बिल्वादि चूर्ण के फायदे और नुकसान | 6 Benefits of Bilwadi Churna .

हैलो दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आज हम आयुर्वेद औषधि बिल्वादि चूर्ण के फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी दे रहे हैं . प्राचीन काल से ही बिल्व ( बेल ) को एक औषधि के रूप में विभिन्न रोगों में प्रयोग किया जाता रहा है . इसी बिल्व से बना बिल्वादि चूर्ण भी आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा ग्रहणी , अतिसार , आंव , मरोड़ आदि रोगों के उपचार में उपयोग किया जाता है .

बिल्वादि चूर्ण के फायदे और नुकसान

बिल्वादि चूर्ण क्या है ?

बिल्वादि चूर्ण एक आयुर्वेद औषधि है जिसका आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा दस्त , आंव , मरोड़ , पेट दर्द आदि में उपयोग किया जाता है . बिल्वादि चूर्ण का मुख्य घटक द्रव्य बिल्व ( बेल गिरी ) होता है . बिल्व का 15-20 फुट ऊंचा पेड़ होता है . इसके गोल फलों में गूदा भरा होता है जिसका जूस बनाया जाता है और सुखाकर बिल्व चूर्ण बनाया जाता है . बिल्व की जड़ , पत्तियाँ , फल , बीज छाल सभी का औषधीय प्रयोग किया जाता है .

बिल्व

बिल्वादि चूर्ण के घटक

बिल्वादि चूर्ण में निम्नलिखित घटक द्रव्य होते हैं –

  • बिल्व ( बेल गिरी )
  • मोचरस
  • धातकी पुष्प
  • भांग
  • सौंठ
  • सौंफ
  • धनिया

बिल्वादि चूर्ण के फायदे और नुकसान

बिल्वादि चूर्ण अतिसार , ग्रहणी , संग्रहणी में विशेषतः लाभदायक होता है . इसके अलावा भी कई रोगों के उपचार में बिल्वादि चूर्ण का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा किया जाता है . आइये जानते हैं बिल्वादि चूर्ण के फायदे और नुकसान क्या हैं .

बिल्वादि चूर्ण के फायदे

बिल्वादि चूर्ण के फायदे

ग्रहणी और संग्रहणी में लाभदायक

बिल्वादि चूर्ण के सेवन से ग्रहणी और संग्रहणी में विशेष लाभ होता है . संग्रहणी एक कष्टप्रद व्याधि है जिसमें रोगी का कुछ भी खाया पिया नहीं पचता और कुछ भी खाने या पीने के तुरंत बाद मलत्याग के लिए जाना पड़ता है . बार बार दस्त जाने के कारण रोगी बहुत कमजोर और दुखी हो जाता है . बिल्वादि चूर्ण का प्रयोग छाछ या दही के साथ करने से रोगी को लाभ होता है . साथ में कुटजारिष्ट का प्रयोग करने से शीघ्र लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – कुटजारिष्ट के फायदे और नुकसान )

बिल्वादि चूर्ण से अतिसार ( दस्त ) में फायदा

अतिसार होने पर बिल्वादि चूर्ण 2-5 ग्राम सुबह शाम सेवन करने से फायदा होता है . ( यह भी पढ़ें – बार बार दस्त लगने का क्या कारण है )

बिल्वादि चूर्ण से आंत्र शोथ में लाभ

बिल्वादि चूर्ण के सेवन से आँतों की सूजन में फायदा होता है .

शारीरिक कमजोरी दूर करने में सहायक

बिल्वादि चूर्ण को मिश्री मिले दूध के साथ सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है तथा रक्ताल्पता और वीर्य विकार में लाभ होता है .

रक्तातिसार में बिल्वादि चूर्ण के फायदे

रक्तातिसार ( खूनी पेचिश ) में बिल्वादि चूर्ण का प्रयोग करने से रोगी को लाभ होता है .

आंव एवं मरोड़ में बिल्वादि चूर्ण लाभकारी

आमदोष ( आंव ) एवं मरोड़ के साथ दस्त जाने पर बिल्वादि चूर्ण का सेवन करने से लाभ होता है .

बिल्वादि चूर्ण के नुकसान

बिल्वादि चूर्ण के नुकसान

सामान्यतः बिल्वादि चूर्ण के कोई दुष्प्रभाव नहीं देखने को मिलते किन्तु कुछ परिस्थितियों में इसके नुकसान हो सकते हैं .

  • कब्ज से पीड़ित व्यक्ति बिल्वादि चूर्ण का सेवन न करें अन्यथा समस्या में इजाफा हो सकता है .
  • जिन लोगों को बिल्वादि चूर्ण में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में किसी से एलर्जी है उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए .

बिल्वादि चूर्ण खाने का तरीका

बिल्वादि चूर्ण को सेवन करने का तरीका निम्नानुसार है .

बिल्वादि चूर्ण की सेवन विधि

मात्रा – 2-5 ग्राम ( सुबह – शाम दोनों समय )

अनुपान – पानी , छाछ , दही , अनार का रस . ( यह भी पढ़ें – अनार खाने के फायदे )

FAQ

प्रश्न – बिल्वादि चूर्ण क्या है ?

उत्तर – यह एक आयुर्वेद औषधि है जिसका मुख्य घटक बिल्व है .

प्रश्न – बिल्वादि चूर्ण को कैसे खाएं ?

प्रश्न – बिल्वादि चूर्ण सुबह – शाम 2-5 ग्राम की मात्रा में पानी , छाछ आदि के साथ लिया जाता है .

प्रश्न – क्या बिल्वादि चूर्ण रोज लिया जा सकता है ?

उत्तर – बिल्वादि चूर्ण एक आयुर्वेद औषधि है जो दस्त , संग्रहणी आदि होने पर चिकित्सक के मार्गदर्शन में प्रयोग करना चाहिए . बिना चिकित्सकीय परामर्श के इसे रोज लेने की सलाह नहीं दी जा सकती .

दोस्तों , आशा है इस आर्टिकल की जानकारी बिल्वादि चूर्ण के फायदे और नुकसान आपको पसंद आयी होगी . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .

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