हैलो दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आज हम बता रहे हैं कि प्रवाल पिष्टी क्या है और आयुर्वेद डॉक्टर के अनुसार स्वास्थ्य के लिए प्रवाल पिष्टी के फायदे क्या क्या हैं ?
प्रवाल पिष्टी क्या है ?
प्रवाल पिष्टी एक आयुर्वेद औषधि है जो प्रवाल ( मूंगा ) से बनायी जाती है . प्रवाल पिष्टी बनाने के लिए शुद्ध प्रवाल को बारीक कूट कर चूर्ण बनाते हैं . इस चूर्ण को गुलाब जल के साथ दो सप्ताह तक प्रतिदिन 8-8 घंटे घोटकर पिष्टी बनाते हैं . यह प्रवाल पिष्टी आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग की जाती है .
प्रवाल पिष्टी सौम्य और पित्तनाशक होती है . यह अम्लपित्त , रक्त पित्त , रक्त प्रदर , आँखों की जलन आदि विकारों को नष्ट करती है . प्रवाल पिष्टी कैल्शियम का उत्तम स्रोत होती है जो अस्थियों के रोगों में अत्यंत गुणकारी होती है .
प्रवाल पिष्टी के फायदे और नुकसान
अनेक रोगों के उपचार में प्रयोग की जाने वाली आयुर्वेद औषधि प्रवाल पिष्टी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है . शीतल और सौम्य होने के कारण इसका सेवन बच्चे , बूढ़े , पुरुष , महिला सभी कर सकते हैं और सभी के स्वास्थ्य के लिए यह हितकारी औषधि सिद्ध होती है . प्रश्न उठता है कि क्या प्रवाल पिष्टी से नुकसान भी हो सकता है ? आइये जानते हैं प्रवाल पिष्टी के फायदे और नुकसान के बारे में .
प्रवाल पिष्टी के फायदे
विभिन्न रोगों में प्रवाल पिष्टी के फायदे निम्नानुसार हैं –
1.अम्लपित्त ( एसिडिटी ) में प्रवाल पिष्टी से लाभ
एसिडिटी की समस्या होने पर अविपत्तिकर चूर्ण के साथ प्रवाल पिष्टी का सेवन करने से एसिडिटी में लाभ मिलता है .
2. रक्त पित्त में प्रवाल पिष्टी के प्रयोग से फायदा
पित्त के विकार के कारण रक्त पित्त ( शरीर के किसी अंग से खून बहना ) रोग उत्पन्न होता है . रक्तपित्त होने पर स्वर्ण माक्षिक भस्म के साथ प्रवाल पिष्टी के सेवन से रक्तपित्त में फायदा होता है .
3. रक्त प्रदर में प्रवाल पिष्टी का उपयोग
महिलाओं में रक्त प्रदर की समस्या होने पर बोलबद्ध रस और नागकेसर चूर्ण के साथ प्रवाल पिष्टी का प्रयोग करने से रक्त प्रदर में अतिशीघ्र लाभ होता है .
4. हृदय की कमजोरी में प्रवाल पिष्टी का फायदा
हृदय की कमजोरी में प्रवाल पिष्टी को शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है और हृदय की धड़कन सामान्य होती है . बेहतर परिणाम के लिए अर्जुनारिष्ट का प्रयोग भी साथ में करना चाहिए . ( यह भी पढ़ें – अर्जुनारिष्ट के फायदे )
5. खूनी बवासीर में प्रवाल पिष्टी का प्रयोग
रक्तार्श ( खूनी बवासीर ) होने पर प्रवाल पिष्टी , मुक्ता शुक्ति पिष्टी और नागकेसर चूर्ण का सेवन करने से लाभ होता है .
6. बाल शोष या सूखा रोग में प्रवाल पिष्टी लाभकारी
बाल शोष रोग में बच्चा कमजोरी से बिलकुल सूखने लगता है और उसकी हड्डियां दिखने लग जाती हैं . ऐसी स्थिति में प्रवाल पिष्टी का सेवन कराने से लाभ होता है और कैल्शियम के कारण बच्चे की हड्डियां मजबूत होती हैं तथा स्वास्थ्य में सुधार होता है .
