पुरुषों में प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है ? जानिये 6 लक्षण और उपचार .

हैलो दोस्तों ! आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आज का विषय है ‘ पुरुषों में प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है ‘ एवं इसके लक्षण तथा उपचार क्या हैं ? प्रोस्टेट ग्लैंड पुरुष जननेंद्रिय की महत्त्वपूर्ण रचना है . एक स्वस्थ व्यक्ति में इसका औसत वजन 20 ग्राम होता है . 50 वर्ष की उम्र के बाद यह बढ़ जाती है और लगभग 60 वर्ष की उम्र में इसके लक्षण प्रकट होते हैं .

प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है

प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण

प्रोस्टेट बढ़ने पर पेशाब सम्बंधित समस्याओं में इजाफा हो जाता है . प्रोस्टेट ग्लैंड या पौरुष ग्रंथि बदने पर मुख्यतः निम्नलिखित लक्षण दिखायी देते हैं –

  • मूत्र त्याग करने के बाद भी मूत्राशय का पूरी तरह खाली महसूस ना होना .
  • मूत्र त्याग करने के कुछ समय बाद दोबारा मूत्र त्याग की इच्छा होना .
  • रुक रुक कर मूत्र त्याग करना .
  • मूत्र त्याग में जोर लगाने की आवश्यकता महसूस होना .
  • पेशाब या मूत्र को कुछ समय भी रोक पाने में मुश्किल होना .
  • रात को बार बार मूत्र त्याग हेतु उठना .

प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है ?

प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है
प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है ?

जिस प्रकार स्त्रियों में 45- 50 की उम्र के बाद मेनोपोज की स्थति होती है वैसे ही पुरुषों में भी 50 की उम्र के बाद मेल हार्मोन्स की कमी आने लगती है और पौरुष ग्रंथि बढ़ने लगती है . प्रोस्टेट बढ़ने के निश्चित कारण अभी अज्ञात हैं किन्तु निम्नलिखित सामान्य कारण माने जा सकते हैं – ( अन्य पढ़ें – जल्दी रजोनिवृत्ति के लक्षण )

  • उम्र का प्रभाव – 60 वर्ष की उम्र के बाद प्रोस्टेट बढना एक सामान्य बात समझा जाता है . 90 प्रतिशत पुरुषों में 70 – 80 की उम्र में प्रोस्टेट वृद्धि के लक्षण दिखायी देते हैं . ( यह भी पढ़ें – लम्बी उम्र जीने का राज )
  • आनुवंशिक – यदि BPH या पौरुष ग्रंथि बढ़ने का पारिवारिक इतिहास रहा हो तो इसके होने की संभावना अधिक हो जाती है .
  • गंभीर रोगों से ग्रस्त – डायबिटीज या हार्ट डिजीज के रोगियों में भी प्रोस्टेट की समस्या की संभावना अधिक हो जाती है .
  • शारीरिक श्रम में कमी – अधिक आराम तलब जिन्दगी जीने वालों और शारीरिक श्रम न करने वालों में भी इसके लक्षण अधिक दिखाई देने की संभावना है .

प्रोस्टेट में क्या खाना चाहिए ?

प्रोस्टेट के रोगियों के निम्नलिखित खाद्य पदार्थ लाभप्रद हैं –

प्रोस्टेट में क्या खाना चाहिए
प्रोस्टेट में क्या खाना चाहिए ?

प्रोस्टेट में क्या नहीं खाना चाहिए ?

प्रोस्टेट के रोगी को बार बार मूत्र त्याग करना पड़ता है . रात में मूत्र त्याग के लिए बार बार उठने के कारण व्यक्ति अपनी नींद भी पूरी नहीं कर पाता और दिन भर थका थका रहता है . इसलिए प्रोस्टेट के रोगी को ऐसी चीजों से बचना चाहिए जो मूत्र का वेग बढाती हो . प्रोस्टेट की समस्या होने पर निम्नलिखित चीजों से बचना चाहिए –

प्रोस्टेट में क्या नहीं खाना चाहिए

प्रोस्टेट आयुर्वेदिक मेडिसिन

प्रोस्टेट में मूत्र संबंधी कई प्रकार की तकलीफों का सामना करना पड़ता है . किसी को पेशाब अधिक आने की समस्या होती है , किसी को पेशाब में रुकावट का सामना करना पड़ता है तो किसी को पेशाब में जलन भी होती है . ऐसी स्थिति में लक्षणों के आधार पर चिकित्सा करना उपयुक्त रहता है .

यदि पेशाब में रुकावट हो तो पुनर्नवारिष्ट , गोक्षुर चूर्ण आदि का सेवन कराना चाहिए . पेशाब अधिक आने की स्थिति में तारकेश्वर रस की 2-2 गोलियां दे सकते हैं . मूत्र त्याग के समय जलन का अहसास होने पर चन्दनासव दिया जा सकता है .

प्रोस्टेट ( पौरुष ग्रंथि ) या BPH की समस्या के लिए आयुर्वेद की निम्नलिखित औषधियों का लक्षणों के आधार पर योग्य चिकित्सक के दिशा निर्देशानुसार प्रयोग किया जा सकता है –

FAQ

प्रश्न – 40 साल की उम्र में प्रोस्टेट का नार्मल साइज कितना होता है ?

उत्तर – एक स्वस्थ व्यक्ति में प्रोस्टेट का औसत वजन 20 ग्राम होता है .

प्रश्न – प्रोस्टेट में क्या परहेज करें ?

उत्तर -प्रोस्टेट की समस्या होने पर शराब , मांसाहार , दूध , चाय , कॉफ़ी , कोल्ड ड्रिंक , रात में पानी पीना आदि से बचना चाहिए .

प्रश्न – प्रोस्टेट बढ़ने का मुख्य कारण क्या है ?

उत्तर – प्रोस्टेट बढ़ने का मुख्य कारण उम्र का प्रभाव है . 60-70 की उम्र के बाद अधिकतर लोगों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है . इसके अलावा शारीरिक श्रम में कमी और आनुवंशिकता भी कारण होते हैं .

प्रश्न – कौनसे खाद्य पदार्थ प्रोस्टेट को रोकते हैं ?

उत्तर – नींबू , संतरा , अंगूर , कीवी जैसे फल और हरी सब्जियां प्रोस्टेट वृद्धि की संभावनाओं को कम करते हैं .

दोस्तों , आशा है आपको हमारा आर्टिकल ‘ पुरुषों में प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है ? जानिए लक्षण और उपचार ‘ पसंद आया होगा . अगले लेख में हम आपके लिए अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ फिर हाजिर होंगे .

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