राजन के गीत 2022| Songs by Rajan

हैलो दोस्तों ! आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आपका स्वागत है . हिन्दी कविता और हिन्दी गीत प्रेमियों के लिए राजन की कुछ रचनायें आपकी सेवा में प्रस्तुत हैं , आशा है आपको पसंद आयेंगी . कृपया पढ़ कर अपने विचार अवश्य प्रकट करें . आपका सहयोग अपेक्षित है .

पत्थर की इबादत [ राजन के गीत ]

पत्थर की इबादत की मैंने खुदा जानकर
जुल्मों को भी सहा उसकी रजा जानकर ।
हर लम्हा आँसू का और हर पग पर धोखा
इनसे बच न पाया उसकी वफ़ा जानकर ।
उस हादसे में सब कुछ उजड़ गया मेरा
काश के पहले समझ पाता हवा जानकर ।
रहमो करम की आरजू लिये गया उसके दर
खून के आंसू रुलाये मुझे मेरी खता जानकर ।
“राजन” शिकवा नहीं है आज भी उनसे और
न ही पछताता हूँ गलतियों की सजा जानकर ।
डॉ. राजेन्द्र कुमार “राजन”

हिन्दी कविता – संन्यासी ?

                         संन्यासी

सत्य खोजने गया वो वन में
दूर हुआ तन जगत है मन में
आंखों से पर्दा हटा नहीं और कई आवरण छा गये ।
घर से भागा दफ़्तर से भागा
पत्नी से भागा पुत्र से भागा
ध्यान किया गुफ़ा में जाकर ध्यान में वो सब आ गये ।
दिखा नहीं मानव में ईश्वर
जंगल में जा रचा है मंदिर
इंसानों से डर कर भागा पहाड़ कंदरा भा गये ।
क्षीण हुई काया रुग्ण हुआ मन
धूमिल केश और सूखे नयन
आनंद भाव को पा न सके औरों को भी रुला गये ।
वो है यहाँ भी वो ही वहाँ भी
अंदर बाहर देखो जहाँ भी
खुद में खोजो बाहर न जाओ संत कबीर बता गये ।
यह संन्यासी यह संसारी
यह है पापी यह है पुजारी
“राजन” ध्यान में ऐसा डूबा सारे भेद समा गये ।
डॉ. राजेन्द्र कुमार “राजन”

मेरा जीवन

                      मेरा जीवन

मेरा जीवन कभी निश्छल स्थिर
बिल्कुल ठहरे हुए पानी की तरह ।
और कभी सैलाब लिए ज्वार भाटे सा
ऊँचाइयों से टकराता हुआ ।
मेरा जीवन कभी ओस की बूँद जैसा
चमकीला मगर मुलायम सा ।
और कभी चट्टान की तरह अडिग
कठोर और रूखा सा ।।
डॉ. राजेन्द्र कुमार ” राजन “

धोखा

                          धोखा

तुम एक धोखा हो धोखे के सिवा कुछ नहीं
फिर भी पागल दिल धोखा खाना चाहता है ।
मैं जानता हूँ कि यह सब कुछ सम्भव नहीं
पागल दिल पानी मे तस्वीर बनाना चाहता है ।
अपनी बिगड़ी तकदीर से पूरी तरह वाकिफ हूँ
मगर पागल दिल मुकद्दर आजमाना चाहता है ।
तुम जफ़ा की मूरत हो पता है इस बात का
मगर पागल दिल तुमसे वफ़ा निभाना चाहता है ।
“राजन” गम मिले हैं लाखों इस जहान से
फिर भी पागल दिल नया गम लगाना चाहता है ।
डॉ. राजेन्द्र कुमार “राजन”

धोखा rajendraverma.in

प्रतीक्षा……!

                       प्रतीक्षा

आँखें बंद खुले कान ध्यानमग्न और उसकी प्रतीक्षा
प्रतीक्षा कानों को
उसके वस्त्रों की सरसराहट की
उसके कदमों की आहट की
छनकती पायल की खनखनाहट की
प्रतीक्षा नयनों को
यौवन भार से दबे रूप दर्शन की
लज्जा से नीचे देखते नयन की
कम्पित होठों से प्रेम नमन की
प्रतीक्षा प्रतीक्षा फिर प्रतीक्षा ..चिर प्रतीक्षा
अब मैं और मेरी प्रतीक्षा ।।
डॉ. राजेन्द्र कुमार “राजन”

खुशियाँ बाँट चलो

              खुशियाँ बाँट चलो

मुख मण्डल पर तेज लिए प्रसन्नता से झूम रहा
मंद मंद शीतल समीर को अधरों से चूम रहा ।
उस राह से जो मैं गुजरा अनायास ही पड़ी नजर
देख कर मुझको उसकी आभा आई और निखर ।
मैंने पूछा हे प्रसून ! बहुत प्रसन्न दिखाई देते हो
सुकोमल सुंदर स्वरूप से सबका मन हर लेते हो ।
आतंकवादियों का तुम्हें क्या बिल्कुल नहीं है डर
लूटपाट और मारकाट का क्या होता नहीं असर ?
बोला कुसुम मैंने नहीं सीखा बाधाओं से डरना
खुशियाँ बाँट चलो जीवन मे एक दिन सबको है मरना ।
डॉ. राजेन्द्र कुमार “राजन”

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