आयुर्वेद चिकित्सा में अनेक गुणकारी काष्ठौषधियों के साथ रस और भस्म औषधियों का प्रयोग किया जाता है जो अत्यंत गुणकारी और उपयोगी होती हैं . ऐसे ही एक गुणकारी भस्म औषधि त्रिवंग भस्म के फायदे इस आर्टिकल में आप पढने जा रहे हैं .
त्रिवंग भस्म के घटक
त्रिवंग भस्म के निर्माण में निम्नलिखित तीन धातुओं का प्रयोग किया जाता है –
- शुद्ध वंग
- शुद्ध नाग
- शुद्ध जस्ता
त्रिवंग भस्म बनाने की विधि
त्रिवंग भस्म बनाने के लिए शुद्ध वंग , शुद्ध नाग और शुद्ध जस्ता तीनों धातुओं को सममात्रा में लेकर लोहे के पात्र में आग पर गर्म करते हैं . जब धातुएं खूब गर्म होकर पतली हो जाएँ तो उसमें भांग और अफीम के पोस्त का चूर्ण थोड़ी थोड़ी मात्रा में मिलाते हैं . इस मिश्रण को लोहे की कलछी से चलाते रहते हैं . जब चूर्ण समाप्त हो जाए और धातुओं का भी चूर्ण बन जाए तब पात्र को ढक्कन से ढक कर लगभग 12 घंटों तक आग पर गर्म करते हैं .
जब भस्म का रंग आग के रंग जैसा हो जाए तब आग को बंद कर देते हैं और ठंडा होने पर कपड़े से छान कर , खरल में ग्वारपाठे के रस के साथ खूब देर तक घोटते हैं . जब घोटते घोटते भस्म शुष्क हो जाए तो टिकिया बना कर सुखा लेते हैं और लघु पुट में फूंकते हैं . सात बार लघु पुट देने पर पीले रंग की त्रिवंग भस्म तैयार हो जाती है .
त्रिवंग भस्म के फायदे
प्रमेह और प्रदर में विशेषतया प्रयुक्त की जाने वाली त्रिवंग भस्म अत्यंत गुणकारी औषधि है और विभिन्न रोगों के उपचार में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा उपयोग की जाती है . आइये जानते हैं त्रिवंग भस्म के फायदे किन किन रोगों में हैं .
प्रमेह ( मधुमेह ) में त्रिवंग भस्म अति लाभकारी
प्रमेह रोग में विशेष लाभदायक होने के कारण त्रिवंग भस्म मधुमेह के रोगियों के सिर दर्द , जोड़ों के दर्द , प्रमेह पिडिका आदि में लाभ पहुंचाती है .
ल्यूकोरिया ( श्वेत प्रदर ) में त्रिवंग भस्म के लाभ
ल्यूकोरिया से पीड़ित महिलाओं के लिए त्रिवंग भस्म का सेवन बहुत फायदेमंद होता है . ( यह भी पढ़ें – प्रवाल पिष्टी के फायदे )
त्रिवंग भस्म से गर्भधारण की क्षमता में वृद्धि
जिन स्त्रियों की गर्भधारण की क्षमता कम हो जाती है और गर्भ नहीं ठहरता उन्हें त्रिवंग भस्म का सेवन कराने से गर्भधारण की क्षमता विकसित होती है और शारीरिक कमजोरी नष्ट होती है .
शीघ्रपतन में त्रिवंग भस्म के फायदे
जिन पुरुषों का शुक्र संस्थान कमजोर हो जाता है और शीघ्रपतन से ग्रस्त होते हैं उन्हें त्रिवंग भस्म और प्रवाल पिष्टी शहद के साथ चटाने से वीर्य स्तम्भन होकर लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – अकरकरा के फायदे पुरुषों के लिए )
गर्भाशय की कमजोरी में त्रिवंग भस्म लाभकारी
स्त्रियों में गर्भाशय की कमजोरी होने पर त्रिवंग भस्म , मुक्ता पिष्टी और च्यवनप्राशावलेह का सेवन करने से गर्भाशय मजबूत होता है और गर्भस्राव की समस्या से राहत मिलती है .
त्रिवंग भस्म से पौरुष शक्ति में वृद्धि
त्रिवंग भस्म को मक्खन या मलाई के साथ सेवन करने से शरीर में वीय की वृद्धि होती है , जननेंद्रिय की शिथिलता नष्ट होती है और यौन क्षमता में वृद्धि होती है . ( यह भी पढ़ें – अश्वगंधा के फायदे पुरुषों के लिए )
त्रिवंग भस्म नपुंसकता में लाभदायक
मक्खन या मलाई के साथ त्रिवंग भस्म का सेवन करने से प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है और नपुंसकता नष्ट होती है .
त्रिवंग भस्म के नुकसान
त्रिवंग भस्म एक भस्म औषधि है इसलिए आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार ही इसका सेवन करना चाहिए . स्वेच्छा से त्रिवंग भस्म का प्रयोग नुकसान दायक हो सकता है . निम्नलिखित लोगों को त्रिवंग भस्म के सेवन से बचना चाहिए –
- छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को त्रिवंग भस्म के सेवन से बचना चाहिए .
- किडनी के रोगियों को त्रिवंग भस्म का सेवन नहीं करना चाहिए .
- गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्ति जो अन्य दवाएं ले रहे हों उन्हें त्रिवंग भस्म का सेवन करने से पूर्व अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करना चाहिए .
- त्रिवंग भस्म में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में किसी से एलर्जी होने पर त्रिवंग भस्म का प्रयोग नही करना चाहिए .
त्रिवंग भस्म सेवन विधि
मात्रा – 125 – 250 mg
अनुपान – मक्खन , मलाई , शहद ( आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार ही प्रयोग करना चाहिए )
दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग के इस आर्टिकल में आयुर्वेद औषधि त्रिवंग भस्म के फायदे बताये गये . आशा है आपको जानकारी अच्छी लगी होगी . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
अन्य पढ़ें –