आयुर्वेद में विभिन्न रोगों की चिकित्सा के लिए हर्बल औषधियों के साथ रस औषधियों का का प्रयोग भी किया जाता है . रस औषधियों को अत्यंत प्रभावी और उपयोगी माना जाता है . ऐसी ही एक आयुर्वेद औषधि सूतशेखर रस से सम्बंधित जानकारी इस आर्टिकल में आपके साथ शेयर कर रहे हैं .
सूतशेखर रस का परिचय
सूतशेखर रस एक आयुर्वेद रस औषधि है जो आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा अम्लपित्त , अग्निमांद्य , अजीर्ण , दाह आदि की चिकित्सा में प्रयोग की जाती है . सूतशेखर रस एक पित्तशामक औषधि है जो पित्त विकार से उत्पन्न व्याधियों की चिकित्सा में विशेषतः उपयोग की जाती है . सूतशेखर रस दो प्रकार का उपलब्ध होता है – 1 . सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) , 2. सूतशेखर रस ( सादा ) .
सूतशेखर रस के घटक
सूतशेखर रस के निर्माण में निम्नलिखित घटक द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है .
- शुद्ध पारद
- शुद्ध गंधक
- शुद्ध टंकण
- शुद्ध धतूरा
- ताम्र भस्म
- शंख भस्म
- शुण्ठी ( सौंठ )
- मरिच ( काली मिर्च )
- पिप्पली ( पीपल )
- दालचीनी
- तेजपत्र ( तेजपत्ता )
- एला ( इलायची )
- बिल्व ( बेल )
- कर्चूर
- नागकेसर
- भृंगराज स्वरस
उपर्युक्त द्रव्यों के अलावा स्वर्ण सूतशेखर रस में स्वर्ण भस्म का प्रयोग किया जाता है . सूतशेखर रस में कुछ लोग शुद्ध वत्सनाभ और रजत भस्म का भी प्रयोग करते हैं .
सूतशेखर रस के लाभ
सूतशेखर रस वात पित्त प्रधान रोगों की उत्तम औषधि माना जाता है . अम्लपित्त , रक्तपित्त . दाह , अग्निमांद्य , उदावर्त , हिक्का , गुल्म , ग्रहणी , अतिसार आदि रोगों की चिकित्सा में सूतशेखर रस अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है . निम्नलिखित रोगों में सूतशेखर रस लाभप्रद होता है .
अम्लपित्त ( एसिडिटी ) में सूतशेखर रस से लाभ
शरीर में पित्त के प्रकोप से अम्लपित्त ( एसिडिटी ) की समस्या होने पर सूतशेखर रस की 1-2 गोलियां सुबह शाम द्राक्षावलेह के साथ सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है और पेट की जलन कम होती है . ( यह भी पढ़ें – एसिडिटी का तुरंत इलाज )
संग्रहणी में सूतशेखर रस का प्रयोग
पाचक पित्त की दुर्बलता से संग्रहणी रोग होता है जिससे भोजन का पाचन नहीं हो पाता और रोगी बार बार मल त्याग करता है . संग्रहणी रोग में सूतशेखर रस का सेवन करने से रोगी को लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – संग्रहणी में कुटजारिष्ट के फायदे )
रक्तपित्त में सूतशेखर रस के लाभ
रक्तपित्त ( शरीर के किसी अंग से खून बहना ) होने पर सूतशेखर रस को नागकेसर चूर्ण के साथ सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है और रक्तस्राव बंद हो जाता है . ( यह भी पढ़ें – नकसीर का आयुर्वेदिक इलाज )
आमाशय व्रण में सूतशेखर रस के फायदे
आमाशय में छाले या घाव हो जाने पर सूतशेखर रस , प्रवाल पिष्टी और अविपत्तिकर चूर्ण का सेवन करने से लाभ होता है .
