हैलो दोस्तों ! आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में हमारा आज का विषय है ” शुगर में दही खाना चाहिए या नहीं ? ” . शुगर या डायबिटीज के रोगियों के लिए दूध के स्थान पर दही का सेवन करना अपेक्षाकृत अधिक अच्छा रहता है . मगर डायबिटीज के रोगियों को दही मलाई रहित ही लेना चाहिए .
दही खाने के फायदे और नुकसान
स्वास्थ्य की दृष्टि से दही एक उत्तम आहार है . यह स्वादिष्ट होने के साथ औषधीय गुणों से भरपूर भी होता है . दही में आवश्यक तत्त्वों की मौजूदगी के कारण यह शरीर लिए बहुत लाभदायक है . दही में प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट , फैट , खनिज लवण , विटामिन्स के अलावा कैल्शियम और फास्फोरस पर्याप्त मात्रा में मिलता है . यह माना जाता है कि दही में कैल्शियम की मात्रा दूध से 18 गुना अधिक होती है . ( सुबह खाली पेट ग्रीन टी पीने के फायदे )
दही खाने के फायदे निम्नलिखित हैं –
- दही में ‘ प्रोबायोटिक्स ‘ जीवाणु की मौजूदगी शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करती है .
- दही का जीवाणु समूह महिलाओं के स्तन कैंसर में फायदेमंद साबित हुआ है .
- दही का सेवन अतिसार ( दस्त ) में लाभदायक है .
- दही में नौसादर मिलाकर लगाने से दाद में लाभ मिलता है .
- दही में अजवाइन और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से बवासीर में फायदा होता है .
- दही पौरुष शक्ति बढाने में असरकारक होता है .
- बालों के स्वास्थ्य के लिए दही अच्छा होता है . ( बाल झड़ने से कैसे रोकें )
- दही का सेवन हड्डियों और दांतों के लिए लाभदायक है .
- दही का सेवन ह्रदय रोगों के खतरों से बचाता है .
- ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में भी दही भूमिका निभाता है .
- दही के सेवन से मोटापा कम होता है .
- दही में शहद मिलाकर लगाने से मुंह के छालों में लाभ होता है .
- दही में हल्दी और नीबू का रस मिलाकर लगाने से त्वचा के दाग धब्बे मिटते हैं .
- दही , बेसन तथा आटे का उबटन लगाने से त्वचा में निखार आता है .
दही खाने के नुकसान निम्नलिखित हैं –
- यूं तो दही पोषक तत्त्वों से भरपूर उत्तम आहार है किन्तु एसिडिटी के रोगियों के लिए अपने अम्लता के गुण के कारण अच्छा साबित नहीं होता . इसलिए अम्लपित्त ( एसिडिटी ) के रोगियों को दही खाने की सलाह नहीं दी जाती .
- श्वित्र ( Vitiligo ) या सफ़ेद दाग के रोगियों के लिए दही का सेवन अच्छा नहीं होता .
- घुटनों के दर्द या जोड़ों के दर्द के रोगियों को भी दही के सेवन से बचना चाहिए . हालांकि दही कैल्शियम का उच्च स्रोत है किन्तु अम्लीय गुण के कारण ऐसे रोगियों के लिए हितकर नहीं है .
शुगर में दही खाना चाहिए या नहीं ?
डायबिटीज के रोगियों की यह जिज्ञासा होती है कि शुगर में दही खाना चाहिए या नहीं ? दोस्तों , डायबिटीज के रोगियों के लिए दूध की जगह दही का इस्तेमाल ज्यादा उपयुक्त रहता है . दही का सेवन शुगर पेशेंट 200 ग्राम की मात्रा में 2-3 बार तक कर सकता है मगर यह दही मलाई रहित होना चाहिए . दही में काला नमक , जीरा या काली मिर्च भी मिलाई जा सकती है . इससे दही का पाचन भी जल्दी होता है .
दही में अदरक , दालचीनी या पिप्पली का चूर्ण भी मिलाया जा सकता है .
घुटनों के दर्द में दही खाना चाहिए या नहीं ?
घुटनों के दर्द में सिर्फ यह जानकर कि दही में कैल्शियम भरपूर मात्रा में उपलब्ध होता है दही का सेवन न करें . दही के सेवन से यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है जो घुटनों के दर्द में इजाफा करेगा . दही में अम्लता का गुण होता है और तासीर में भी ठंडा रहता है अतः घुटनों के दर्द में दही का सेवन करने की सलाह नहीं दी जाती .
दही के सेवन से घुटनों में सूजन की समस्या भी बढ़ सकती है . अतः घुटनों के दर्द से पीड़ित हैं तो दही के सेवन ( विशेषतः रात में ) से बचें . यदि संभव ना हो तो सीमित मात्रा में दोपहर के भोजन के साथ ताजा दही का सेवन कर सकते हैं .
अल्सर में दही खाना चाहिए ?
बहुत लोगों का सवाल है कि अल्सर में दही खाना चाहिए या नहीं ? इस सम्बन्ध में विशेषज्ञ एक मत नहीं हैं कई लोगों का कहना है कि दही में मौजूद ‘ प्रोबायोटिक्स ‘ के कारण यह अल्सर के रोगियों के लिए अच्छा होता है तो कई लोगों के अनुसार दही के कारण शरीर में अम्लता की वृद्धि होगी जो कि अल्सर के रोगियों के लिए हितकर नहीं है . लेखक स्वयं भी इस बात का समर्थन नहीं करता है कि अल्सर में दही खाना चाहिए . ( अल्सर में क्या खाना चाहिए ? )
चूंकि यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि दही अल्सर के रोगियों के लाभदायक है या हानिकारक इसलिए इसके सेवन से बचने में ही समझदारी है . यह भी सुना गया है कि अमेरिका में ऐसा दही विकसित किया गया है जो अल्सर से लड़ने में मददगार होता है .
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