आयुर्वेद की अनेक गुणकारी औषधियों में एक पुनर्नवा है और आज इस आर्टिकल में हम इसी गुणकारी औषधि पुनर्नवा के फायदे और नुकसान बताने जा रहे हैं . शरीर की सभी प्रकार की सूजन को नष्ट करने वाली इस अनुपम औषधि पुनर्नवा के फायदे जानने के लिए पढ़ते रहिये .
पुनर्नवा का सामान्य परिचय
पुनर्नवा का पौधा जमीन में फैलने वाला एवं 2-3 फुट ऊंचा होता है . बरसात के मौसम में नए पौधे उगते हैं और गर्मियों में सूख जाते हैं . पुनर्नवा सफेद और लाल दो प्रकार की पायी जाती हैं . आयुर्वेद के अनुसार पुनर्नवा मधुर , तिक्त रस वाली , लघु , रुक्ष और उष्ण वीर्य होती है . यह त्रिदोष शामक , शोथ हर और विषघ्न होती है .
पुनर्नवा के अन्य नाम
पुनर्नवा को संस्कृत में शोथघ्नी और पुनर्नवा , हिंदी में गदह पुरना , साठी , सांठ , मराठी में घेटुली , गुजराती में सरोही , तमिल में मुकरतेकिरे , राजस्थानी में सांठी , कन्नड़ में मुच्चुकोनि , तेलुगु में गाल्वेर कहा जाता है . इसके अलावा यह विष खपरा , खट्टन आदि नाम से भी जानी जाती है . अरबी में हन्दकूकी और फारसी में इसे दब्ब अस्पत कहा जाता है .
पुनर्नवा के फायदे और नुकसान
पुनर्नवा के आयुर्वेद में अनेक औषधीय उपयोग बताये गये हैं तथा शोथ , पांडु , मूत्र विकार , लिवर , किडनी आदि रोगों में चिकित्सकीय प्रयोग किये जाते हैं . आइये जानते हैं आयुर्वेद औषधि पुनर्नवा के फायदे और नुकसान क्या हैं .
पुनर्नवा के फायदे
आयुर्वेद के अनुसार पुनर्नवा की जड़ एवं पत्तियों में अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं और विभिन्न रोगों के उपचार में इनका औषधीय उपयोग किया जाता है . निम्नलिखित रोगों की चिकित्सा में पुनर्नवा के फायदे मिलते हैं .
पीलिया में पुनर्नवा का प्रयोग
पुनर्नवा मंडूर की 2-2 गोलियां सुबह शाम पुनर्नवा रस के साथ सेवन करने से पांडु ( पीलिया ) रोग में लाभ होता है .
पुनर्नवा किडनी के लिए श्रेष्ठ औषधि
किडनी रोगियों को पुनर्नवा मंडूर एवं गोखरु का क्वाथ का सेवन करने से लाभ होता है तथा क्रिएटिनिन व यूरिया का स्तर कम होता है .
सभी प्रकार की सूजन में पुनर्नवा लाभकारी
पुनर्नवा की जड़ , सौंठ और चिरायता का काढा बनाकर सेवन करने से शोथ ( सूजन ) में कमी होती है . पुनर्नवा के योग पुनर्नवा मंडूर , पुनर्नवादि क्वाथ और पुनर्नवारिष्ट के सेवन से भी शोथ में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – पुनर्नवारिष्ट के फायदे )
पुनर्नवा से पीरियड्स में लाभ
महिलाओं में पीरियड्स रुकने पर पुनर्नवा की जड़ का काढा बना कर सेवन करने से अवरोध खत्म होता है एवं पीरियड्स खुल कर आते हैं . ( यह भी पढ़ें – पीरियड्स में दर्द कैसे कम करें )
पुनर्नवा से यौन क्षमता में वृद्धि
पुनर्नवा के बीजों को सुखा कर , उनका पाउडर बना कर दूध के साथ सेवन करने से मैथुन की असमर्थता नष्ट होती है .
श्वास में पुनर्नवा से लाभ
पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण 2-3 ग्राम सुबह शाम गर्म जल के साथ सेवन करने से श्वास के रोगी को लाभ होता है .
पुनर्नवा का योनि रोगों में प्रयोग
पुनर्नवा की ताजी पत्तियों को पीस कर लेप करने से योनि शूल में आराम मिलता है .
अजीर्ण में पुनर्नवा का उपयोग
पुनर्नवा की पत्तियों की सब्जी बना कर खाने से अजीर्ण रोग में लाभ होता है .
