हैलो दोस्तों ! आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में गीत , कविता , गजल , भजन प्रस्तुत किये जा रहे हैं . शुरुआत करते हैं होली पर कविता से …
आयी होली
रंगों की फुहार लेकर आयी होली
खुशियों की बहार लेकर आयी होली ।।
गली रंगीन आँगन रंगीन रंगीन है चबूतरा
कहीं नीला कहीं पीला कहीं हरा कहीं लाल
खुश लगते सभी एक को रंग रहा है दूसरा
हा हुल्लड़ हो रहा है मच रही है धमाल
चारों ओर प्यार लेकर आयी होली ।।
दुश्मनी को भूलकर दोस्त बन गये सभी
बैर त्याग कर आपस में बाँट रहे हैं प्यार
रंग प्रेम का ऐसा लगे फिर न छूटे कभी
झेल रहे हैं गालियाँ भी समझ कर उपहार
स्नेह का उपहार लेकर आयी होली ।।
डॉ. राजेन्द्र कुमार “राजन”

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भजन | Bhajan
छोड़ जगत का मोह प्राणी , यह मिथ्या संसार है ।।
माता पिता भगिनी भ्राता पत्नी सुता और ना सुत तेरा
फिर काहे को ओ रे बंदे, करता है यह तेरा यह मेरा
भगवच्चरण में ध्यान लगाले फिर तो बेड़ा पार है ।।
शुक्ति को रजत समझ कर प्यारे क्यों इस जग में जीता है
प्रभु भक्ति का अमृत तज कर क्यों मीठा विष पीता है
मिथ्या छोड़ कर सत्य समझ ले जीवन फिर साकार है ।।
मोह माया की नगरी में “राजन” चलना कदम सम्हाल के
स्थावर हो या जँगम हो वश में सभी हैं काल के
बिसरा के सब याद प्रभु को कर फिर तेरा उद्धार है ।।
डॉ. राजेन्द्र कुमार “राजन”
अब तो आ जाओ | Ab to aa jao

रिमझिम रिमझिम बरसने लगा सावन
अब तो आ जाओ ।
हृदय व्याकुल
साँसें बोझिल
खुली जुल्फें
तक तक कर तरस गये हैं नयन
अब तो आ जाओ ।
दुःखद जुदाई
पवन पुरवाई
प्यासी शाम
रह रह कर मचल रहा है यौवन
अब तो आ जाओ ।
हुई हरियाली
छवि निराली
एकाकी मन
दिन काटूँ तो रैना डसती है सजन
अब तो आ जाओ ।
डॉ. राजेन्द्र कुमार “राजन”
दीवाली पर कविता आयी दीवाली आयी | Aayi Deewali Aayi

जगमग जगमग दीप जलाती
आशा की नयी किरण लाती
अंधकार को दूर भगाती
आयी दीवाली आयी ।।
खुशहाली का पैगाम लाती
फसलों का ईनाम लाती
मित्रों का सलाम लाती
आयी दीवाली आयी ।।
बच्चों के चेहरे दमक रहे
युवाओं के हृदय फरक रहे
नारियों के गहने खनक रहे
आयी दीवाली आयी ।।
चारों ओर प्यार ही प्यार
बैर का हुआ सीना तार
फिर लेकर स्नेह उपहार
आयी दीवाली आयी ।।
डॉ. राजेन्द्र कुमार “राजन”
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गजल | Ghajal

बरबाद किया उल्फत ने हमको
पर फिर भी जफ़ा न आयी ।
दिल रो रो कर पुकारता रहा
पर उनकी सदा न आयी ।।
माहौल यहाँ का बुरा न था
घुटन कुछ कम हो
ऐसी हवा न आयी ।।
सब कुछ नसीब हुआ उनको
किसी का बन जाये
वो वफ़ा न आयी ।
डॉ. राजेन्द्र कुमार “राजन”
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