दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आज अनन्त गुणों से युक्त अनन्त मूल अर्थात् सारिवा से बनी सारिवादि वटी के फायदे बताये जा रहे हैं . त्वचा रोग , व्रण , शोथ , भगंदर , उपदंश आदि रोगों के उपचार में प्रयोग की जाने वाली सरिवादि वटी के औषधीय उपयोग जानने के लिए यह लेख पूरा पढ़ें .
सारिवादि वटी क्या है ?
सारिवादि वटी एक आयुर्वेद औषधि है जिसका मुख्य घटक सारिवा है . सारिवा को अनन्त मूल भी कहते हैं . रक्त विकार , त्वचा रोग , कान के रोग , प्रमेह , उपदंश , व्रण , भगंदर आदि रोगों के इलाज में सारिवादि वटी का प्रयोग किया जाता है .
सारिवादि वटी के घटक
- सारिवा
- मुलैठी
- छोटी इलायची
- नागकेसर
- गिलोय
- प्रियंगु
- त्रिफला
- लौंग
- दालचीनी
- कूठ
- तेजपात
- नीलोत्पल
- लौह भस्म
- अभ्रक भस्म
- भृंगराज स्वरस
- मकोय स्वरस
- अर्जुन क्वाथ
- जवा क्वाथ
- गुंजा की जड़ का क्वाथ
सारिवादि वटी के फायदे और नुकसान
सारिवादि वटी का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा विभिन्न रोगों के उपचार हेतु किया जाता है . आइये जानते हैं सारिवादि वटी के फायदे किन किन रोगों में हैं –
सारिवादि वटी के फायदे
सारिवादि वटी से रक्तपित्त में लाभ
शरीर के किसी भी अंग से खून निकलना ( रक्तपित्त ) में सारिवादि वटी के सेवन से लाभ होता है .
जीर्ण ज्वर ( पुराने बुखार ) में सारिवादि वटी से फायदा
पुराने बुखार में सारिवादि वटी का प्रयोग करने से फायदा होता है .
सारिवादि वटी से प्रमेह ( मधुमेह ) में लाभ
सारिवादि वटी के सेवन से प्रमेह और मधुमेह ( डायबिटीज ) के रोगियों को लाभ होता है .
कान के रोगों में सारिवादि वटी का प्रयोग
सभी प्रकार के कर्ण रोगों जैसे सुनने में कमी , कान का बहना , कानों में आवाज सुनायी देना , कान में दर्द ( कर्ण शूल ) आदि में सारिवादि वटी का सेवन करने से लाभ होता है .
श्वास रोग में सारिवादि वटी का उपयोग
सारिवादि वटी के प्रयोग से श्वास के रोगियों को फायदा होता है .
हृदय रोगियों के लिए सारिवादि वटी लाभप्रद
सारिवादि वटी का सेवन हृदय रोगियों के लिए फायदेमंद होता है . ( यह भी पढ़ें – अर्जुनारिस्ष्ट के फायदे )
सारिवादि वटी से बवासीर में फायदा
बवासीर के रोगियों के लिए सारिवादि वटी का सेवन फायदेमंद होता है . ( यह भी पढ़ें – बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने का उपाय )
मिर्गी में सारिवादि वटी के फायदे
सारिवादि वटी का प्रयोग मिर्गी के रोगियों के लिए लाभकारी होता है .
यौन रोगों में सारिवादि वटी के सेवन से लाभ
उपदंश आदि रोगों में सारिवादि वटी का सेवन करने से फायदा होता है .
सारिवादि वटी से त्वचा रोगों में लाभ
सारिवा रक्तशोधक है और सभी प्रकार चर्म रोगों , फोड़ा , फुंसी , दाद , खाज , खुजली में लाभदायक होता है . ( यह भी पढ़ें – पिम्पल्स को जड़ से खत्म कैसे करें )
सारिवादि वटी मूत्र विकारों में उपयोगी
सारिवादि वटी के सेवन से मूत्र विकार , पेशाब की रुकावट आदि में फायदा होता है . ( यह भी पढ़ें – चंद्रप्रभा वटी के फायदे )
भगंदर में सारिवादि वटी का प्रयोग
भगंदर ( फिस्टुला ) रोग में सारिवादि वटी का सेवन करने से भगंदर में फायदा होता है . ( यह भी पढ़ें – भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज )
सारिवादि वटी के नुकसान
कई रोगों के उपचार में प्रयोग की जाने वाली सारिवादि वटी से कुछ लोगों को नुकसान भी हो सकते हैं , इसलिए इन लोगों को सारिवादि वटी के सेवन से बचना चाहिये . आइये जानते हैं सारिवादि वटी के नुकसान किन लोगों को हो सकते हैं .
- सारिवादि वटी में प्रयुक्त होने वाले घटक द्रव्यों में किसी घटक से एलर्जी होने वाले लोगों को सारिवादि वटी का सेवन नहीं करना चाहिए .
- गर्भवती महिलाओं को सारिवादि वटी के सेवन की सलाह नहीं दी जाती .
- छोटे बच्चों को सारिवादि वटी का सेवन नहीं करना चाहिए .
- गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को सारिवादि वटी के सेवन से पूर्व अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करना चाहिए .
सारिवादि वटी सेवन विधि
मात्रा – 1-2 गोली
अनुपान – दूध , जल , चन्दन का क्वाथ , शतावरी रस ( रोगानुसार एवं चिकत्सक के निर्देशानुसार )
दोस्तों , इस लेख में आयुर्वेद औषधि सारिवादि वटी के फायदे बताये गये . आशा है आपको जानकारी पसंद आयी होगी . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
अन्य पढ़ें –