कुटजघन वटी के फायदे , नुकसान व सेवन विधि | 7 Best Uses of Kutajghan Vati.

हैलो दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आयुर्वेदिक दवाओं की जानकारी की कड़ी में आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आयुर्वेद औषधि कुटजघन वटी के फायदे , नुकसान और सेवन विधि से सम्बन्धित जानकारी शेयर कर रहे हैं . आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी .

कुटजघन वटी के फायदे

कुटजघन वटी क्या है ?

कुटजघन वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जिसका आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा मुख्यतः अतिसार , ग्रहणी , रक्तार्श आदि रोगों की चिकित्सा हेतु प्रयोग किया जाता है . यह दवा आयुर्वेदिक स्टोर पर वटी या गुटिका ( टेबलेट ) के रूप में उपलब्ध होती है .

कुटजघन वटी के घटक

कुटजघन वटी के निर्माण में निम्नलिखित औषध द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है .

  • कुटज ( कुडा , कुरैया )
  • अतिविषा ( अतीस )

कुटजघन वटी के फायदे व नुकसान

कुटजघन वटी की आयुर्वेद में आंव , दस्त , पेचिस , खूनी बवासीर आदि रोगों में उपयोगिता बतायी गयी है . आइये जानते हैं आयुर्वेदिक दवा कुटजघन वटी के फायदे व नुकसान क्या हैं .

कुटजघन वटी के फायदे

आंव , मरोड़ , दस्त , पेचिस में प्रयोग की जाने वाली कुटजघन वटी के विभिन्न उदर विकारों में महत्त्वपूर्ण चिकित्सकीय उपयोग हैं . आइये जानते हैं कुटजघन वटी के फायदे किन किन रोगों में प्राप्त होते हैं .

कुटजघन वटी के फायदे

अतिसार ( दस्त ) में कुटजघन वटी से लाभ

डायरिया ( दस्त ) होने पर कुटजघन वटी 1-2 गोली सुबह शाम पानी के साथ सेवन करने से दस्त में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – बार बार दस्त लगने का क्या कारण है )

Amoebiasis में कुटजघन वटी का प्रयोग

Amoebiasis या आंव होने पर मरोड़ या ऐंठन के साथ दस्त की शिकायत होती है , ऐसी स्थिति में कुटजघन वटी का प्रयोग लाभदायक होता है .

ग्रहणी – संग्रहणी में कुटजघन वटी के फायदे

ग्रहणी या संग्रहणी होने पर रोगी कुछ भी खाने के बाद मल त्याग के लिए जाता है . इसमें पाचक पित्त की दुर्बलता के कारण भोजन का पाचन नहीं हो पाता जिससे रोगी को बार बार मल त्याग करना पड़ता है और रोगी बहुत कमजोर हो जाता है . ऐसी स्थिति में कुटजघन वटी का प्रयोग रोगी के लिए लाभप्रद होता है . ( यह भी पढ़ें – संग्रहणी में कुटजारिष्ट के फायदे )

कुटजघन वटी से पेचिस में लाभ

पेचिस या खूनी दस्त होने पर कुटजघन वटी का सेवन करने से रोगी को लाभ होता है .

खूनी बवासीर में कुटजघन वटी का उपयोग

खूनी बवासीर होने पर कुटजघन वटी का सेवन करने से खून निकलना बंद हो जाता है जिससे रोगी को राहत महसूस होती है . ( यह भी पढ़ें – खूनी बवासीर का रामबाण इलाज )

IBS में कुटजघन वटी से लाभ

IBS ( Irritable Bowel Syndrome ) की शिकायत होने पर रोगी बार बार मरोड़ के साथ दस्त जाता है . इस तरह की समस्या होने पर कुटजघन वटी का सेवन करने से रोगी को लाभ होता है .

कुटजघन वटी आँतों के लिए लाभप्रद

कुटजघन वटी के प्रयोग से आँतों की क्रिया में सुधार होता है जिससे तत्सम्बन्धित उदर विकारों में लाभ होता है .

कुटजघन वटी के नुकसान

सामान्यतः कुटजघन वटी एक सुरक्षित दवा है और इसके दुष्प्रभाव नहीं देखने को मिलते किन्तु यह एक आयुर्वेदिक दवा है इसलिए हमेशा आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श और निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए . अनुचित मात्रा में सेवन करने से तथा व्यक्ति विशेष के लिए यह नुकसानदायक भी हो सकती है . कुटजघन वटी के नुकसान निम्न व्यक्तियों को हो सकते हैं .

कुटजघन वटी के नुकसान
  • जिन लोगों को कब्ज की शिकायत रहती है उन्हें कुटजघन वटी के सेवन से समस्या बढ़ सकती है .
  • गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्ति जो अन्य दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें कुटजघन वटी के सेवन से पूर्व अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए .

कुटजघन वटी कितने दिन खाना चाहिए ?

कुटजघन वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श और दिशा निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए . इसकी मात्रा और अवधि का निर्धारण चिकित्सक रोग और रोगी की अवस्था के अनुसार तय करता है . सामान्यतः कुटजघन वटी की सेवन विधि निम्नानुसार है .

कुटजघन वटी कितने दिन खाना चाहिए

मात्रा – 1-2 गोली ( 250- 500 mg )

अनुपान – पानी , क्वाथ ( रोगानुसार )

FAQ

प्रश्न – कुटजघन वटी का क्या कार्य है ?

उत्तर – कुटजघन वटी आँतों का कार्य सम्पादन बेहतर करती है , इसके सेवन से दस्त , पेचिस , खूनी बवासीर आदि में लाभ होता है .

प्रश्न – क्या कुटजघन वटी से कब्ज हो सकता है ?

उत्तर – जी हाँ कुटजघन वटी के अधिक सेवन से कब्ज की समस्या हो सकती है .

दोस्तों , आज के लेख में हमने आयुर्वेदिक दवा कुटजघन वटी के फायदे ,नुकसान और सेवन विधि से सम्बन्धित जानकारी पेश की . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे .

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