज महिलाओं की प्रमुख समस्या मासिक स्राव या पीरियड्स में होने वाले कष्ट के बारे में है . आज हम बतायेंगे कि पीरियड्स में दर्द कैसे कम करें ? प्रत्येक महीने स्त्रियों में मासिक स्राव या माहवारी होना एक प्राकृतिक क्रिया है . स्त्रियों में 12 -13 वर्ष की उम्र से प्रारम्भ होकर 45-50 की उम्र तक हर माह योनि मार्ग से रक्त स्राव होता है जिसे मासिक स्राव या आम बोलचाल की भाषा में पीरियड्स कहते हैं .
पीरियड्स आने की सही उम्र
सामान्यतः 12-13 वर्ष से लेकर 45-50 वर्ष की उम्र तक माहवारी या पीरियड्स का समय माना गया है . आम तौर पर महिलाओं में मासिक धर्म या पीरियड्स की शुरुआत 12- 13 वर्ष की आयु से होती है जो लगभग 33 से 35 वर्ष तक बनी रहती है और 45 से 50 वर्ष की उम्र में जाकर बंद हो जाती है .
मगर बदलती जीवन शैली और खान पान का महिलाओं के शरीर पर भी गहरा प्रभाव हुआ है .यह प्रभाव उनके मासिक स्राव या पीरियड्स पर भी हुआ है जिस कारण मासिक के साथ होने वाली परेशानियां भी बढी हैं . खान पान और रहन सहन के इस प्रभाव के कारण मासिक धर्म या पीरियड्स की शुरुआत भी 9-10 वर्ष की उम्र में होने लगी है .
पीरियड्स कितने दिन होना चाहिए ?
माहवारी या पीरियड्स का समय 3 से 7 दिन माना जाता है . इस दौरान होने वाली ब्लीडिंग में ब्लड या रक्त का प्रमाण 40-50 मि.ली. तक होता है . किसी किसी को इससे ज्यादा रक्त स्राव भी होता है . यदि यह रक्त स्राव 100 मि. ली. से अधिक होता है तो इसे सामान्य नहीं माना जाता . यदि 7-8 दिनों से अधिक किसी को पीरियड्स रहते हैं या 28 दिनों से पूर्व किसी को दोबारा पीरियड्स आते हैं तो इस स्थिति को भी सामान्य नहीं कहा जाता . ( पढ़ें – महिलाओं में खून की कमी क्यों होती है ? )
पीरियड्स में ब्लीडिंग कम होने के कारण
पीरियड्स में ब्लीडिंग कम होने के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं –
- आयुर्वेद के अनुसार गलत खान पान जैसे अधिक मसालेदार या चटपटा भोजन करने से कुपित हुई वायु के कारण .
- अधिक शारीरिक श्रम या व्यायाम आदि के कारण .
- अधिक साइकिलिंग या स्विमिंग के कारण .
- गर्भाशय के आन्तरिक भाग में संकुचन होने के कारण .
- किसी बीमारी से ग्रस्त होने के कारण .
- मानसिक तनाव के कारण .
- किसी तरह की दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण .
- मेनोपोज से पहले हार्मोन्स में बदलाव के कारण .
- स्तनपान के दौरान .
- भोजन में पोषक तत्त्वों की कमी के कारण .
- गर्भ निरोधक गोलियों के सेवन के कारण .
पीरियड्स में दर्द कैसे कम करें ?
पीरियड्स के दौरान कई महिलाओं को पेट में धीरे धीरे दर्द होकर बाद में दर्द बढ़ जाता है . यह दर्द मासिक आने के बाद शांत हो जाता है . किन्तु कुछ महिलाओं को लगातार 3-4 दिन तक तेज दर्द बना रहता है . पेन किलर टेबलेट लेने पर कुछ राहत मिलती है बाद में पुनः पीड़ा शुरू हो जाती है . नीचे पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द से राहत पाने के कुछ उपाय बताये जा रहे हैं जो आपके लिए उपयोगी होंगे .
- 20 ग्राम अजवायन को 1 लीटर पानी में उबाले तथा 250 मिली . शेष रहने पर 50 ग्राम गुड मिला लें . इसे छान कर दिन में तीन बार में ले लें .
- 10 ग्राम शंख भस्म और 10 ग्राम गुड मिलाकर 10 गोलिया बना लें . 1-1 गोली सुबह शाम छाछ के साथ लें .
- यदि पीरियड्स में ब्लीडिंग भी कम होती है तो माहवारी से 5 दिन पहले से गुनगुने पानी में हल्दी मिलाकर सेवन करें .
- हिंग्वष्टक चूर्ण 1 चम्मच दिन में भोजन के समय पहले ग्रास के साथ और रात को सोते समय 1 चम्मच गुनगुने पाने से लें .
- शंख वटी 2-2 गोली सुबह शाम गुनगुने पानी से .
- रजः प्रवर्तनी वटी 2-2 गोली सुबह शाम गुनगुने पानी से लें .
- कुमारिका वटी सुबह शाम 2-2 गोली गुनगुने पानी से लें .
- कुमार्यासव 20 मिली . बराबर पानी मिलाकर दोनों समय भोजन के बाद लें .
- अशोकारिष्ट 20 मिली . भोजन के बाद बराबर पानी से लें .
नोट – उपर्युक्त प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशन में ही करें .
पीरियड्स में क्या नहीं करना चाहिए ?
पीरियड्स के दौरान स्वच्छता और खान पान का विशेष ख़याल रखना चाहिए . हैल्दी भोजन लेना चाहिए और अच्छा मूड रखने वाला संगीत सुनना या मनपसंद किताबें पढ़ना भी अच्छा है . पीरियड्स के दौरान कुछ चीजों से बचना चाहिए . आइये जानते हैं कि पीरियड्स में क्या नहीं करना चाहिए ? ( पढ़ें – अल्सर में क्या खाना चाहिए ? )
- शराब व धूम्रपान का सेवन .
- ज्यादा चाय या कॉफ़ी का सेवन .
- सैनिटरी पैड बदलने में लापरवाही .
- रात में बिना पैड पहने सोना .
- नमक का अधिक सेवन .
- चीनी का अधिक सेवन .
- असुरक्षित यौन सम्बन्ध .
- व्यायाम .
- रात्रि जागरण .
- फास्ट फ़ूड , जंक फ़ूड का सेवन .
- ज्यादा मसालेदार भोजन .
- कोल्ड ड्रिंक , आइसक्रीम का सेवन .
आशा है आपको हमारा आर्टिकल ” पीरियड्स में दर्द कैसे कम करें ” पसंद आया होगा . अगले लेख में अन्य उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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