सर्दी जुकाम में पुनर्नवा का प्रयोग
पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ सेवन करने से सर्दी जुकाम में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – सर्दी जुकाम के घरेलू नुस्खें )
बवासीर में पुनर्नवा लाभप्रद
पुनर्नवा , कुटकी और चिरायता का काढा बना कर सेवन करने से बवासीर के रोगियों को लाभ होता है . पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण दूध के साथ सेवन करने खूनी बवासीर में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – खूनी बवासीर का रामबाण इलाज )
एनीमिया में पुनर्नवा से लाभ
पुनर्नवा की पत्तियों की सब्जी बना कर खाने से खून की कमी दूर होती है . ( यह भी पढ़ें – महिलाओं में खून की कमी दूर करने के उपाय )
पेशाब की रुकावट में पुनर्नवा से फायदा
मूत्रावरोध ( पेशाब की रुकावट ) होने पर पुनर्नवा के क्वाथ का सेवन करने पर लाभ होता है और अवरोध खत्म होता है .
पुनर्नवा से पथरी में फायदा
पुनर्नवा की जड़ का काढा बना कर सेवन करने से पथरी मूत्र द्वारा बाहर निकल जाती है .
गर्भाशय शोथ में पुनर्नवा से लाभ
बच्चेदानी में सूजन होने पर पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण को पुनर्नवा रस एवं अदरक के रस के साथ सेवन करने से सूजन में कमी होती है . ( यह भी पढ़ें – बच्चेदानी में सूजन की आयुर्वेदिक दवा )
पुनर्नवा का नेत्र रोगों में प्रयोग
पुनर्नवा की जड़ को दूध या शहद के साथ घिस कर आँखों में काजल की तरह प्रयोग करने से आँखों की लालिमा , आँखों से पानी गिरना , जलन , खुजली आदि में लाभ होता है . पुनर्नवा अर्क की बूँद आँखों में डालने से नेत्र रोगों में लाभ होता है .
पुनर्नवा लिवर के लिए लाभदायक
पुनर्नवा की पत्तियों की सब्जी का सेवन तथा पुनर्नवादि मंडूर की गोलिया लेने से यकृत रोगों में लाभ मिलता है .
पुनर्नवा से संधिवात में लाभ
पुनर्नवा की सब्जी सौंठ मिला कर सेवन करने से संधिवात में लाभ होता है .
एडी के दर्द में पुनर्नवा का प्रयोग
पुनर्नवा के पंचांग को पीस कर एडी पर लेप करने से एडी के दर्द में फायदा होता है .
जहरीले कीट के काटने पर पुनर्नवा का उपयोग
किसी जहरीले कीट द्वारा काट लिए जाने पर पुनर्नवा की जड़ को घिस कर लेप करने से जहर का प्रभाव कम होता है .
पुनर्नवा उदर रोगों में लाभदायक
पेट सम्बंधित समस्याओं गैस , बदहजमी आदि में पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है .
पुनर्नवा के नुकसान
पुनर्नवा एक महत्त्वपूर्ण और उपयोगी आयुर्वेद औषधि है जिसका विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है किन्तु अनुचित मात्रा में सेवन करने से तथा व्यक्ति विशेष को पुनर्नवा के नुकसान भी हो सकते हैं . इसलिए पुनर्नवा का सेवन चिकित्सक के परामर्श से ही करें . आइये जानते हैं पुनर्नवा के नुकसान किन व्यक्तियों को हो सकते हैं .
- पुनर्नवा एक मूत्रल औषधि है जो शरीर में मूत्र की मात्रा बढाती है इसलिए जिन लोगों को मूत्राधिक्य ( बार बार पेशाब जाना ) की समस्या है उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
- जो लोग किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं और अन्य दवा ले रहे हैं उन्हें इके सेवन से पूर्व अपने चिकित्सक से अवश्य परामर्श करना चाहिए .
- जिन लोगों को पुनर्नवा से एलर्जी है उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
FAQ
प्रश्न – पुनर्नवा कौनसी बीमारी में काम आता है ?
उत्तर – पुनर्नवा अनेक औषधीय गुणों से युक्त होता है जो सूजन , पीलिया , किडनी के रोग , आँखों के रोग , पेशाब की समस्याओं आदि में औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है .
प्रश्न – क्या पुनर्नवा से लिवर खराब हो सकता है ?
उत्तर – पुनर्नवा लिवर के लिए लाभदायक और स्वास्थ्य वर्धक होता है .
प्रश्न – क्या हम पुनर्नवा रोज ले सकते हैं ?
उत्तर – पुनर्नवा का सेवन निर्धारित मात्रा में और सीमित अवधि के लिए आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श अनुसार करना चाहिए .
दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग के इस लेख में हमने आयुर्वेद औषधि पुनर्नवा के फायदे और नुकसान से सम्बन्धित जानकारी शेयर की . आशा है आपको जानकारी अच्छी लगी होगी . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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