7. प्रवाल पिष्टी के सेवन से शुक्र में वृद्धि
शुक्र ( वीर्य ) पतला होने पर प्रवाल पिष्टी को च्यवनप्राश के साथ सेवन कराने से वीर्य गाढा होता है . अश्वगंधारिष्ट का सेवन साथ में करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं . ( यह भी पढ़ें – अश्वगंधारिष्ट के फायदे )
8. जोड़ों के दर्द में प्रवाल पिष्टी का उपयोग
जोड़ों में दर्द होने पर प्रवाल पिष्टी का सेवन अजमोदादि चूर्ण के साथ करने से दर्द में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – जोड़ों के दर्द की आयुर्वेदिक दवा )
9. आँखों में जलन में प्रवाल पिष्टी के फायदे
आँखों में जलन और लालिमा होने पर प्रवाल पिष्टी और सप्तामृत लौह का प्रयोग करने से लाभ होता है .
10. सिर दर्द में प्रवाल पिष्टी से फायदा
पित्त विकार के कारण होने वाले सिर दर्द में प्रवाल पिष्टी को बादाम के हलवे के साथ खाने से सिर दर्द में फायदा होता है .
11. लिवर के लिए प्रवाल पिष्टी के लाभ
यकृत विकार में प्रवाल पिष्टी को आरोग्यवर्धिनी वटी के साथ पीस कर शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है . ( जानें – आरोग्यवर्धिनी वटी सेवन विधि )
12. बुखार में प्रवाल पिष्टी का प्रयोग
प्रवाल पिष्टी और गिलोय सत्त्व को शहद के साथ चाटने से बुखार की तीव्रता कम होती है और रोगी को आराम मिलता है .
13. पेशाब की जलन में प्रवाल पिष्टी से लाभ
पेशाब में जलन होने पर प्रवाल पिष्टी को गुलकंद के साथ सेवन करने से लाभ होता है . साथ में चन्दनासव का प्रयोग करने से आशातीत लाभ होता है .
14. प्रवाल पिष्टी का वमन ( उल्टी ) में फायदा
पित्त विकार के कारण उल्टी होने पर प्रवाल पिष्टी को आंवले के मुरब्बे के साथ सेवन करने से लाभ होता है .
15. फेफड़ों की कमजोरी में प्रवाल पिष्टी के प्रयोग से लाभ
फेफड़े कमजोर होने की स्थिति में प्रवाल पिष्टी और गिलोय सत्त्व को च्यवनप्राश के साथ सेवन करने से लाभ होता है .
प्रवाल पिष्टी के नुकसान
प्रवाल पिष्टी सौम्य होने कारण स्पष्टतया इसके नुकसान नहीं देखने को मिलते किन्तु कुछ परिस्तिथियों में इसके सेवन से नुकसान हो सकते हैं . आइये जानते हैं प्रवाल पिष्टी के नुकसान कैसे हो सकते हैं –
- मात्रा का ज्ञान न होना – सही मात्रा में सेवन नहीं करने से प्रवाल पिष्टी से नुकसान की संभावना हो सकती है इसलिए चिकित्सक के निर्देशानुसार सही मात्रा में सेवन करना चाहिए .
- अधिक अवधि तक सेवन करने से – लम्बे समय तक सेवन करने से भी नुकसान की संभावना होती है इसलिए सेवन से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श अवश्य करना चाहिए .
- एलर्जी होने पर – प्रवाल ( मूंगा ) या कैल्शियम से एलर्जी होने की स्थिति में प्रवाल पिष्टी के सेवन से नुकसान हो सकता है इसलिए एलर्जी होने पर प्रवाल पिष्टी का सेवन न करें .
प्रवाल पिष्टी सेवन विधि
मात्रा – 125 -250 mg
अनुपान – शहद , गुलकंद . च्यवनप्राश आदि ( रोगानुसार )
दोस्तों , इस आर्टिकल में स्वास्थ्य के लिए प्रवाल पिष्टी के फायदे बताये गये . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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