बुरा है वो बहुत ही बुरा है , बुराई की खान है वो
गौर से देखा हो तो उसमे कुछ अच्छा मिला तो होगा ।
जो आज पत्थर सा दिखता है रूखा और कठोर सा
उस पत्थर के दिल में कभी कोई फूल खिला तो होगा ।
माना कि जख्मों का हिसाब नहीं रखता कभी वो
मगर चोरी चोरी कभी जख्मों को उसने सिला तो होगा ।
जो हंसकर झेल जाया करता है हर सितम यारों का
यकीनन वो भी कभी कभी कहीं अंदर से हिला तो होगा l
डॉ. राजेन्द्र वर्मा ” राजन “
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कैसी बात करते हो ?
हम तो आसमान उठा ले सिर पर , और
वो कभी रूठे भी नहीं कैसी बात करते हो ?
ताने सुनायेंगे हजार हम , उसके मुंह से
दो बोल फूटे भी नहीं कैसी बात करते हो ?
हम तो चोट मारेंगे दम ब दम , और सोचें
कि वो यूं टूटे भी नहीं कैसी बात करते हो ?
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डॉ. राजेन्द्र वर्मा ” राजन “