आयुर्वेद औषधियों की जानकारी की कड़ी में आज हम वातरोगों की आयुर्वेदिक दवा महायोगराज गुग्गुल के फायदे और सेवन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं . हमें आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी .
महायोगराज गुग्गुल क्या है ?
महायोगराज गुग्गुल गुग्गुलु कल्प की आयुर्वेदिक दवा है जो वात विकारों यथा आमवात , संधिवात . वातरक्त , पक्षाघात आदि में उपयोग की जाती है . घुटनों के दर्द , जोड़ों के दर्द , सायटिका ( गृध्रसी ) आदि की चिकित्सा में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा महायोगराज गुग्गुल को प्राथमिकता दी जाती है .
महायोगराज गुग्गुल के घटक
महायोगराज गुग्गुल के निर्माण में निम्नलिखित घटक द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है .
- शुंठी ( सौंठ )
- पिप्पली ( पीपल )
- पिप्पली मूल ( पीपला मूल )
- चव्य
- चित्रक
- हींग ( यह भी पढ़ें – पुरुषों के लिए हींग के फायदे )
- इन्द्रयव ( इंद्र जौ )
- वायविडंग
- कुटकी
- अजवायन
- सफ़ेद जीरा
- काला जीरा
- सरसों
- निर्गुण्डी
- पाठा
- अतिविष ( अतीस )
- गजपीपल
- मुस्तक ( नागर मोथा )
- वच
- भारंगी
- हरीतकी ( हरड़ )
- विभीतकी ( बहेड़ा )
- आमलकी ( आंवला )
- शुद्ध गुग्गुलु
- रजत भस्म
- लौह भस्म
- नाग भस्म
- वंग भस्म
- अभ्रक भस्म ( यह भी पढ़ें – अभ्रक भस्म के फायदे )
- मंडूर भस्म
- रस सिन्दूर
- एरण्ड स्नेह ( अरंडी का तेल )
महायोगराज गुग्गुल के फायदे और नुकसान
कमर दर्द , जोड़ों का दर्द , एडी का दर्द , मोच , सूजन , अकडन आदि के उपचार में आयुर्वेद के अनुसार महायोगराज गुग्गुल का महत्त्वपूर्ण उपयोग है .
महायोगराज गुग्गुल के फायदे
आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा महायोगराज गुग्गुल का मुख्यतः वात रोगों में उपयोग किया जाता है . वात विकारों की महत्त्वपूर्ण दवा होने के अलावा महायोगराज गुग्गुल अन्य कई रोगों में भी प्रभावी कार्य करता है . आइये जानते हैं महायोगराज गुग्गुल के फायदे किन किन रोगों में प्राप्त होते हैं .
जोड़ों के दर्द में महायोगराज गुग्गुल से लाभ
संधि शूल ( जोड़ों में दर्द ) होने पर महायोगराज की 1-2 गोली सौंठ के पानी या गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – जोड़ों के दर्द की आयुर्वेदिक दवा )
कमर दर्द में महायोगराज गुग्गुल के फायदे
कटि शूल ( कमर दर्द ) में महायोगराज गुग्गुल की गोली रास्नादि क्वाथ या गुनगुने पानी के साथ लेने से कमर दर्द में फायदा होता है .
गठिया में महायोगराज गुग्गुल लाभप्रद
गठिया रोग में महायोगराज गुग्गुल के सेवन से लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – गठिया को जड़ से खत्म करने के उपाय )
शोथ एवं शूल में महायोगराज गुग्गुल का प्रयोग
शरीर में कहीं भी दर्द या सूजन होने पर महायोगराज गुग्गुल का प्रयोग करने से दर्द और सूजन में फायदा होता है .
श्वास रोग में महायोगराज गुग्गुल का प्रयोग
सामान्यतः महायोगराज गुग्गुल का प्रयोग वातिक शूल की चिकित्सा में किया जाता है किन्तु श्वास या दमा के रोग में भी महायोगराज गुग्गुल का प्रयोग लाभदायक होता है और रोगी को राहत मिलती है .
लकवा में महायोगराज गुग्गुल का उपयोग
पक्षाघात ( लकवा ) होने पर अन्य औषधियों के साथ महायोगराज गुग्गुल का निर्गुन्डी स्वरस या सौंठ के पानी के साथ सेवन करना लाभप्रद होता है .
