दस वनौषधियों की जड़ों ( मूलों ) के समूह को दशमूल कहा जाता है . दशमूल से बनी औषधियों में दशमूलारिष्ट और दशमूल क्वाथ प्रमुख हैं . आज हम आपको बतायेंगे कि दशमूलारिष्ट कब पीना चाहिए तथा दशमूलारिष्ट के फायदे नुकसान क्या क्या हैं .
दशमूलारिष्ट के घटक
दशमूलारिष्ट में दशमूल के रूप में निम्नलिखित 10 औषधियों की जड़ों का समावेश है –
- 1. बिल्व
- 2 . अग्निमंथ
- 3 . श्योनाक
- 4. गम्भारी
- 5 .पाटला
- 6 . कंटकारी
- 7 . वृहती
- 8 . शालपर्णी
- 9 . पृश्निपर्णी
- 10 .गोक्षुर
दशमूलारिष्ट के फायदे नुकसान
दशमूलारिष्ट स्त्रियों एवं बुजुर्गों के लिए एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण औषधि है . सामान्यतः लोग दशमूलारिष्ट को महिलाओं की औषधि समझते हैं किन्तु दशमूलारिष्ट पुरुषों के लिए भी विशेषतः वृद्ध लोगों और जोड़ों के दर्द वालों के लिए बहुत गुणकारी है . आइये जानते हैं दशमूलारिष्ट के फायदे नुकसान क्या हैं –
दशमूलारिष्ट के फायदे –
प्रसव के बाद की कमजोरी के लिए उत्तम औषधि
दशमूलारिष्ट महिलाओं में डिलीवरी के बाद वातविकारों से रक्षा कर कमजोरी को दूर करता है .
स्तनों में दूध की वृद्धि करे
दशमूलारिष्ट के सेवन से प्रसूता महिलाओं के स्तनों में दूध बढ़ता है .
जोड़ों के दर्द की दवा
दशमूलारिष्ट के सेवन से जोड़ों में दर्द , कमर दर्द , हाथ पैर में दर्द एवं सभी प्रकार के वात रोगों में फायदा होता है . ( पढ़ें – जोड़ों के दर्द की आयुर्वेदिक दवा )
पाचन तंत्र में सुधार करे
दशमूलारिष्ट पाचन तंत्र में सुधार कर , गैस , बदहजमी , भूख न लगना जैसी समस्याओं से निजात दिलाता है .
सूजन कम करे
दशमूलारिष्ट में शोथ हर का गुण होने के कारण शरीर में सूजन कम कर दर्द से भी राहत दिलाता है .
पीरियड्स में दर्द कम करे
दशमूलारिष्ट के सेवन से पीरियड्स में होने वाले दर्द में कमी होती है और पीरियड्स खुल कर आते हैं .
दशमूलारिष्ट के नुकसान
सामान्यतः दशमूलारिष्ट के दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिलते किन्तु अति मात्रा में लेने से पेट या सीने में जलन , तंद्रा या चक्कर की समस्या हो सकती है . इसलिए सही मात्रा में तथा चिकित्सक के दिशा निर्देश अनुसार ही सेवन करना चाहिए .
पीरियड्स के लिए दशमूलारिष्ट के फायदे
पीरियड्स के लिए दशमूलारिष्ट के फायदे निम्नलिखित हैं –
- दशमूलारिष्ट का सेवन करने से पीरियड्स में होने वाले दर्द में कमी होती है .
- दशमूलारिष्ट के सेवन से कृच्छार्तव ( पीरियड्स कम आना ) में फायदा होता है और पीरियड्स खुल कर आते हैं .
- दशमूलारिष्ट के सेवन से पीरियड्स की अनियमितता में लाभ होता है और पीरियड्स रेगुलर आते हैं .
दशमूलारिष्ट कब पीना चाहिए ?
दशमूलारिष्ट दोनों समय भोजन के बाद 15 – 30 ml बराबर पानी के साथ निम्नलिखित परिस्थितियों में पीना चाहिए –
- माहिलाओं को डिलीवरी के बाद दशमूल क्वाथ या दशमूलारिष्ट अवश्य पीना चाहिए .
- जोड़ों में दर्द , कमर दर्द , हाथ पैरों में दर्द , पीठ दर्द या शरीर में कहीं भी दर्द होने की स्थिति में दशमूलारिष्ट का सेवन लाभप्रद है .
- कष्ट के साथ पीरियड्स आने पर दशमूलारिष्ट पीना फायदेमंद होता है . ( पढ़ें – पीरियड्स में दर्द कैसे कम करें )
दशमूलारिष्ट कब नहीं पीना चाहिए ?
दशमूलारिष्ट निम्नलिखित परिस्थितियों में नहीं पीना चाहिए –
- दशमूलारिष्ट भोजन से पहले नहीं पीना चाहिए .
- प्रेगनेंट होने की स्थति में दशमूलारिष्ट नहीं पीना चाहिए . ( पढ़ें – प्रेगनेंसी में क्या नहीं करना चाहिए )
- एसिडिटी की समस्या होने पर दशमूलारिष्ट नहीं पीना चाहिए . ( पढ़ें – एसिडिटी का तुरंत इलाज )
- अत्यार्तव अर्थात् पीरियड्स अधिक आते हों तो दशमूलारिष्ट नहीं पीना चाहिए .
- रक्त प्रदर होने पर दशमूलारिष्ट नहीं पीना चाहिए .
FAQ
प्रश्न – क्या पुरुष दशमूलारिष्ट पी सकते हैं ?
उत्तर -जी हाँ वायु विकारों , जोड़ों के दर्द , हाथ पैरों में दर्द आदि में पुरुषों को चिकित्सक द्वारा दशमूलारिष्ट पीने की सलाह दी जाती है और पुरुषों के लिए भी दशमूलारिष्ट दर्द और सूजन में लाभदायक औषधि है .
प्रश्न – दशमूलारिष्ट क्यों पीते हैं ?
उत्तर – प्रसव के बाद होने वाली थकान और कमजोरी को दूर करने के लिए दशमूलारिष्ट का सेवन किया जाता है , इसके अतिरिक्त कमर दर्द , जोड़ों के दर्द आदि के इलाज के लिए भी दशमूलारिष्ट पीने की सलाह दी जाती है .
प्रश्न – दशमूल क्या होता है ?
उत्तर – दशमूल में दस औषधियों का सग्रह होता है जिनका मूल ( जड़ ) प्रयोग किया जाता है . ये दस मूल इस तरह हैं 1. बिल्व 2. अग्निमंथ 3. श्योनाक 4. गम्भारी 5 .पाटला 6 .कंटकारी 7 .वृहती 8 .शालपर्णी 9 .पृश्निपर्णी 10 .गोक्षुर .
दोस्तों , आज हमने वात रोगों एवं स्त्रियों के लिए महत्त्वपूर्ण औषधि दशमूलारिष्ट के फायदे नुकसान , दशमूलारिष्ट कब पीना चाहिए , कब नहीं पीना चाहिए आदि जानकारी शेयर की . आशा है आपको जानकारी पसंद आयी होगी . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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