भाग दौड़ और अत्यधिक मानसिक श्रम वाली इस जिन्दगी में माइग्रेन के रोगियों की संख्या दिनोंदिन बढती जा रही है और आज हमारा विषय है माइग्रेन के लक्षण और उपाय .
माइग्रेन रोग क्या है ?
सिर में होने वाले बहुत तेज दर्द को माइग्रेन कहते हैं जिसमे तेज दर्द के साथ कई बार जी मिचलाना , उल्टी होना , चक्कर आना आदि लक्षण होते हैं . माइग्रेन के रोगी को पेन किलर मेडिसिन से कुछ समय के लिए राहत तो मिल जाती है किन्तु अधिकतर मामलों में इस रोग के कारण को न पहचाने से यह रोग वर्षों तक परेशान करता रहता है .
अधिकतर रोगियों को यह सिर दर्द पूरे सिर में न होकर आधे हिस्से में जैसे बायीं तरफ , दायीं तरफ , आँख के पीछे , कनपटियों में महसूस होता है . आयुर्वेद में इसे अर्धावभेदक और सामान्य बोलचाल की भाषा में आधासीसी का दर्द भी कहा जाता है .
माइग्रेन के कारण क्या हैं ?
माइग्रेन के निश्चित कारणों के बारे में ठीक ढंग से कुछ कहा नहीं जा सकता किन्तु इसके मुख्य कारणों में मानसिक तनाव भी एक कारण है . देखा भी गया है कि अत्यधिक मानसिक श्रम करने वालों और तनाव में रहने वाले व्यक्तियों को इस समस्या का अधिक सामना करना पड़ता है . आँखों से सम्बंधित परेशानी , मस्तिष्क का कोई विकार , शराब का अधिक सेवन , लिवर से सम्बंधित रोग , पेट का रोग , महिलाओं में पीरियड से सम्बंधित समस्या , एनीमिया , नींद की कमी , बहुत मेहनत का काम आदि भी माइग्रेन के कारण माने जा सकते हैं .
मांसपेशियों में खिंचाव , तेज धूप में अधिक रहना , अधिक शोर वाले स्थान पर रहना , क्रोध , उत्तेजना और भावुकता भी माइग्रेन का कारण बन जाते हैं .
माइग्रेन के लक्षण और उपाय
यह बहुत तेज होने वाला सिरदर्द है जिसकी विशेष पहचान यह है कि यह रोगी के सिर के जिस भाग में होता है वहाँ स्पंदन महसूस होता है . प्रभावित भाग को दबाने से कुछ समय के लिए राहत भी मिलती है .
माइग्रेन के लक्षण
- सिर में बहुत तेज दर्द होता है .
- सूर्य की रोशनी अच्छी नहीं लगती .
- दर्द की शुरुआत अधिकतर कनपटियों के आस पास अथवा भौंहों के बीच से होती है .
- रोगी को ऐसा लगता है जैसे सिर फट ही जाएगा .
- कोई काम करने की इच्छा नहीं होती .
- चक्कर आते हैं .
- जी मिचलाता है .
- अचानक उल्टी भी हो जाती है .
- तेज आवाज नहीं सुहाती है .
- दर्द सिर के आधे भाग में अथवा अधिकतर कनपटियों में महसूस होता है .
- यह कभी कभी अपने आप सही होकर कुछ समय बाद फिर से शुरू हो जाता है .
- यह दो चार घंटों से लेकर लगातार चौबीस घंटों तक भी महसूस हो सकता है .
- दर्द निवारक औषधि लेने पर कुछ समय के लिए शांत हो जाता है कुछ समय बाद पुनः होने लगता है .
- रोगी अँधेरे में अकेला शांत रहना चाहता है .
- रोगी को नींद आ जाती है तो पुनः जागने पर स्वस्थ महसूस करता है .
माइग्रेन के उपाय
- समय पर सोना और जागना चाहिए .
- अधिक देर तक भूखा नहीं रहना चाहिए .
- नियमित व्यायाम या योग करना चाहिए .
- तेज और आँखों को चुभने वाली रोशनी से बचना चाहिए .
- म्यूजिक बहुत तेज आवाज में नहीं सुनना चाहिए .
- भोजन आसानी से पचने वाला और बलवर्धक लेना चाहिए .
- किसी भी प्रकार के नशे से बचना चाहिए .
- गैस पैदा करने वाले , मैदा आदि से बने खाद्य पदार्थ और फास्ट फ़ूड से परहेज करना चाहिए .
- पानी भरपूर मात्रा में पीना चाहिए .
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माइग्रेन का आयुर्वेदिक इलाज
आयुर्वेद के अनुसार किसी भी रोग की चिकित्सा से पहले उस रोग के संभावित कारणों से बचना चाहिए . नियमित दिनचर्या और उचित खान पान के बाद आवश्यकता महसूस होने पर योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह अनुसार यदि पेट सम्बन्धी समस्या रहती है तो हिंग्वष्टक चूर्ण भोजन से पहले सेवन करना चाहिए . यदि कब्ज रहती है तो तरुणी कुसुमाकर चूर्ण , पञ्चसकार चूर्ण , त्रिफला चूर्ण आदि ले सकते हैं . नाक में अणु तेल या षड बिंदु तेल की दो दो बूँदें डालनी चाहिए . अश्वगंधा , ब्राह्मी आदि का प्रयोग चिकित्सक की देख रेख में करना चाहिए .
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