हैलो दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग के इस आर्टिकल में आज हम चर्चा करने जा रहे हैं उदर विकारों की बेजोड़ आयुर्वेदिक दवा हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे और नुकसान के बारे में . आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी .
हिंग्वाष्टक चूर्ण का परिचय
हिंग्वाष्टक चूर्ण पाउडर के रूप में पेट सम्बंधित समस्याओं की एक बेहतरीन आयुर्वेदिक दवा है जिसे पेट दर्द , गैस , बदहजमी आदि के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है . हिंग्वष्टक चूर्ण में हींग सहित कुल 8 औषध द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है इसलिए इसका नाम हिंग्वष्टक चूर्ण रखा गया .
हिंग्वाष्टक चूर्ण के घटक
हिंग्वष्टक चूर्ण बनाने के लिए निम्नलिखित घटक द्रव्यों का उपयोग किया जाता है .
- हींग ( यह भी पढ़ें – पुरुषों के लिए हींग के फायदे )
- जीरा ( यह भी पढ़ें – जीरा पानी पीने के फायदे और नुकसान )
- काला जीरा
- अजवायन ( पढ़ें – अजवाइन का पानी पीने के फायदे और नुकसान )
- सौंठ
- काली मिर्च ( यह भी पढ़ें – काली मिर्च के फायदे )
- सैंधा नमक
- पिप्पली
हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे और नुकसान
हिंग्वष्टक चूर्ण को उदर रोगों ( पेट से सम्बन्धित समस्याओं ) की श्रेष्ठ औषधियों में गिना जाता है . पेट दर्द , गैस , अपच , कब्ज आदि की चिकित्सा में चिकित्सकों द्वारा हिंग्वष्टक चूर्ण को प्राथमिकता दी जाती है . आइये जानते हैं हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे और नुकसान क्या हैं .
हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे
हिंग्वाष्टक चूर्ण मुख्यतः पाचन तंत्र से सम्बंधित विकारों की चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है . आइये जानते हैं हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे किन किन रोगों में प्राप्त होते हैं .
पेट दर्द से दिलाये राहत
पेट दर्द होने पर आधा चम्मच हिंग्वाष्टक चूर्ण गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से पेट दर्द में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – पेट दर्द के घरेलू उपाय )
हिंग्वाष्टक चूर्ण से गैस में फायदा
पेट में गैस बनने और अफारा आने पर हिंग्वाष्टक चूर्ण को गुनगुने पानी से लेने पर गैस की समस्या से राहत मिलती है .
हिंग्वाष्टक चूर्ण से बदहजमी में लाभ
उल्टा सीधा या गरिष्ठ भोजन का सेवन करने से अजीर्ण ( अपच ) होने पर हिंग्वाष्टक चूर्ण का प्रयोग करने से भोजन का पाचन हो जाता है और बदहजमी से छुटकारा मिलता है .
हिंग्वाष्टक चूर्ण भूख बढाने में सहायक
मन्दाग्नि होने पर हिंग्वाष्टक चूर्ण का सेवन करने से जठराग्नि प्रदीप्त होती है और भूख बढ़ जाती है . ( यह भी पढ़ें – भूख लगने की सबसे अच्छी दवा )
कब्ज होने पर हिंग्वाष्टक चूर्ण से लाभ
पेट में वायु की वृद्धि होकर मलावरोध होने पर हिंग्वाष्टक चूर्ण का सेवन करने से वायु विकार नष्ट होता है तथा विबंध ( कब्ज ) में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – कब्ज क्यों होता है )
हिंग्वाष्टक चूर्ण के नुकसान
हिंग्वाष्टक चूर्ण एक आयुर्वेद औषधि है जिसे आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार ही प्रयोग करना चाहिए . स्वेच्छा से लेने पर तथा व्यक्ति विशेष को हिंग्वाष्टक चूर्ण के नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं .
- अम्लपित्त ( एसिडिटी ) के रोगियों द्वारा हिंग्वाष्टक चूर्ण का सेवन करने से पेट में जलन की समस्या हो सकती है .
- हिंग्वाष्टक चूर्ण में नमक की मात्रा होने के कारण हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए नुकसानदायक हो सकता है .
- हिंग्वाष्टक चूर्ण में प्रयोग किये जाने वाले घटक द्रव्यों से एलर्जी होने पर इसके सेवन से समस्या बढ़ सकती है .
हिंग्वाष्टक चूर्ण लेने की विधि
हिंग्वाष्टक चूर्ण के प्रयोग की मात्रा 2-5 ग्राम ( वयस्क के लिए ) होती है . हिंग्वाष्टक चूर्ण मुख्यतः दो प्रकार से प्रयोग किया जाता है .
प्रथम विधि – हिंग्वाष्टक चूर्ण को घी में मिला कर भोजन के प्रथम ग्रास में सेवन करें .
द्वितीय विधि – हिंग्वाष्टक चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ सेवन करें .
FAQ
प्रश्न – हिंग्वाष्टक चूर्ण कब लेना चाहिए ?
उत्तर – हिंग्वाष्टक चूर्ण को लेने का सबसे अच्छा तरीका घी मिला कर भोजन के प्रथम ग्रास के साथ है . इसके अलावा भोजन से पहले गुनगुने पानी के साथ तथा आवश्यकता होने पर भोजन के बाद भी लिया जा सकता है .
प्रश्न – हिंग्वाष्टक क्या है ?
उत्तर – हिंग्वाष्टक चूर्ण एक आयुर्वेदिक दवा है जिसमे हींग सहित कुल आठ औषधियों का उपयोग किया गया है .
दोस्तों , आज के लेख में हमने उदर विकारों की आयुर्वेदिक औषधि हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे और नुकसान से सम्बन्धित जानकारी शेयर की . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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