मोच एवं एडी दर्द में महायोगराज गुग्गुल लाभकारी
शरीर में कहीं मोच आने तथा एडी में दर्द होने की स्थिति में महायोगराज गुग्गुल का सेवन फायदेमंद होता है .
महायोगराज गुग्गुल के पीरियड्स में लाभ
महायोगराज गुग्गुल समस्त वात विकारों की दवा है . वायु विकार के कारण महिलाओं में मासिक के समय होने वाली वेदना एवं अन्य समस्याओं में महायोगराज गुग्गुल के सेवन से लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – पीरियड्स में दर्द कैसे कम करें )
मांसपेशियों में दर्द एवं जकड़न में महायोगराज गुग्गुल से लाभ
मांसपेशियों में दर्द तथा जकड़न होने पर महायोगराज गुग्गुल का सेवन लाभकारी होता है .
मिर्गी में महायोगराज गुग्गुल का उपयोग
महायोगराज गुग्गुल एक उत्तम वात शामक औषधि है . अपस्मार ( मिर्गी ) में महायोगराज गुग्गुल का सेवन रोगी को लाभ पहुंचाने वाला होता है .
सायटिका में महायोगराज गुग्गुल का प्रयोग
सायटिका ( गृध्रसी ) रोग होने पर महायोगराज गुग्गुल की 1-2 गोलियां सुबह शाम अदरक के रस या निर्गुण्डी के रस के साथ लेने से दर्द में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – सायटिका का आयुर्वेदिक उपचार )
महायोगराज गुग्गुल के साइड इफ़ेक्ट
सामान्यतः महायोगराज गुग्गुल के दुष्प्रभाव नहीं होते किन्तु यह एक आयुर्वेदिक दवा है इसलिए इसका सेवन हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श एवं दिशा निर्देश के अनुसार ही करना चाहिए . स्वेच्छा से महायोगराज गुग्गुल का सेवन नुकसानदेह हो सकता है . इसलिए निम्नलिखित लोगों को महायोगराज गुग्गुल के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए अन्यथा महायोगराज गुग्गुल के साइड इफ़ेक्ट ( दुष्प्रभाव ) हो सकते हैं .
- गर्भवती महिलाओं को महायोगराज गुग्गुल के सेवन से बचना चाहिए अन्यथा अपने चिकित्सक से परामर्श अनुसार सेवन करना चाहिए .
- 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को महायोगराज गुग्गुल का सेवन नहीं कराना चाहिए .
- महायोगराज गुग्गुल में प्रयुक्त घटक द्रव्यों से एलर्जी होने की स्थिति में इसके सेवन से बचना चाहिए .
- किसी गंभीर रोग से ग्रस्त होने एवं अन्य दवाओं का इस्तेमाल करने वालों को महायोगराज गुग्गुल के सेवन से पूर्व अपने चिकित्सक से अवश्य परामर्श करना चाहिए .
महायोगराज गुग्गुल सेवन विधि
महायोगराज गुग्गुल वात रोगों सहित विभिन्न रोगों की चिकित्सा में प्रयोग की जाने वाली एक आयुर्वेदिक दवा है जो हमेशा आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करनी चाहिए . किसी भी दवा की मात्रा रोग की अवस्था और रोगी के बल व आयु के अनुसार निर्धारित की जाती है . सामान्यतः महायोगराज गुग्गुल सेवन विधि निम्नानुसार है .
मात्रा – 1-2 गोली
अनुपान – पानी , निर्गुण्डी स्वरस , रास्नादि क्वाथ , दशमूल क्वाथ , सौंठ का पानी आदि ( रोगानुसार )
FAQ
प्रश्न – मुझे योगराज गुग्गुल कब लेनी चाहिए ?
उत्तर – शरीर में कहीं भी दर्द या अन्य वायु विकार होने की स्थिति में योगराज या महायोगराज गुग्गुल की 1-2 गोलियां सुबह शाम भोजन के बाद निर्गुण्डी स्वरस या सौंठ के पानी के साथ लेनी चाहिए .
प्रश्न – महायोगराज गुग्गुल के क्या फायदे हैं ?
उत्तर – महायोगराज गुग्गुल एक आयुर्वेदिक दवा है जिसका आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा आमवात , संधिवात , वातरक्त , पक्षाघात , अपस्मार , श्वास , गृध्रसी आदि रोगों की चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है .
दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग के इस आर्टिकल में हमने आयुर्वेद औषधि महायोगराज गुग्गुल के फायदे , नुकसान व सेवन विधि से सम्बन्धित जानकारी शेयर की . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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