जानें चन्दनासव के फायदे व नुकसान | 7 Amazing Benefits of Chandanasava.

आयुर्वेद में रस , वटी , चूर्ण , क्वाथ , अवलेह , आसव अरिष्ट आदि औषधियों के प्रकार हैं जो विभिन्न रोगों की चिकित्सा के लिए प्रयुक्त किये जाते हैं . ऐसी ही गुणकारी आयुर्वेद औषधि चन्दनासव के फायदे व नुकसान से सम्बंधित जानकारी इस आर्टिकल में शेयर कर रहे हैं . आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी .

चन्दनासव क्या है ?

चन्दनासव एक आयुर्वेदिक दवा है जो आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा मुख्यतः पेशाब सम्बन्धित समस्याओं ( मूत्र विकारों ) की चिकित्सा के लिए प्रयोग की जाती है . मूत्र रोगों के अतिरिक्त प्रमेह , धातु दोष , प्रदर , पित्त विकार आदि में भी चन्दनासव के प्रयोग से लाभ प्राप्त होता है .

चन्दनासव

चन्दनासव के घटक

चन्दनासव के निर्माण में मुख्यतः निम्नलिखित घटक द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है .

  • सफ़ेद चन्दन
  • लाल चन्दन
  • सुगंधबाला
  • नागरमोथा
  • प्रियंगु
  • गम्भारी
  • पद्माख
  • मंजीठ
  • पाठा
  • चिरायता
  • वट की छाल
  • पीपल की छाल
  • आम की छाल
  • कांचनार की छाल
  • खजूर
  • पित्त पापडा
  • मुलेठी
  • रास्ना
  • परवल
  • मोच रस

चन्दनासव के फायदे व नुकसान

मूत्र रोग , शुक्र दोष , प्रदर सहित कई रोगों में चन्दनासव के चिकित्सकीय उपयोग बताये गये हैं . चन्दनासव के विभिन्न रोगों में फायदे होते हैं किन्तु यह एक आयुर्वेद औषधि है इसलिए आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श और निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए अन्यथा नुकसान की भी संभावना होती है . आइये जानते हैं आयुर्वेदिक दवा चन्दनासव के फायदे व नुकसान क्या हैं .

चन्दनासव के फायदे

पेशाब की जलन , पेशाब में रुकावट , श्वेत प्रदर आदि की चिकित्सा में चन्दनासव का मुख्यतः प्रयोग किया जाता है लेकिन अन्य रोगों में भी चन्दनासव के सेवन से विशेष लाभ होता है . आइये जानते हैं चन्दनासव के फायदे किन किन रोगों में प्राप्त होते हैं .

चन्दनासव के फायदे

पेशाब की जलन में चन्दनासव से लाभ

मूत्र दाह ( पेशाब में जलन ) की समस्या होने पर चन्दनासव का सेवन करने से पेशाब की जलन कम होती है और रोगी को लाभ होता है .

पेशाब की रुकावट में चन्दनासव लाभप्रद

पेशाब रुक रुक कर आना या बार बार आना की समस्या होने पर चन्दनासव का सेवन करने से रोगी को लाभ प्राप्त होता है . ( यह भी पढ़ें – प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है )

धातु दोष में चन्दनासव के फायदे

पेशाब के साथ धातु जाने या स्वप्न दोष की शिकायत होने पर चन्दनासव का प्रयोग करने से फायदा होता है .

पित्त विकारों में चन्दनासव लाभप्रद

चन्दनासव ठंडा ( शीत वीर्य ) होता है और इसके सेवन पित्त विकारों में लाभ होता है .

ल्यूकोरिया में चन्दनासव लाभदायक

महिलाओं में श्वेत प्रदर ( ल्यूकोरिया ) की शिकायत होने पर चन्दनासव का सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – ल्यूकोरिया की आयुर्वेदिक दवा )

यौन रोगों में चन्दनासव से लाभ

यौन रोग उपदंश आदि में चन्दनासव का सेवन करने से रोगी को लाभ होता है .

हृदय रोगों में चन्दनासव का प्रयोग

चन्दनासव का सेवन हृदय को बल देने वाला और हृदय की कमजोरी दूर करने वाला होता है इसलिए इसका सेवन हृदय रोगियों के लिए लाभप्रद होता है . ( यह भी पढ़ें – हृदय रोगों में अर्जुनारिष्ट के फायदे )

चन्दनासव के नुकसान

चन्दनासव एक आयुर्वेदिक दवा है इसलिए हमेशा आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श और निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए . बिना किसी चिकित्सकीय सलाह स्वेच्छा से चन्दनासव का प्रयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकर भी हो सकता है . आइये जानते हैं चन्दनासव के नुकसान क्या हो सकते हैं और इसके सेवन में किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए .

चन्दनासव के नुकसान
  • शीत प्रकृति वालों को चन्दनासव के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि चन्दनासव शीत वीर्य होता है और इसके सेवन से उन्हें समस्या हो सकती है .
  • चन्दनासव में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में किसी घटक से एलर्जी होने की स्थिति में चन्दनासव का सेवन नहीं करना चाहिए .
  • गर्भवती महिलाओं को आसव अरिष्ट की सलाह नहीं दी जाती इसलिए उन्हें चन्दनासव का सेवन नहीं करना चाहिए .
  • जुकाम खांसी होने पर चन्दनासव का सेवन नहीं करना चाहिये अन्यथा समस्या में इजाफा हो सकता है .

चन्दनासव सेवन विधि

चन्दनासव का सेवन हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर द्वारा निर्देशित और निर्धारित मात्रा में सेवन करना चाहिए . सामान्यतः चन्दनासव सेवन विधि निम्नानुसार है .

चन्दनासव सेवन विधि

मात्रा – 15-30 ml ( भोजन के बाद बराबर पानी मिला कर )

दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग के इस लेख में हमने आयुर्वेद औषधि चन्दनासव के फायदे व नुकसान से सम्बन्धित जानकारी साझा की . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .

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