दोस्तों आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आज यहाँ आहार या भोजन के बारे में चर्चा की जा रही है . इस लेख का विषय है Bhojan kaisa hona chahie .
आहार या भोजन स्वास्थ्य का मुख्य आधार है । आयुर्वेद में आहार को महा भैषज्य ( श्रेष्ठ औषधि ) कहा गया है । हम क्या खाते हैं , कब खाते हैं और कैसे खाते हैं इसका हमारे स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव पड़ता है , इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छा खाना अत्यावश्यक है ।
भोजन कितने प्रकार का होता है ?
आहार के प्रकार
आयुर्वेद अनुसार ऐसा भोजन जिससे वायु की वृद्धि हो वातज आहार, जिसे खाने से पित्त की वृद्धि हो पित्तज आहार और जिसे भोजन से कफ की वृद्धि हो उसे कफज आहार कहते हैं ।
आहार द्वारा मन पर होने वाले प्रभाव को देखते हुए आहार सात्विक , राजसिक और तामसिक भी कहा जाता है ।
सात्विक आहार – ताजा, रसयुक्त, कम चिकनाई वाला, फल व सब्जियां, दूध, दही, घी आदि सात्विक आहार कहलाता है ।
राजसिक आहार – अधिक मिर्च मसाले वाला, चिकनाईयुक्त, मिठाईयां , व्यंजन, चाय, काफी, मदिरा आदि राजसिक आहार कहा जाता है ।
तामसिक – मांसाहार, विषम भोजन, बासी भोजन आदि तामसिक भोजन कहा जाता है ।
भोजन कैसे करना चाहिए ?
भोजन कैसे करना चाहिए ?
भोजन शांत चित्त बैठ कर , धीरे धीरे खूब चबा चबा कर एकाग्र भाव से करना चाहिए । टीवी देखते हुए या मोबाइल पर बात करते हुए भोजन नहीं करना चाहिए । भोजन के सही पाचन के लिए यह आवश्यक है कि भोजन प्रसन्नता पूर्वक पूरे मन से करना चाहिए ।
हमें कैसा भोजन करना चाहिए ? Bhojan kaisa hona chahie
अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमेशा संतुलित आहार करना चाहिए । संतुलित आहार एक ऐसा भोजन होता है जिसमें शरीर की आवश्यकता अनुसार सभी पोषक तत्त्व जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज आदि उचित मात्रा में सम्मिलित हों । संतुलित आहार पोषण सम्बन्धित आवश्यकताओं की पूर्ति करने के कारण रोगों से बचाव करता है, इम्यूनिटी पावर बढ़ाता है और वजन को नियंत्रित रखता है ।
भोजन में सब्जियां न अधिक पकी और न ही कच्ची होनी चाहिए । भोजन हमेशा ताजा, गर्म और आसानी से पचने वाला होना चाहिए । भोजन में कच्चे फलों को और सलाद को अवश्य शामिल करना चाहिए । सलाद हनेशा भोजन से ठीक पहले लेना चाहिए ।
भोजन में वसा की मात्रा न्यूनतम होनी चाहिए । मांसाहार का प्रयोग कम करना चाहिए । आयुर्वेदानुसार भोजन षडरस युक्त अर्थात् मधुर ( मीठा ), अम्ल ( खट्टा ), लवण ( नमकीन ), कटु ( कड़वा ), तिक्त ( तीखा ) और कषाय ( कसैला ) रस वाला होना चाहिए ।
कैसा भोजन नहीं करना चाहिए ?
Bhojan kaisa hona chahie यह जानने के साथ यह जानना भी आवश्यक है कि कैसा Bhojan nahi hona chahie ?
अत्यधिक गर्म, अत्यधिक ठंडा या बासी, अधिक चिकनाई युक्त, अधिक मिर्च मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए । डिब्बा बंद आहार, जंक फूड, सॉफ्ट ड्रिंक आदि का प्रयोग भी स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है अतः ऐसा भोजन नहीं करना चाहिए ।
आयुर्वेद अनुसार विरुद्ध आहार कई रोगों का कारण है इसलिए विरुद्ध आहार नहीं करना चाहिए । विरुद्ध आहार से तात्पर्य खाने पीने की उन चीजों से है जो एक साथ या आपस में मिला कर खाने से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं ।
जैसे कि निम्नलिखित खाद्य पदार्थ आपस में विरुद्ध हैं अतः ऐसे भोजन से बचना चाहिए –
दूध के साथ नमक मिली चीज ।
सरसों के तेल के साथ मछली ।
दूध और मूली ।
ठंडा दही और गर्म पराठा ।
दूध और फल जैसे कि शेक आदि ।
भोजन और पानी
आयुर्वेद में खाली पेट पानी औषधि के समान, भोजन के पचने के बाद बल देने वाला, भोजन के मध्य अमृत के समान और भोजन के अंत में ( भोजन के ठीक बाद ) जहर के समान माना गया है ।
” अजीर्णे भेषजम् वारि जीर्णे वारि बलप्रदम् ।
भोजने चामृतम् वारि , भोजनान्ते विषप्रदम् ।।
भोजन से चालीस मिनिट पहले और भोजन के चालीस मिनिट बाद पानी पिया जा सकता है । भोजन के बीच थोड़ा थोड़ा घूंट घूंट पानी पी सकते हैं ।
रात का भोजन कैसा होना चाहिए
रात का भोजन यथासंभव सूर्यास्त से पहले कर लेना चाहिए । यह संभव नहीं हो तो रात को 8 बजे तक भोजन कर लेना चाहिए । रात को हल्का सुपाच्य भोजन करना चाहिए । अधिक कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन रात में नहीं करना चाहिए ।
रात में दही का सेवन नहीं करना चाहिए । दूध का प्रयोग रात में उचित है । दूध हमेशा गर्म कर के ही पीना चाहिए , कच्चे दूध का सेवन नहीं करना चाहिए ।
इस लेख में bhojan kaisa hona chahie सम्बंधित सामान्य जानकारी दी गयी , अगले Health Tips में अन्य रोचक और लाभदायक जानकारी के साथ हाजिर होंगे ……
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