सूतशेखर रस से उल्टी ( वमन ) में लाभ
अम्लपित्त , अजीर्ण , अमाशय व्रण या यात्रा के कारण होने वाली उल्टी में सूतशेखर रस की 1-2 गोली का सेवन लाभप्रद होता है .
हिचकी में सूतशेखर रस का उपयोग
हिक्का या हिचकी रोग में सूतशेखर रस का सेवन लाभकारी होता है .
उदावर्त या अफारा में सूतशेखर रस से लाभ
पेट में अफारा होने या दर्द के साथ पेट फूलने पर सूतशेखर रस का सेवन करने से रोगी को लाभ होता है .
सूतशेखर रस का हृदय के लिए उपयोग
हृदय की धड़कन बढ़ने अथवा नाड़ी तेज चलने पर सूतशेखर रस के सेवन से नाड़ी की गति कम होती है तथा हृदय की धड़कन सामान्य होने में मदद मिलती है .
खांसी में सूतशेखर रस का प्रयोग
बिना बलगम वाली सूखी खांसी होने पर तालीसादि चूर्ण के साथ सूतशेखर रस को शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है .
सूतशेखर रस के अतिसार में लाभ
सूतशेखर रस पित्त विकार को नष्ट करने वाला तथा संग्राही भी होता है . अतिसार ( दस्त ) होने पर सूतशेखर रस का सेवन करने से अतिसार में लाभ होता है तथा मल बंधता है . ( यह भी पढ़ें – बार बार दस्त लगने के कारण )
अग्निमांद्य में सूतशेखर से लाभ
सूतशेखर रस में दीपन , पाचन गुण होने के कारण इसके सेवन से जठराग्नि प्रदीप्त होती है तथा पाचन क्रिया में सुधार होकर भूख जागृत होती है .
पीरियड्स में सूतशेखर रस के लाभ
कष्टार्तव ( खुल कर पीरियड्स न आना ) में सूतशेखर रस के सेवन से मासिक स्राव के दौरान होने वाले पेट दर्द में लाभ होता है और पीरियड्स खुल कर आते हैं . ( यह भी पढ़ें – पीरियड्स में दर्द कैसे कम करें )
पेट में जलन में सूतशेखर रस के फायदे
पित्त विकार के कारण पेट या सीने में जलन होने पर सूतशेखर रस का सेवन करने से जलन में लाभ होता है .
सिर दर्द में सूतशेखर रस का प्रयोग
पित्त की विकृति से होने वाले पित्तज शिरः शूल ( सिर दर्द ) में सूतशेखर रस का सेवन करने से रोगी को सिर दर्द से राहत मिलती है .
सूतशेखर रस के दुष्प्रभाव
सूतशेखर रस एक आयुर्वेदिक रसौषधि है जो आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श और निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए , स्वेच्छा से इसे सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है . सूतशेखर रस के सेवन में निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए अन्यथा सूतशेखर रस से नुकसान भी हो सकते हैं .
- सूतशेखर रस में रस भस्मों का प्रयोग किया गया है इसलिए किडनी के रोगियों के लिए यह नुकसानदायक हो सकता है .
- 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सूतशेखर रस का सेवन नहीं कराना चाहिए .
- गर्भवती महिलाओं को सूतशेखर रस के सेवन से बचना चाहिए .
- जिन लोगों को सूतशेखर रस में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में किसी द्रव्य से एलर्जी है तो उन्हें इसके सेवन से बचना चाहिए .
सूतशेखर रस सेवन विधि
सूतशेखर रस एक आयुर्वेद औषधि है इसलिए आयुर्वेदिक डॉक्टर द्वारा निर्देशित मात्रा और विधि अनुसार ही इसका सेवन करना चाहिए . सामान्यतः सूतशेखर रस सेवन विधि निम्नानुसार है .
मात्रा – 1-2 गोली ( 125-250 mg ) सुबह शाम
अनुपान – पानी , शहद , दाडिमावलेह , द्राक्षावलेह आदि ( रोगानुसार ) .
दोस्तों , आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा , अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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