आयुर्वेद में वर्णित महत्त्वपूर्ण भस्म औषधियों में एक है लौह भस्म . लौह भस्म के फायदे , नुकसान और सेवन विधि से सम्बन्धित जानकारी आज इस आर्टिकल के माध्यम से आपके साथ साझा कर रहे हैं . खून की कमी , शारीरिक कमजोरी , पीलिया आदि की चिकित्सा में प्रयुक्त होने वाली लौह भस्म के उपयोग जानने के लिए पढ़ते रहिये .
लौह भस्म क्या है ?
लौह भस्म एक आयुर्वेदिक दवा है जो आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा मुख्यतः एनीमिया ( खून की कमी ) , पांडु ( पीलिया ) , दौर्बल्य ( कमजोरी ) आदि रोगों की चिकित्सा हेतु प्रयोग की जाती है . सामान्यतः लौह भस्म का प्रयोग अन्य आयुर्वेद औषधियों के साथ कराया जाता है . आयुर्वेदिक स्टोर पर लौह भस्म पाउडर के रूप में उपलब्ध होती है .
लौह भस्म के फायदे और नुकसान
आयुर्वेद में लौह भस्म के विभिन्न रोगों के उपचार में चिकित्सकीय उपयोग बताये गये हैं . पांडु , प्रमेह , रक्ताल्पता , दौर्बल्य , रक्तप्रदर आदि रोगों में लौह भस्म की महत्त्वपूर्ण उपयोगिता है किन्तु यह एक आयुर्वेदिक दवा है इसलिए हमेशा आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श और निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए . बिना चिकित्सकीय सलाह इसका सेवन करना नुकसानदायक भी हो सकता है . आइये जानते हैं लौह भस्म के फायदे और नुकसान क्या हैं .
लौह भस्म के फायदे
रक्ताल्पता ( खून की कमी ) और पांडु ( पीलिया ) में विशेषतः प्रयोग की जाने वाली आयुर्वेद औषधि लौह भस्म के अन्य कई रोगों में चिकित्सकीय उपयोग बताये गये हैं . आइये जानते हैं लौह भस्म के फायदे किन किन रोगों में प्राप्त होते हैं .
एनीमिया में लौह भस्म के लाभ
एनीमिया ( खून की कमी ) होने पर लौह भस्म का सेवन करने से रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार होता है और खून की कमी दूर होती है . ( यह भी पढ़ें – महिलाओं में खून की कमी दूर करने के उपाय )
पीलिया में लौह भस्म का उपयोग
पांडु ( पीलिया ) रोग की चिकित्सा में पुनर्नवा आदि अन्य आयुर्वेद औषधियों के साथ लौह भस्म का सेवन करने से रोगी को लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – पीलिया में क्या खाना चाहिए )
शारीरिक कमजोरी में लौह भस्म का प्रयोग
शरीर में कमजोरी और थकान होने पर लौह भस्म का सेवन करने से कमजोरी दूर होती है और बल की प्राप्ति होती है . ( यह भी पढ़ें – शरीर में कमजोरी और थकान दूर करने के उपाय )
रक्त प्रदर में लौह भस्म लाभकारी
महिलाओं में रक्त प्रदर की समस्या से कमजोरी और खून की कमी होने पर लौह भस्म का सेवन करने से लाभ होता है और कमजोरी दूर होती है .
लौह भस्म का प्रमेह रोग में उपयोग
प्रमेह रोग से उत्पन्न शारीरिक दौर्बल्य में लौह भस्म का सेवन करने से रोगी को लाभ होता है और कमजोरी नष्ट होती है .
लौह भस्म के नुकसान
लौह भस्म एक आयुर्वेद औषधि है जो हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श और दिशा निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए . बिना चिकित्सकीय सलाह स्वेच्छा से लौह भस्म का सेवन करना हानिकर भी हो सकता है . आइये जानते हैं लौह भस्म के नुकसान क्या हैं और इसके सेवन में क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए .
- लौह भस्म का अधिक सेवन करने से पेट सम्बन्धित समस्या उदर शूल , विबंध ( कब्ज ) आदि हो सकते हैं .
- लौह भस्म का अधिक सेवन उल्टी , जी मिचलाना आदि विकार उत्पन्न कर सकता है .
- गर्भवती महिलाओं को लौह भस्म के सेवन से पूर्व अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करना चाहिए .
- जिन लोगों को लौह भस्म से एलर्जी हो उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
- लौह भस्म के अधिक सेवन से मुंह का स्वाद बिगड़ सकता है और भोजन में अरुचि हो सकती है .
लौह भस्म सेवन विधि
लौह भस्म एक आयुर्वेदिक दवा है इसलिए आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा निर्देशित और निर्धारित मात्रा और अवधि तक सेवन करना चाहिए . सामान्यतः लौह भस्म सेवन विधि निम्नानुसार है .
मात्रा – 125-250 mg
अनुपान – शहद , अवलेह आदि ( चिकित्सक के निर्देशानुसार )
दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग के आज के लेख में हमने आयुर्वेदिक दवा लौह भस्म के फायदे , नुकसान और सेवन विधि से सम्बन्धित जानकारी शेयर की . आशा है आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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