चर्म रोग की आयुर्वेदिक दवा | Best Ayurvedic Medicines for Skin Diseases.

आम तौर पर यह माना जाता है कि चर्म रोगों का इलाज आसानी से नहीं होता और कई सालों तक चर्म रोग से पीछा नहीं छूटता लेकिन यह बात सच नहीं है कुछ चर्म रोगों को छोड़ कर अधिकतर का इलाज कुछ सावधानियां बरत कर तथा सामान्य चिकत्सा द्वारा किया जा सकता है . इस लेख में हम चर्म रोग की आयुर्वेदिक दवा और घरेलू उपाय बताने जा रहे हैं जो निस्संदेह आपके लिए उपयोगी होंगे .

चर्म रोग की आयुर्वेदिक दवा
चर्म रोग की आयुर्वेदिक दवा

चर्म रोग क्यों होता है ?

आयुर्वेद के अनुसार दूषित पित्त रक्त को दूषित कर देता है फिर दूषित रक्त से त्वचा की विकृति हो कर त्वचा रोग उत्पन्न होते हैं .आचार्य सुश्रुत के अनुसार वात , पित्त , कफ ( त्रिदोष ) के प्रकोप से त्वचा की विकृति होती है जिसकी उपेक्षा करने से रक्त , मांस आदि दूषित होकर चर्म रोगों को जन्म देते हैं . विभिन्न प्रकार के चर्म रोगों के सामान्य कारण निम्नलिखित माने जाते हैं .

चर्म रोग क्यों होता है
चर्म रोग क्यों होता है ?
  • विरुद्ध आहार का सेवन – एक दूसरे से विरुद्ध गुणों वाले भोजन को एक साथ खाना जैसे दूध के साथ मूली का सेवन .
  • गर्म और ठंडा – गर्म गर्म भोजन के साथ फ्रिज का ठंडा पानी पीना , चाय – कॉफ़ी पीने के तुरंत बाद आइसक्रीम . कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन करना .
  • अधिक खट्टा , नमकीन , चाट पकौड़ी आदि का अधिक सेवन .
  • नया अनाज , दही , उड़द , मछली , आलू आदि का अधिक सेवन करना .
  • पहले खाए हुए भोजन के बिना पचे दोबारा भोजन करना .
  • अधिक गर्म या अधिक ठण्डे खाद्य पदार्थों का सेवन करना .
  • अधिक धूप या गर्म वातावरण में रहना .
  • दिन में अधिक सोना .
  • भोजन के बाद व्यायाम करना .
  • मल , मूत्र , वमन , छींक , खांसी आदि वेगों को रोकना .
  • शारीरिक श्रम करने या धूप से आने के तुरंत बाद ठण्डे पानी से नहाना .
  • संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से . ( सभी चर्म रोग एक से दूसरे में नहीं फैलते किन्तु कुछ रोग संक्रामक होते हैं .)
  • फंगल इन्फेक्शन .
  • दवाइयों का दुष्प्रभाव .
  • रक्त विकार ( खून की खराबी ) .

चर्म रोग की पहचान कैसे करें ? ( चर्म रोग के लक्षण )

चर्म रोग के प्रारम्भ में त्वचा या शरीर में कुछ परिवर्तन होते हैं जिन्हें पहचान कर चर्म रोग को जाना जा सकता है . चर्म रोगों के सामान्य लक्षण निम्नानुसार हैं .

  • त्वचा का अधिक रूखा या अधिक चिकना होना .
  • त्वचा के रंग में बदलाव होना .
  • खुजली होना .
  • त्वचा में जलन होना .
  • सुई चुभने जैसी वेदना होना .
  • खून का रंग काला होना .
  • पसीना न आना या अधिक आना .
  • त्वचा में घाव होने के बाद जल्दी न भरना .
  • त्वचा पर धब्बे या चकत्ते पड़ना .
  • त्वचा पर पिडिकायें होना .
  • त्वचा पर लाल , काले या सफ़ेद धब्बे होना .

चर्म रोग की आयुर्वेदिक दवा

निदान परिवर्जन , उचित आहार विहार और आयुर्वेद औषधियों से चर्म रोगों का उपचार सहजता से किया जा सकता है . यहाँ हम आपको चर्म रोग की आयुर्वेदिक दवा और आसान घरेलू उपाय बता रहे हैं .

चर्म रोग की आयुर्वेदिक दवा
चर्म रोग की आयुर्वेदिक दवा

दाद का उपचार

  • दाद को साफ़ कर आक के पत्तों का रस , हल्दी का रस सरसों के तेल में जला कर छान कर दाद पर लगाने से बहुत लाभ होता है .
  • चक्रमर्द के बीज , अमलतास की जड़ , कूठ , पीपर और वायविडंग को पीस कर दाद पर लगाने से लाभ होता है .

