भारत में पायी जाने वाली अनेक गुणकारी वनौषधियों में बाकुची का महत्त्वपूर्ण स्थान है . इस महत्त्वपूर्ण औषधि बाकुची के उपयोग और बाकुची चूर्ण के फायदे हम इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं . हमें आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी .
बाकुची का पौधा
भारत में लगभग सभी प्रान्तों में पाए जाने वाले बापची या बाकुची का पौधा 1-4 फुट ऊंचा होता है . यह सीधा खड़ा रहता है और अधिकतर जमीन में यह पौधा अपने आप उगता है . बाकुची की पत्तियाँ 1-3 इंच की होती हैं , ये गोल , चमकीली और मुलायम होती हैं . बाकुची के फूल नीलापन लिए हल्के बैंगनी या जामुनी रंग के होते हैं .
बाकुची के फल पौधे की टहनी के उसी हिस्से से निकलते हैं जहां से इसकी पत्तियाँ निकलती हैं . इसके फल काले रंग के , छोटे , चिकने , लम्बे और गोल होते हैं . इसकी प्रत्येक फली में एक ही बीज पैदा होता है .
बाकुची के अन्य नाम
बाकुची को अलग अलग भाषाओं में अलग अलग नाम से जाना जाता है जो निम्नानुसार है .
- हिंदी भाषी क्षेत्रों में – बाकुची , बावची , बागुची , बकुची , बापची
- उर्दू में – बावची
- तेलुगु में – भवोजी
- पंजाब में – बावची
- गुजरात में – बावचीनवी
- महाराष्ट्र में – बावची
- बंगाल में – लोताकोस्तूरी
बाकुची के उपयोग
आयुर्वेद में बाकुची को एक महत्त्वपूर्ण और उपयोगी औषधि माना गया है तथा इसके सभी अंगों का विभिन्न रोगों में औषधीय प्रयोग बताया गया है .
बाकुची की जड़ का उपयोग
बाकुची की जड़ का आयुर्वेद में दांतों की सड़न रोकने हेतु औषधीय उपयोग बताया गया है .
बाकुची की पत्तियों का उपयोग
बाकुची की पत्तियों का अतिसार ( दस्त ) के उपचार हेतु प्रयोग किया जाता है .
बाकुची के फल का उपयोग
बाकुची के फलों का आयुर्वेद में सफ़ेद दाग , चर्म रोग , उल्टी , बवासीर , अस्थमा , पीलिया , सूजन आदि रोगों में प्रयोग बताया गया है .
बाकुची के बीज का उपयोग
बाकुची के बीजों को मृदु विरेचक , कृमि नाशक , रक्तपित्त शामक , ज्वर नाशक और सफ़ेद दाग में उपयोगी बताया गया है .
बाकुची से बनने वाली औषधियां
बाकुची से कई प्रकार की औषधियों का निर्माण किया जाता है जो विभिन्न रोगों में विशेषतः सफ़ेद दाग और चर्म रोगों में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा उपयोग की जाती हैं . बाकुची से निर्मित होने वाली मुख्य औषधियां निम्लिखित हैं .
- कुष्ठहर वटी
- कुष्ठहर तेल
- रसादि लेप
- सितादि लेप
- बाकुची चूर्ण
- बाकुची तेल
बाकुची चूर्ण के फायदे
बाकुची चूर्ण का सफ़ेद दाग ( श्वित्र ) व अन्य त्वचा रोगों में विशेष रूप से उपयोग किया जाता है . आइये जानते हैं बाकुची चूर्ण के फायदे किन किन रोगों में हैं .
ल्यूकोडर्मा ( सफ़ेद दाग ) में बाकुची चूर्ण अत्यंत लाभदायक
ल्यूकोडर्मा या विटिलिगो जिसे श्वित्र या सफ़ेद दाग भी कहते हैं के इलाज में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा बाकुची चूर्ण को प्रमुखता दी जाती है तथा अन्य औषधियों के संयोग से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं . ( यह भी पढ़ें – सफ़ेद दाग की आयुर्वेदिक दवा )
सोरायसिस में बाकुची चूर्ण लाभदायक
बाकुची को कुष्ठघ्न कहा गया है तथा यह सभी प्रकार के कुष्ठ रोगों में प्रभावी ढंग से कार्य करता है . मंडल कुष्ठ ( सोरायसिस ) में बाकुची चूर्ण का प्रयोग लाभप्रद होता है .
बाकुची चूर्ण कृमि रोग में लाभकारी
बाकुची कृमि नाशक होने के कारण बाकुची चूर्ण का सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं .
रक्तपित्त में बाकुची चूर्ण के फायदे
रक्त पित्त ( नाक , मुंह आदि से खून निकलना ) में बाकुची का चूर्ण सेवन करने से लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – नकसीर का आयुर्वेदिक इलाज )
बाकुची चूर्ण से सूजन में फायदा
शोथहर गुण के कारण बाकुची चूर्ण का सेवन करने से सूजन में फायदा होता है .
अस्थमा में बाकुची चूर्ण से लाभ
बाकुची चूर्ण का श्वसनवह संस्थान पर अच्छे प्रभाव के कारण बाकुची चूर्ण का प्रयोग करने से अस्थमा के रोगी को लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – दमा की आयुर्वेदिक दवा )
बाकुची के तेल के फायदे
बाकुची के तेल का प्रयोग सफ़ेद दाग व अन्य चर्म रोगों में बाह्य प्रयोग किया जाता है . बाकुची के तेल को प्रभावित स्थान पर रुई के फाहे से लगाया जाता है . सफ़ेद दाग में बाकुची के तेल के प्रयोग से कभी कभी फफोले हो जाते हैं . ऐसी स्थिति में फफोलों को बिना छेड़े बाकुची तेल का प्रयोग बंद कर देना चाहिए . जब फफोले सही हो जाएँ तो पुनः बाकुची तेल का प्रयोग करना चाहिए .
दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग के इस लेख में हमने बाकुची के औषधीय उपयोग एवं बाकुची चूर्ण के फायदे से सम्बंधित जानकारी शेयर की . आशा है आपको जानकारी अच्छी लगी होगी . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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