इसमें है कब्ज और बवासीर का इलाज , जानें अभयारिष्ट सिरप के फायदे और नुकसान | 7 Benefits of Abhayarishta.

कब्ज और बवासीर आज एक आम समस्या बन चुकी है . आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आज हम कब्ज और बवासीर की अनुपम औषधि अभयारिष्ट सिरप के फायदे और नुकसान के बारे में बता रहे हैं . आयुर्वेदिक मेडिसिन अभयारिष्ट की सम्पूर्ण जानकारी के लिए पढ़ते रहिये .

अभयारिष्ट सिरप के फायदे और नुकसान

अभयारिष्ट क्या है ?

अभयारिष्ट एक आयुर्वेदिक दवा है जिसका मुख्य घटक द्रव्य अभया ( हरीतकी ) है . हरीतकी या अभया को जन सामान्य की भाषा में हरड़ के नाम से जाना जाता है . अभयारिष्ट को आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा कब्ज , उदर रोग , अर्श , भगंदर , कृमि आदि रोगों में उपयोग किया जाता है .

अभया या हरड़ का परिचय

हरीतकी ( हरड़ )

हरड़ शरीर में तीनों दोषों ( वात , पित्त व कफ ) को सामान्य अवस्था में रखने में मदद करती है और उदर रोगों की श्रेष्ठ औषधि और उत्तम रसायन मानी जाती है . इसके अन्य नाम हरीतकी , अभया , पथ्या , शिवा आदि हैं तथा अंग्रेजी में इसे Chebulic Myrobalan कहते हैं . इसका लेटिन नाम Terminelia chebula है .

हरड़ दो प्रकार की पायी जाती है जिन्हें छोटी हरड़ और बड़ी हरड़ के नाम से जाना जाता है . दोनों प्रकार की हरीतकी का आयुर्वेद औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है . हरीतकी के जिन फलों को गुठली बनने से पहले तोड़ कर सुखा लिया जाता है उन्हें छोटी हरड़ और गुठली वाले फलों को बड़ी हरड़ कहा जाता है .

अभयारिष्ट के घटक

अभयारिष्ट के निर्माण में निम्नलिखित घटक द्रयों का प्रयोग किया जाता है .

  • अभया ( हरीतकी )
  • द्राक्षा ( मुनक्का )
  • मधुक ( महुआ )
  • विडंग
  • गोक्षुर ( गोखरु )
  • त्रिवृत ( निशोथ )
  • धातकी पुष्प ( धाय के फूल )
  • धान्यक ( धनिया )
  • इंद्र वरुणी ( इन्द्रायण की जड़ )
  • चव्य
  • शुण्ठी ( सौंठ )
  • मिश्रेय ( सौंफ )
  • दंती मूल
  • मोच रस
  • गुड़

अभयारिष्ट सिरप के फायदे और नुकसान

अभयारिष्ट सिरप के फायदे और नुकसान

आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा अभयारिष्ट का प्रयोग कब्ज , बवासीर , पेट के विकारों आदि में किया जाता है . आइये जानते हैं अभयारिष्ट सिरप के फायदे और नुकसान क्या क्या हैं .

अभयारिष्ट के फायदे

आयुर्वेद औषधि अभयारिष्ट के फायदे निम्नलिखित रोगों में हैं .

अभयारिष्ट से कब्ज में लाभ

अभयारिष्ट के सेवन से पुरानी से पुरानी कब्ज को खत्म करने में सहायता मिलती है . अभयारिष्ट में हरीतकी , दंती , निशोथ , द्राक्षा जैसी विरेचक औषधियों का सम्मिश्रण है जो सभी प्रकार की कब्ज मिटाने में सक्षम है . ( यह भी पढ़ें – कब्ज क्यों होता है )

बवासीर में अभयारिष्ट के फायदे

अभयारिष्ट का सर्वाधिक प्रयोग अर्श ( बवासीर ) , भगंदर के उपचार में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा किया जाता है . बवासीर आदि गुद रोगों का मुख्य कारण विबंध या कब्ज होता है . अभयारिष्ट के सेवन से विबंध दूर होकर मल की सहज प्रवृत्ति होने के कारण बवासीर के रोगी को विशेष लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने का उपाय )

अभयारिष्ट के फायदे

अभयारिष्ट आंत्र विकारों में लाभदायक

अभयारिष्ट के सेवन से आँतों की क्रिया सहज होती है . आँतों की सरण क्रिया सुचारू होने के कारण कोष्ठ बद्धता समाप्त होती है जिससे मलावरोध दूर होकर रोगी को राहत मिलती है .

