गमों की रात को ढलना है

ग़मों की रात को ढलना है

अंधियारों को भूल कर उजालों की खबर ले लेखुशी का सूरज निकलेगा गमों की रात को ढलना है ।।नजर उठा और पांव बढ़ा गिरने का डर छोड़ देचल पड़ जानिब ए मंजिल गिर गिर कर सम्हलना है ।।बाहर का मौसम बुरा जो हो तेरा उस पर जोर नहींयह मौसम भी बदल जायेगा पहले खुद को … Read more