गुरु चाहिए , हिन्दी कविता | Hindi Poem Guru Chahie
पात झर गए शाखों से वृक्ष ठूंठ से खड़े हुएबेकल सब विहग चमन के इन्हें हरित तरु चाहिए ।बाजारों को नहीं बक्शा घर में भी घुस गए यवनइन अलेक्जेंद्रों से लड़ने कोई सम्राट पुरु चाहिए ।सत्तासीन नशे में हैं जूं नहीं रेंग रही कानों परकान खोलने को बहरों के भगत सिंह राजगुरु चाहिए ।भगवान के … Read more