हैलो दोस्तों ! आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में हम आपके लिए स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद से सम्बंधित जानकारी पेश करते हैं . इसी कड़ी में हम आज आपको बवासीर में छाछ पीने के फायदे बताने जा रहे हैं . हमें आशा है आपको यह जानकारी अवश्य पसंद आयेगी .
छाछ क्या है ?
दही में आधा पानी मिला कर मथने से न अधिक गाढा और न अधिक पतला जो द्रव ( तरल ) प्राप्त होता है , उसे छाछ कहते हैं . आयुर्वेद ग्रंथों में इसे तक्र कहा गया है .
चरक मतानुसार छाछ ( तक्र ) के तीन प्रकार होते हैं –
- रुक्ष – पूरा मक्खन निकाला हुआ
- अर्द्ध स्नेह युक्त – आधा मक्खन निकाला हुआ
- पूर्ण स्नेह युक्त – बिल्कुल भी मक्खन नहीं निकाला हुआ
इसके अलावा आचार्य भावमिश्र के अनुसार जल एवं मक्खन की मात्रानुसार पांच प्रकार छाछ या तक्र के होते हैं .
- घोल – मलाई सहित बिना पानी मिलाये मथा हुआ दही
- मथित – मलाई हटा कर दही को मथना
- उदाश्वित – मलाई युक्त आधा पानी मिला कर मथा हुआ दही
- छाछ – दही में आधा पानी मिला कर मथने के बाद पूरा मक्खन निकाल लेना
- तक्र – दही में चौथाई पानी मिला कर मथना एवं मक्खन नहीं निकालना
छाछ पीने के फायदे और नुकसान
आयुर्वेद अनुसार छाछ कफ वात नाशक , अग्नि दीपक , उदर रोग , अर्श , संग्रहणी , मूत्रकृच्छ नाशक , वीर्यवर्धक और तृप्ति करने वाली होती है . विभिन्न रोगों में छाछ का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा बताया जाता है . आइये जानते हैं छाछ पीने के फायदे और नुकसान क्या हैं .
छाछ पीने के फायदे
उदर शूल ( पेट दर्द ) में छाछ का प्रयोग
वातज उदर शूल में पिप्पली चूर्ण और सैंधा नमक मिला कर छाछ पीने से लाभ होता है . पित्तज उदर शूल में चीनी और मुलेठी मिलाकर छाछ का सेवन करने से फायदा होता है . कफज उदर शूल में अजवायन , जीरा , सैंधा नमक मिलाकर छाछ पीने से लाभ होता है .
जलोदर ( पेट में पानी ) में छाछ से फायदा
पेट में पानी भर जाने पर छाछ में त्रिकटु चूर्ण मिला कर पीने से फायदा होता है .
मूत्रावरोध ( पेशाब की रुकावट ) में छाछ से फायदा
पेशाब की रुकावट होने पर छाछ पीने से रुकावट खत्म होती है और पेशाब खुल कर आता है .
अतिसार एवं संग्रहणी में छाछ के फायदे
अतिसार एवं संग्रहणी ( बार बार दस्त जाना ) में छाछ का सेवन करने से लाभ होता है .
पीलिया में छाछ का उपयोग
पांडु ( पीलिया ) रोग में छाछ का सेवन लाभकारी होता है .
अर्श ( बवासीर ) में छाछ का सेवन लाभप्रद
बवासीर के रोगियों के लिए छाछ का सेवन अत्यंत लाभदायक होता है .
छाछ से नुकसान
आयुर्वेद के अनुसार निम्नलिखित व्यक्तियों को छाछ का सेवन नहीं करना चाहिए अन्यथा स्वास्थ्य को नुकसान हो सकते हैं .
- रक्तपित्त के रोगी को ( यह भी पढ़ें – नकसीर का आयुर्वेदिक इलाज )
- उरः क्षत से पीड़ित व्यक्ति को
- दुर्बल व्यक्ति को
- मूर्च्छा , भ्रम एवं दाह से पीड़ित को
- अम्लपित्त के रोगी को ( यह भी पढ़ें – एसिडिटी का तुरंत इलाज )
इसके अलावा आयुर्वेद अनुसार ग्रीष्मकाल ( तेज गर्मी ) में छाछ का सेवन मना किया गया है .
बवासीर में छाछ पीने के फायदे
अर्श या बवासीर एवं संग्रहणी रोगियों के लिए छाछ अमृत के समान कहा गया है . बवासीर होने पर छाछ के निम्नलिखित प्रयोग अत्यंत लाभदायक सिद्ध होते हैं –
- हरड़ के चूर्ण को छाछ के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – छोटी हरड़ के फायदे और नुकसान )
- त्रिफला चूर्ण के साथ छाछ का सेवन बवासीर में अत्यंत लाभदायक है .
- चित्रक का चूर्ण छाछ के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है .
- पंचकोल चूर्ण का छाछ के साथ सेवन करना बवासीर के रोगियों के लिए लाभप्रद होता है .
क्यों होता है बवासीर में छाछ का सेवन फायदेमंद ?
बवासीर में छाछ का प्रयोग लाभदायक होता है , यह बात अधिकतर लोग जानते हैं मगर किस तरह छाछ बवासीर में फायदेमंद है आइये जानते हैं . ( यह भी पढ़ें – बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने का उपाय )
जठराग्नि को सही कर पाचन क्रिया में सुधार करती है
छाछ के सेवन से दुर्बल जठराग्नि को बल मिलता है एवं प्रदीप्त अग्नि को स्थिरता प्राप्त होती है , जिससे पाचन क्रिया में सुधार होता है .
छाछ में वसा की कमी होती है
दही में मक्खन निकाल कर छाछ बनायी जाती है इसलिए छाछ में फैट नहीं होता जो बवासीर के रोगी के लिए सुपाच्य और स्वास्थ्यवर्धक होती है . ( यह भी पढ़ें – खूनी बवासीर का रामबाण इलाज )
आँतों का कार्य सम्पादन अच्छा होता है
छाछ का सेवन आँतों का कार्य सम्पादन बेहतर बनाता है जिससे पाचन सही होकर मलत्याग में आसानी होती है .
छाछ में है भरपूर पानी की मात्रा
छाछ पूर्ण तरल और पानी से युक्त होने के कारण मल को पतला करती है जिससे कब्ज दूर होकर बवासीर के रोगी को लाभ होता है .
दोस्तों , इस आर्टिकल में प्रस्तुत “ बवासीर में छाछ पीने के फायदे ” जानकारी कैसी लगी ? अपनी राय बताइयेगा . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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