सफेद दाग की आयुर्वेदिक चिकत्सा

  • अमलतास , नीम , इंद्र जौ , शिरीष और राल को पानी में पीस कर लेप करने से सफ़ेद दाग में फायदा होता है .
  • बाकुची और मूली के बीजों को गोमूत्र के साथ पीस कर सफेद दाग पर लगाने से लाभ होता है .
  • बाकुची का तेल सफेद दाग पर लगाने से फायदा होता है .
  • बाकुची , मेहंदी के पत्ते , खदिर की छाल , हल्दी और भृंगराज को तिल के तेल में पका कर छान कर लगाने से सफ़ेद दाग में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – सफेद दाग की आयुर्वेदिक दवा )

खाज खुजली का इलाज

  • गिलोय का रस और हल्दी मिला कर लगाने से खुजली में आराम मिलता है .
  • चक्रमर्द के बीज , मूली के बीज और करंज के बीज नींबू के रस के साथ मिला कर लगाने से खाज खुजली में लाभ होता है .
  • आक के पत्तों को सरसों के तेल में पका कर , छान कर लगाने से खुजली में लाभ होता है .
  • तुलसी की पत्तियों के रस में नींबू का रस मिला कर लगाने से खुजली में फायदा होता है .
  • अपामार्ग के पंचांग के क्वाथ से स्नान करने से खुजली में लाभ होता है .
  • अजवायन को गर्म जल में पीस कर लेप करने से खुजली में आराम होता है .

शीतपित्त का आयुर्वेदिक उपचार

  • गाय के घी में काली मिर्च का पाउडर हल्का सा गर्म करके सेवन करने से शीतपित्त में लाभ होता है .
  • गिलोय के रस में सौंठ का चूर्ण मिला कर सेवन करने से शीतपित्त में लाभ होता है .
  • चन्दन को गिलोय के रस के साथ सेवन करने से शीतपित्त में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – शीतपित्त का आयुर्वेदिक इलाज )

बिवाई का घरेलू इलाज

  • शुक्ति भस्म में मक्खन मिला कर लगाने से बिवाई ( पाददारी ) में लाभ होता है .
  • भल्लातक तेल लगाने से बिवाई में फायदा होता है .
  • लाल चन्दन , राल , गेरू , घी और शहद मिला कर लेप करने से बिवाई में लाभ होता है .
  • नारियल के तेल को गर्म कर मोम मिला कर लगाने से बिवाई में फायदा होता है .
  • करौंदे के बीजों को पीस कर नारियल तेल में मिला कर लगाने से बिवाई में लाभ होता है .

रक्त विकार और सामान्य चर्म रोग की आयुर्वेदिक दवा

  • नीम की निम्बोलियों का चूर्ण पानी के साथ सुबह शाम सेवन करने से चर्म रोग और रक्त विकार में लाभ होता है .
  • टमाटर का रस शहद के साथ सेवन करने से रक्त विकार नष्ट होते हैं .
  • नीम की कोंपल को पानी में पीस कर मिश्री के साथ सेवन करने से चर्म रोगों में लाभ होता है .
  • त्रिफला , वच , कुटकी , मंजीठ , नीम की छाल , दारुहल्दी और गिलोय का क्वाथ बना कर सेवन करने से रक्त विकार और सभी प्रकार के चर्म रोगों में लाभ होता है .
  • नीम , सारिवा और मंजीठ का चूर्ण गिलोय के रस के साथ सेवन करने से चर्म रोगों में लाभ होता है .

आयुर्वेदिक स्टोर में मिलने वाली चर्म रोग की आयुर्वेदिक दवा

आयुर्वेद में विभिन्न त्वचा रोगों के उपचार हेतु कई औषधियों का वर्णन किया हुआ है जो बाजार में आयुर्वेदिक स्टोर पर उपलब्ध हैं . इन आयुर्वेद औषधियों का आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देशानुसार प्रयोग करने से लाभ होता है .

चर्म रोग में गंधक का उपयोग

चर्म रोग में गंधक का उपयोग
चर्म रोग में गंधक का उपयोग

आयुर्वेद में विभिन्न चर्म रोगों में गंधक का बाह्य और आभ्यंतर प्रयोग किया जाता है और बहुत सी आयुर्वेद औषधियों के घटक द्रव्यों में गंधक का उपयोग किया जाता है . आयुर्वेद औषधि शुद्ध गंधक एवं गंधक रसायन का आभ्यंतर प्रयोग किया जाता है इसके अलावा गंधक का बाह्य प्रयोग चर्म रोगों में लेप के रूप में भी किया जाता है .

FAQ

प्रश्न – चर्म रोग की सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है ?

उत्तर – आयुर्वेद में चर्म रोगों के लिए कई औषधियां आती हैं जिनमें खदिरारिष्ट , सारिवाद्यासव , पंचतिक्तघृत गुग्गुलु . महातिक्त घृत आदि प्रमुख हैं .

प्रश्न – चर्म रोग की कौन सी जड़ी बूटी है ?

उत्तर – चर्म रोगों के लिए नीम , करंज , गिलोय , तुलसी , चक्रमर्द , वच , सारिवा , बाकुची आदि का औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है .

प्रश्न – चर्म रोग वाले को क्या नहीं खाना चाहिए ?

उत्तर – चर्म रोग वाले को अधिक नमक , चटपटा , मसालेदार , तैलीय भोजन , जंक फ़ूड आदि का सेवन नहीं करना चाहिए . दही , गुड़ , उड़द , मछली , दूध , आलू आदि का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए .

प्रश्न – सबसे गंभीर चर्म रोग कौन सा है ?

उत्तर – सोरायसिस , ल्यूकोडर्मा , एग्जिमा आदि ऐसे चर्म रोग हैं जो पुराने होने पर कष्ट साध्य हो जाते हैं और आसानी से ठीक नहीं होते .

दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग के इस आर्टिकल में हमने चर्मरोग की आयुर्वेदिक दवा और घरेलू उपाय से सम्बंधित जानकारी शेयर की . आशा है आपको जानकारी अच्छी लगी होगी . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे .

अन्य पढ़ें

Leave a comment