चीनी से भी मीठी यह औषधि एक नहीं अनेक रोगों के इलाज में काम आती है . इस आर्टिकल में हम बता रहे हैं कि यह चमत्कारी औषधि मुलेठी किस रोग की दवा है और पंसारी व किराना की दुकानों पर मिलने वाली इस मुलेठी के फायदे क्या क्या हैं ?
मुलेठी क्या है ?
आसानी से उपलब्ध होने वाली मुलेठी का घरेलू उपचार में प्रयोग आम बात है . इसकी जड़ और काण्ड मधुर होने के कारण इसे मधुयष्टि कहते हैं . मुलहठी या मुलेठी का पौधा 2-4 फुट ऊंचा होता है , इसकी जड़ें लम्बी और मटमैले रंग की होती हैं . जड़ का छिलका उतारने पर यह रेशेदार व पीले रंग की दिखाई देती है . इसमें हल्की गंध होती है और स्वाद में यह मीठी होती है .
मुलेठी में मौजूद Glyecirrizin के कारण यह बिलकुल मीठी होती है . इसके अन्य नाम मधुयष्टि , यष्टिमधु , मधुक , अतिमधुरम , क्लीतक , मुलहठी आदि हैं . इसका लेटिन नाम Glycyerhiza glabra है तथा अंग्रेजी में इसे Liquorice कहते हैं .
मुलेठी किस रोग की दवा है ?
मुलेठी का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा अनेक रोगों के उपचार में किये जाने के कारण यह प्रश्न स्वाभाविक है कि आखिर यह मुलेठी किस रोग की दवा है ? इस सम्बन्ध में आयुर्वेद के आचार्यों ने भी अपना मत स्पष्ट किया है . आचार्य चरक के अनुसार मधुयष्टि या मुलेठी वमन ( उल्टी ) को रोकने वाली , आचार्य सुश्रुत के अनुसार प्यास को कम करने वाली और जलन को मिटाने वाली , आचार्य भावमिश्र के अनुसार उल्टी को रोकने वाली और प्यास को मिटाने वाली है .
मुलेठी में कई औषधीय गुण हैं और यह कई रोगों के उपचार में प्रयोग की जाती है . यह पाचन तंत्र में ख़ास भूमिका निभाती है और एसिडिटी में फायदा करती है . कफ को निकालती है और खांसी में लाभप्रद है . आगे हम बता रहे है कि मुलेठी के फायदे किस किस रोग में हैं .
मुलेठी के फायदे
मुलेठी आयुर्वेद की वह औषधि है जो दवा एक फायदे अनेक का कार्य करती है . अनेक रोगों का उपचार करने के कारण इसे परम रसायन भी कहा जाता है . विभिन्न रोगों में मुलेठी के फायदे निम्नानुसार हैं –
मुलेठी का फायदा खून की उल्टी में
मुलेठी पाउडर व चन्दन को दूध में पीस कर पिलाने से रक्त वमन ( खून की उल्टी ) में लाभ होता है .
रसायन के रूप में मुलेठी का उपयोग
मुलेठी चूर्ण को दूध के साथ सेवन करने से रसायन का कार्य करता है और बल एवं ओज बढ़ता है .
अम्लपित्त ( एसिडिटी ) में मुलेठी का उपयोग
मुलेठी पाउडर को पानी के साथ लेने से आमाशय की अम्लता ( एसिडिटी ) में फायदा होता है .
हिचकी में मुलेठी का प्रयोग
शहद के साथ मुलेठी चूर्ण मिला कर नस्य देने से हिचकी शांत हो जाती है .
मुलेठी का प्रयोग वाजीकरण के लिए
शहद एवं घी के साथ मुलेठी चूर्ण चाटने एवं ऊपर से दूध पीने से पौरुष शक्ति में वृद्धि होती है .
दूध बढाने के लिए मुलेठी का प्रयोग
प्रसव के बाद स्त्रियों के स्तनों में दूध की वृद्धि के लिए मुलेठी चूर्ण बराबर मिश्री के साथ देकर दूध पिलाना चाहिए .
खांसी में मुलेठी का उपयोग
मुलेठी स्निग्ध , मधुर होने के कारण कफ को निकालने वाली और गले के लिए लाभदायक होती है . इसलिए इसका प्रयोग खांसी के उपचार में किया जाता है . खांसी होने पर मुलेठी के टुकड़े मुंह में रख कर चूसने से लाभ होता है . मुलेठी चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से भी खांसी में फायदा होता है .
