आयुर्वेदिक दवाओं की जानकारी की कड़ी में आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से सिंहनाद गुग्गुल के फायदे बताने जा रहे हैं . आयुर्वेद और स्वास्थ्य से सम्बन्धित जानकारी के लिए पढते रहिये हमारा ब्लॉग ” आयुर्वेद और साहित्य ” .
सिंहनाद गुग्गुल क्या है ?
सिंहनाद गुग्गुल एक आयुर्वेदिक दवा है जिसका आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा मुख्यतः वात व्याधियों की चिकित्सा हेतु प्रयोग किया जाता है . गुग्गुल कल्प की आयुर्वेद औषधि सिंहनाद गुग्गुलु का आमवात , वातरक्त , संधि शूल , गुल्म आदि रोगों के उपचार हेतु उपयोग किया जाता है . सिंहनाद गुग्गुल आयुर्वेदिक स्टोर पर टेबलेट या वटी के रूप में उपलब्ध होता है .
सिंहनाद गुग्गुल के घटक
वात शामक आयुर्वेद औषधि सिंहनाद गुग्गुल के निर्माण में निम्नलिखित घटक द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है .
- हरीतकी ( हरड़ ) ( यह भी पढ़ें – छोटी हरड़ के फायदे और नुकसान )
- विभीतकी ( बहेड़ा )
- आमलकी ( आंवला ) ( यह भी पढ़ें – सुबह खाली पेट आंवला खाने के फायदे )
- शुद्ध गंधक
- शुद्ध गुग्गुलु ( गूगल )
- एरण्ड स्नेह ( अरण्डी का तेल )
सिंहनाद गुग्गुल के फायदे और नुकसान
सिंहनाद गुग्गुल को सामान्यतः वात विकारों की औषधि माना जाता है और जोड़ों के दर्द , लकवा आदि की चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है . आइये जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार सिंहनाद गुग्गुल के फायदे और नुकसान क्या क्या हैं .
सिंहनाद गुग्गुल के फायदे
आमवात , पक्षाघात , संधिवात आदि वात व्याधियों की आयुर्वेदिक दवा सिंहनाद गुग्गुल के कई रोगों में चिकित्सकीय उपयोग होते हैं . आइये जानते हैं सिंहनाद गुग्गुल के फायदे किन किन रोगों में प्राप्त होते हैं .
आमवात में सिंहनाद गुग्गुल के लाभ
आमवात की समस्या होने पर सिंहनाद गुग्गुल का महा रास्नादि क्वाथ के साथ सेवन करने से आम का विरेचन होता है और रोगी को दर्द में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – जोड़ों के दर्द की आयुर्वेदिक दवा )
वातरक्त ( गठिया ) में सिंहनाद गुग्गुल के फायदे
गठिया होने पर सिंहनाद गुग्गुल का खदिरारिष्ट , अमृतारिष्ट आदि के साथ सेवन करने से जोड़ों के दर्द आदि में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – गठिया को जड़ से खत्म करने के उपाय )
पक्षाघात ( लकवा ) में सिंहनाद गुग्गुल का प्रयोग
पैरालायसिस या लकवा के रोग में सिंहनाद गुग्गुल का प्रयोग किया जाता है और रोगी को लाभ होता है .
गुल्म रोग में सिंहनाद गुग्गुल का उपयोग
वायु विकार के कारण पेट में दर्द के साथ एक गोला सा बन जाता है जिसे गुल्म रोग कहा जाता है . आम बोलचाल की भाषा में इसे गोले का दर्द कहते हैं . गुल्म की समस्या होने पर वात शामक सिंहनाद गुग्गुल के सेवन से रोगी को लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – पेट दर्द के घरेलू उपाय )
दर्द और सूजन में सिंहनाद गुग्गुल से लाभ
शरीर में कहीं भी सूजन और दर्द होने की स्थिति में सिंहनाद गुग्गुल अपने शोथहर व वेदना शामक गुण के कारण रोगी के लिए लाभप्रद होता है .
सिंहनाद गुग्गुल के त्वचा रोगों में प्रभाव
सिंहनाद गुग्गुल में प्रयुक्त घटक द्रव्य त्रिफला , गंधक आदि त्वचा के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं इसलिए त्वचा रोगों में सिंहनाद गुग्गुल के सेवन से रोगी को लाभ मिलता है .
सिंहनाद गुग्गुल हड्डियों के लिए लाभप्रद
सिंहनाद गुग्गुल कैल्शियम को अवशोषित करने में सहायता करता है तथा हड्डियों को मजबूत बनाता है .
सिंहनाद गुग्गुल के नुकसान
सिंहनाद गुग्गुल एक आयुर्वेदिक दवा है इसलिए आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही इसका सेवन करना चाहिए . अनुचित मात्रा एवं स्वेच्छा से सिंहनाद गुग्गुल का सेवन नुकसानदेह भी हो सकता है . आइये जानते हैं सिंहनाद गुग्गुल के नुकसान क्या हो सकते हैं और इसके सेवन में क्या सावधानियां रखनी चाहिए .
- सिंहनाद गुग्गुल के अधिक सेवन से दस्त , मरोड़ आदि समस्या हो सकती है .
- गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए अथवा अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए .
- जिन लोगों को सिंहनाद गुग्गुल में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में किसी से एलर्जी है उन्हें इसके सेवन से बचना चाहिए .
सिंहनाद गुग्गुल सेवन विधि
सिंहनाद गुग्गुलु एक आयुर्वेद औषधि है इसलिए हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श और निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए . आयुर्वेद औषधि की मात्रा और सेवन विधि आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा रोग और रोगी की स्थिति , बल , प्रकृति आयु आदि के आधार पर निर्धारित की जाती है इसलिए चिकित्सक के निर्देशानुसार ही प्रयोग करना चाहिए . सामान्यतः सिंहनाद गुग्गुल सेवन विधि निम्नानुसार है .
मात्रा – 250-500 mg .
अनुपान – गुनगुना पानी , महा रास्नादि क्वाथ , खदिरादि क्वाथ , निर्गुण्डी स्वरस आदि .
दोस्तों , आज के लेख में हमने वात विकारों की आयुर्वेदिक दवा सिंहनाद गुग्गुल के फायदे , नुकसान और सेवन विधि से सम्बन्धित जानकारी शेयर की . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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