आयुर्वेद में रस औषधियों का विशेष महत्त्व है . गर्भवती महिलाओं के गर्भाशय को पुष्ट करने एवं गर्भस्राव से बचने के लिए आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा गर्भपाल रस का प्रयोग किया जाता है . आज के लेख में हम आयुर्वेदिक दवा गर्भपाल रस के फायदे , नुकसान और सेवन विधि से सम्बन्धित जानकारी शेयर कर रहे हैं .
गर्भपाल रस क्या है ?
गर्भपाल रस एक आयुर्वेदिक दवा है जो गर्भवती स्त्रियों में होने वाली समस्याओं के उपचार के लिए प्रयोग की जाती है . गर्भपाल रस अपने विशेष गुणों के कारण अपने नाम को सार्थक करता है और गर्भ की सम्पूर्ण रूप से रक्षा करता है तथा गर्भावस्था में होने वाले विकार गर्भस्राव , बेचैनी , वमन , ज्वर , कास आदि से बचाता है .
गर्भपाल रस के घटक
गर्भपाल रस के निर्माण में निम्नलिखित घटक द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है .
- शुद्ध हिंगुल
- नाग भस्म ( यह भी पढ़ें – नाग भस्म के फायदे और नुकसान )
- वंग भस्म ( यह भी पढ़ें – वंग भस्म के फायदे )
- एला ( इलायची )
- तेजपत्र ( तेज पत्ता )
- दालचीनी ( यह भी पढ़ें – दालचीनी के फायदे )
- मरिच ( काली मिर्च )
- पिप्पली ( पीपल )
- शुण्ठी ( सौंठ )
- धान्यक ( धनिया )
- चव्य
- कृष्ण जीरक ( काला जीरा )
- द्राक्षा ( मुनक्का )
- देवदारु
- लौह भस्म
गर्भपाल रस के फायदे
जैसा कि नाम से ही पता चलता है गर्भपाल रस का मुख्य कार्य गर्भ का पालन करना होता है . गर्भिणी स्त्री और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और गर्भावस्था में होने वाली समस्याओं से बचाने के लिए गर्भपाल रस का प्रयोग किया जाता है . आइये जानते हैं गर्भवती एवं गर्भ के लिए गर्भपाल रस के फायदे क्या क्या हैं .
गर्भपाल रस गर्भपात एवं गर्भस्राव से बचाता है
जिन महिलाओं को बार बार गर्भस्राव या गर्भपात हो जाता है उन महिलाओं को आयुर्वेद चिकित्सक की देख रेख में गर्भपाल रस का सेवन कराने से लाभ होता है और गर्भस्राव की समस्या से छुटकारा मिलता है .
गर्भाशय की कमजोरी दूर करे गर्भपाल रस
गर्भपाल रस का सेवन करने से गर्भाशय दौर्बल्य ( कमजोरी ) नष्ट होता है तथा गर्भाशय को शक्ति और मजबूती प्राप्त होती है .
गर्भावस्था के विकारों से बचाता है गर्भपाल रस
गर्भपाल रस का सेवन करने से गर्भवती महिलाओं में होने वाली समस्याओं जी मिचलाना , उल्टी , बेचैनी , सिर दर्द , कमर दर्द आदि में लाभ होता है .
गर्भवती महिलाओं के रोगों में लाभप्रद है गर्भपाल रस
गर्भवती महिला के ज्वर , कास , अतिसार आदि में गर्भपाल रस का सेवन करना लाभदायक होता है .
गर्भपाल रस गर्भधारण में सहायक
जिन स्त्रियों में गर्भधारण की समस्या है और शीघ्र गर्भधारण नहीं हो पाता है या गर्भधारण होने पर गर्भस्राव हो जाता है उन्हें गर्भपाल रस का सेवन करने से लाभ होता है .
गर्भाशय पुष्टि में गर्भपाल रस के फायदे
गर्भपाल रस के सेवन से गर्भाशय को पुष्टि और मजबूती मिलती है .
गर्भपाल रस के नुकसान
गर्भपाल रस एक आयुर्वेदिक दवा है इसलिए हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श और दिशा निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए . बिना चिकित्सकीय सलाह स्वेच्छा से गर्भपाल रस का सेवन हानिकर भी हो सकता है . आइये जानते हैं गर्भपाल रस के नुकसान क्या हैं और इसके सेवन में क्या सावधानियां रखनी चाहिए .
- गर्भपाल रस के अधिक सेवन से विबंध ( कब्ज ) की समस्या हो सकती है .
- गर्भपाल रस महिलाओं में गर्भ की रक्षा के लिए प्रयोग की जाने वाली आयुर्वेद औषधि है इसलिए इसका इस्तेमाल स्त्रियों के लिए किया जाता है , बच्चों की पहुँच से इसे दूर रखना चाहिए . छोटे बच्चों द्वारा इसका सेवन करने इसमें प्रयुक्त नाग भस्म , वंग भस्म आदि घटक उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकर हो सकते हैं .
- गर्भपाल रस में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में किसी द्रव्य से एलर्जी होने की स्थिति में इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
गर्भपाल रस सेवन विधि
गर्भपाल रस एक आयुर्वेदिक दवा है इसलिए हमेशा आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा निर्देशित मात्रा और अवधि तक सेवन करना चाहिए . सामान्यतः गर्भपाल रस सेवन विधि निम्नानुसार है .
मात्रा – 125-250 mg
अनुपान – पानी , शहद आदि ( चिकित्सक के निर्देशानुसार )
दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग के आज के आर्टिकल में हमने आयुर्वेदिक दवा गर्भपाल रस के फायदे और सेवन विधि के बारे बताया . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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