आधा सीसी के दर्द में मुलेठी का प्रयोग
आधे सिर में दर्द होने पर मुलेठी के क्वाथ में शहद मिला कर नस्य सेने से आधा सीसी के दर्द में आराम मिलता है .
मुलेठी का प्रयोग गर्भ के पोषण में
गम्भारी की जड़ , मुलेठी और मिश्री को दूध के साथ देने से गर्भ का पोषण होता है .
मुलेठी का प्रयोग घाव भरने में
मुलेठी पाउडर को गाय के घी में मिला कर घाव पर लगाने से घाव जल्दी सूखता है .
आवाज मधुर करने के लिए मुलेठी का उपयोग
मुलेठी का टुकडा मुंह में रख कर चूसने से स्वर भंग सही होता है और आवाज मधुर होती है .
मुलेठी का उपयोग धातु और प्रमेह में
यदि बार बार पेशाब जाने की दिक्कत हो या मूत्र के साथ धातु जाता हो तो रात में मुलेठी चूर्ण दूध के साथ लेने से लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – चंद्रप्रभा वटी के फायदे )
मुलेठी का प्रयोग कान के रोगों में
मुलेठी द्राक्षा से सिद्ध किया हुआ दूध कान में डालने से कान के रोगों में फायदा होता है .
बाल झड़ने पर मुलेठी का प्रयोग
मुलेठी और तिल को भैंस के दूध में पीस कर सिर में लगाने से बालों का झड़ना कम होता है .
रक्त स्राव में मुलेठी का प्रयोग
शरीर के किसी भाग से खून निकल रहा हो तो वहां मुलेठी पाउडर लगाने से रक्त स्राव बंद हो जाता है . ( यह भी पढ़ें – नकसीर का आयुर्वेदिक इलाज )
मुलेठी का प्रयोग श्वास रोग में
श्वास की दिक्कत होने पर मुलेठी , कटेरी और सौंठ का चूर्ण लेने से लाभ होता है .
एनीमिया में मुलेठी का उपयोग
काले तिल व मुलेठी का चूर्ण दूध के साथ सेवन करने से खून की कमी दूर होती है .
हृदय की कमजोरी में मुलेठी का उपयोग
गाय के दूध के साथ मुलेठी चूर्ण का सेवन करने से हृदय दौर्बल्य ठीक होता है . ( यह भी पढ़ें – अर्जुनारिष्ट के फायदे )
मुलेठी का प्रयोग नेत्र रोगों में
मुलेठी चूर्ण , सप्तामृत लौह और प्रवाल पिष्टी का सेवन करने से नेत्र रोगों में लाभ होता है .
मुलेठी का फायदा मिर्गी में
सफ़ेद कद्दू के रस में मुलेठी चूर्ण मिला कर नियमित पिलाने से मिर्गी के रोगी को लाभ होता है .
मुलेठी का सेवन कैसे करें ?
सामान्यतः मुलेठी के पाउडर का प्रयोग रोगोपचार के लिए किया जाता है . खांसी , स्वर भेद आदि में मुलेठी के टुकड़े मुंह में रख कर चूसा जाता है . मुलेठी की सेवन विधि निम्नानुसार है –
मुलेठी चूर्ण की मात्रा – 2-4 ग्राम
अनुपान – पानी , दूध , शहद , घी आदि ( चिकित्सक के निर्देशानुसार )
क्वाथ – 20-30 मिली
FAQ
प्रश्न – क्या मुलेठी को दूध के साथ लिया जा सकता है ?
उत्तर – मुलेठी का प्रयोग विभिन्न रोगों के उपचार में पानी , दूध , शहद , घी आदि के साथ किया जाता है .अलग अलग रोगों में अलग अलग अनुपान होने से चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करना चाहिए .
प्रश्न – मुलेठी कितनी मात्रा में लेनी चाहिए ?
उत्तर – सामान्य आदमी के लिए मुलेठी चूर्ण की खुराक 2-4 ग्राम होती है .
प्रश्न – मुलेठी का सेवन कब करना चाहिए ?
उत्तर – खांसी , गला बैठना , एसिडिटी आदि समस्याओं में मुलेठी का प्रयोग किया जाता है . इसे सुबह , शाम , रात में कभी भी सेवन किया जा सकता है . श्रेष्ठ परिणाम के लिए चिकित्सक के परामर्श अनुसार सेवन करना चाहिए .
दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग के इस आर्टिकल में हमने जाना कि मुलेठी किस रोग की दवा है और मुलेठी के फायदे किस किस रोग में होते हैं . अगले लेख में अन्य उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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