अभयारिष्ट कृमि रोगों में लाभकारी

अभयारिष्ट के घटक विडंग , हरीतकी आदि में कृमि नाशक गुण होने के कारण अभयारिष्ट के सेवन से उदर कृमि ( पेट के कीड़े ) नष्ट होते हैं .

अभयारिष्ट से अग्निमांद्य में लाभ

अभयारिष्ट के सेवन से आँतों की सम्यक क्रिया होने एवं मलावरोध दूर होकर मल विसर्जन सहज होने से मन्दाग्नि ( भूख की कमी ) में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – भूख लगने की सबसे अच्छी दवा )

अभयारिष्ट से गैस एवं पेट की तकलीफ से राहत

अभयारिष्ट का मुख्य घटक हरीतकी सभी प्रकार के उदर विकारों में लाभकारी होने के कारण अभयारिष्ट के सेवन से पेट में गैस एवं अन्य विकारों में फायदा होता है .

अभयारिष्ट फिशर एवं फिस्टुला में फायदेमंद

फिशर एवं फिस्टुला का मुख्य कारण उदर विकार एवं विबंध होने के कारण अभयारिष्ट का सेवन फिशर एवं फिस्टुला के रोगियों के लिए लाभदायक है .

अभयारिष्ट सिरप के नुकसान

अभयारिष्ट सिरप के नुकसान

निम्नलिखित व्यक्तियों को अभयारिष्ट के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए अन्यथा अभयारिष्ट सिरप के नुकसान की संभावना होती है .

  • अभयारिष्ट में मीठा होने के कारण मधुमेह रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
  • गर्भवती महिलाओं को आसव अरिष्ट का सेवन नहीं करना चाहिए .
  • अभयारिष्ट में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में किसी से एलर्जी होने की स्थिति में अभयारिष्ट का सेवन नहीं करना चाहिए .
  • मृदु कोष्ठ वालों को अभयारिष्ट का सेवन नहीं करना चाहिए अन्यथा अतिसार होने की संभावना है .
  • एसिडिटी के रोगियों को अभयारिष्ट का सेवन नहीं करना चाहिए अन्यथा समस्या बढ़ सकती है .

अभयारिष्ट सेवन विधि

मात्रा – 15-30 मिली ( भोजन के बाद बराबर पानी मिला कर )

विबंध या कब्ज की अधिक समस्या होने पर तथा बवासीर रोग में अभयारिष्ट के साथ गुनगुना पानी मिला कर सेवन करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं .

FAQ

प्रश्न – अभयारिष्ट पीने से क्या होता है ?

उत्तर – अभयारिष्ट कब्ज , बवासीर , पाचन की समस्याओं आदि के उपचार के लिए प्रयोग की जाने वाली आयुर्वेदिक दवा है . सामान्य व्यक्ति द्वारा इसे पीने से अतिसार ( दस्त ) होने की संभावना है .

प्रश्न – अभयारिष्ट सिरप कब तक लेना चाहिए ?

उत्तर – अभयारिष्ट की सेवन अवधि रोग पर निर्भर करती है इसलिए आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श एवं दिशा निर्देशानुसार इसका सेवन करना चाहिए .

प्रश्न – अभयारिष्ट कैसे काम करता है ?

उत्तर – अभयारिष्ट में प्रयुक्त घटक द्रव्य पेट की समस्याओं , कब्ज , बवासीर आदि में अपने गुणों के कारण प्रभावी ढंग से कार्य करते हैं .

दोस्तों , इस लेख में अभयारिष्ट सिरप के फायदे और नुकसान से सम्बंधित जानकारी दी गयी . आशा है आपको जानकारी अच्छी लगी होगी . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .

अन्य पढ़ें

Leave a comment