शिशुओं से लेकर बुजुर्गों तक की समस्या अतिसार या दस्त से सभी परिचित हैं . यह वो स्थिति है जिसका सामना अपने जीवन काल में लगभग सभी को करना पड़ता है . कुछ लोग बार बार इस समस्या से ग्रसित होते रहते हैं . इस आर्टिकल में हम बता रहे हैं “ बार बार दस्त लगने का क्या कारण है ?
दस्त के प्रकार
अतिसार या दस्त के कई रूप देखने को मिलते हैं , मुख्यतः दस्त के प्रकार निम्नलिखित हैं –
बच्चों के दस्त
बच्चों में दस्त की शिकायत सबसे अधिक देखी जाती है . बच्चों में दस्त का मुख्य कारण इन्फेक्शन होता है . बच्चों में यह इन्फेक्शन ( संक्रमण ) दूध के माध्यम से बोतल द्वारा दूध पिलाने के कारण फैलता है . बच्चों में दस्त की शुरुआत तेज दस्तों के साथ हो सकती है . प्रारम्भ में मल का रंग पीला होता है जो आगे चल कर हरा या सफ़ेद भी हो सकता है . मल के साथ बिना पचे हुए भोजन के अंश मिले होने के कारण दस्त बहुत दुर्गन्ध युक्त हो सकते हैं .
कई बार दस्तों के साथ उल्टी की शिकायत भी होती है . शरीर का तापमान बढ़ जाता है और बच्चा दर्द की शिकायत भी करता है . डिहाईड्रेशन के कारण चेहरा निस्तेज हो जाता है . समय पर उपचार नहीं कराने एवं लापरवाही बरतने पर बच्चे के प्राणों को संकट की नौबत भी आ जाती है . ( यह भी पढ़ें – गठिया को जड़ से खत्म करने का उपाय )
तीव्र दस्त
यह हलके दर्द और मरोड़ के साथ शुरू होता है . इसमें पतले दस्त होते हैं और कभी कभी जी मिचलाना या उल्टी की शिकायत भी होती है . रोगी को प्यास अधिक लगती है और पेशाब कम तथा पीले रंग का आता है . दस्त और उल्टी लगातार होने से निर्जलीकरण ( डिहाईड्रेशन ) हो जाता है .
वातिक अतिसार ( दस्त )
इस प्रकार के दस्त में किसी प्रकार का दर्द नहीं होता एवं मल भी पतला नहीं होता . रोगी द्वारा कुछ भी खाने पर मल त्याग के लिए जाना पड़ता है . इसे लिएनटेरिक डायरिया भी कहा जाता है . इसके मुख्य कारण भय , चिंता , मानसिक तनाव आदि हैं .
संक्रमण जन्य अतिसार ( दस्त )
जीवाणु संक्रमण के कारण होने वाले दस्त को इस श्रेणी में रखा जाता है . Bacterial Infection के कारण होने वाले दस्त में दर्द और मरोड़ की शिकायत होती है . मल सामान्य से पतला होता है .
बार बार दस्त लगने का क्या कारण है ?
अतिसार या दस्त के कई कारण हो सकते हैं . मुख्यतः अतिसार के निम्नलिखित कारण माने जाते हैं –
दूषित भोजन
बाजार में खुले में मिलने वाला भोजन पनीर , मावा , मछली , मांस जैसे खाद्य पदार्थ मक्खियों आदि से दूषित होता है जिसके सेवन से व्यक्ति को दस्त की समस्या हो जाती है .
अपक्व या बासी भोजन
बिना पका हुआ भोजन एवं ठंडा बासी भोजन का प्रयोग भी दस्त होने का कारण बनता है .
गर्मियों का मौसम
गर्मियों में भोजन जल्दी प्रदूषित और संक्रमित होता है जिसके कारण गर्मियों में दस्त की बीमारी का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है .
गन्दगी के कारण
गन्दगी के कारण मक्खी , मच्छर अधिक पनपते हैं जो भोजन के सम्पर्क में आकर उसे दूषित कर देते हैं . इस भोजन का सेवन करने से व्यक्ति अतिसार से पीड़ित हो जाता है .
एलर्जी के कारण
किसी पदार्थ विशेष से एलर्जी होने पर भोजन में उस पदार्थ की मौजूदगी के कारण होने वाले दुष्प्रभावों में दस्त भी हो सकते हैं .
संक्रमण के कारण
वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन दस्त होने के मुख्य कारणों में एक है .
किसी बीमारी के कारण
आँतों की समस्या , लिवर के रोग , अल्सर एवं पाचन संस्थान के अन्य विकारों के कारण भी व्यक्ति अतिसार से पीड़ित होता है .
फ़ूड पोइजनिंग के कारण
कई बार फ़ूड पोइजनिंग के कारण लोग सामूहिक रूप से दस्त और उल्टी के शिकार होते हैं .
दवाओं के दुष्प्रभाव से
कुछ एंटीबायोटिक्स के सेवन से दस्त की समस्या हो जाती है .
मानसिक कारण
दस्त या अतिसार के मानसिक कारण भी देखने को मिलते हैं . कुछ लोगों को यात्रा के दौरान दस्त की शिकायत हो जाती है .
दस्त का घरेलू इलाज
दस्त होने पर निम्नलिखित घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं –
- दस्त होने पर डिहाईड्रेशन होने की आशंका होती है इसलिए ORS का घोल पीते रहें .
- यदि कच्चा नारियल पानी उपलब्ध होता है तो उसका सेवन करें .
- नमक , चीनी मिलाकर नीम्बू की शिकंजी पी सकते हैं .
- दही का सेवन अच्छा रहता है .
- पका केला खाना चाहिए .
- छाछ में काला नमक और ईसबगोल मिला कर लेना फायदेमंद है .
- 10-15 ग्राम अनार का छिलका और 2 ग्राम लौंग को पीस कर 250 मिली पानी में उबालें , आधा शेष रहने पर थोड़ा थोड़ा पियें .
- बिल्व ( बेल ) का जूस पियें .
- भोजन के बाद 2-3 ग्राम धनिया खाएं .
- थोड़ा थोड़ा गुनगुना पानी पियें . ( यह भी पढ़ें – अशोकारिष्ट के फायदे )
- हल्का एवं सुपाच्य भोजन करें .
- बाहर का भोजन या या डिब्बा बंद आहार का सेवन न करें .
- साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखें .
- 250 ग्राम सेव आधा लीटर पानी पानी में उबाल कर आधा शेष रहने पर थोड़ा थोड़ा पीते रहें .
- मूंग की दाल का पानी पियें .
उपर्युक्त घरेलू उपायों से दस्त में फायदा हो जाता है . विशेष परिस्थिति में फायदा न होने पर चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए .
दस्त रोकने की आयुर्वेदिक दवा
अतिसार के उपचार के लिए आयुर्वेद में विभिन्न प्रकार की औषधियां उपलब्ध होती हैं जिनका योग्य चिकित्सक के निर्देशन में सेवन करना चाहिए . दस्त रोकने की आयुर्वेदिक दवा निम्नलिखित हैं –
- कुटज घन वटी
- बिल्वादि गुटिका
- कर्पूर रस
- कर्पूर धारा
- दाडिमाष्टक चूर्ण
- धान्यपंचक क्वाथ
- दाडिमावलेह
- कुटजारिष्ट ( यह भी पढ़ें – कुटजारिष्ट के फायदे )
- बिल्वादिलेह
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