दवा एक फायदे अनेक , जानें जटामांसी के फायदे बालों के लिए | 21 Amazing Benefits of Jatamansi

जटामांसी एक कमाल की औषधि है . आयुर्वेद में जटामांसी के फायदे विभिन्न रोगों में बताये गये हैं . इस आर्टिकल में हम जटामांसी के अनेक फायदों सहित यह भी बतायेंगे कि जटामांसी के फायदे बालों के लिए क्या क्या हैं ?

जटामांसी के फायदे बालों के लिए

Table of Contents

जटामांसी का परिचय

जटामांसी एक पौधा होता है जिसके फूल में तेज खुशबू आती है . इसकी जड़ों में जटाएं ( बाल जैसे तंतु ) होने के कारण इसे जटामांसी कहा जाता है . इसकी जड़ का ही औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है . जटामांसी Nervous system पर कार्य करती है . इसके सेवन से तनाव का स्तर कम होता है , नींद अच्छी आती है और याददाश्त बढ़ती है .

जटामांसी के फायदे

जटामांसी के आयुर्वेद अनुसार विभिन्न रोगों में औषधीय प्रयोग किये जाते हैं और इसके सेवन से कई रोगों के उपचार में लाभ होता है . अलग अलग रोगों में जटामांसी के फायदे निम्नलिखित हैं – ( यह भी पढ़ें – ब्राह्मी के फायदे और नुकसान )

जटामांसी के फायदे

हिस्टीरिया में जटामांसी का प्रयोग

जटामांसी की जड़ का चूर्ण सेवन करने से हिस्टीरिया के रोगी को लाभ होता है .

अनिद्रा में उपयोगी

अनिद्रा के रोगी यदि सोने से एक घंटे पहले 1 चम्मच जटामांसी चूर्ण पानी के साथ लेते हैं तो अच्छी नींद आती है .

हाई ब्लड प्रेशर में उपयोगी

जटामांसी , अश्वगंधा और ब्राह्मी का चूर्ण बराबर मिला कर 1-1 चम्मच सुबह शाम लेने से उच्च रक्तचाप के रोगियों को फायदा होता है . ( यह भी पढ़ें – अश्वगंधा के फायदे पुरुषों के लिए )

सूजन और दर्द में फायदा

जटामांसी चूर्ण का लेप लगाने से सूजन और दर्द में आराम मिलता है .

चेहरे की चमक के लिए

गुलाब जल में जटामांसी की जड़ पीस कर चेहरे पर कुछ दिन लगातार लगाने से चेहरे की रंगत सुधर जाती है और चेहरा खिल उठता है .

पेट दर्द में फायदा

जटामांसी , सौंठ और काला नमक बराबर मात्रा में लेकर आधा आधा चम्मच सुबह शाम लेने से पेट दर्द में आराम मिलता है .

दांत और मसूढ़ों के लिए फायदेमंद

जटामांसी चूर्ण से मंजन की तरह दांतों पर प्रयोग करने से दांतों और मसूढ़ों के दर्द और अन्य विकारों में लाभ होता है .

बवासीर में फायदेमंद

बवासीर होने पर हल्दी और जटामांसी चूर्ण को मस्सों पर लगाने से फायदा होता है . जटामांसी तेल को मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते हैं .

माहवारी के दर्द से आराम

पीरियड्स में यदि दर्द होता हो और पीरियड्स खुल कर नहीं आते हों तो जटामांसी चूर्ण के सेवन से दर्द में आराम मिलता है और मासिक स्राव खुल कर होता है . ( यह भी पढ़ें – अशोकारिष्ट सिरप पीने के फायदे )

मुंह के छालों में फायदा

मुंह में छाले होने पर जटामांसी के टुकड़े मुंह में रख कर चूसने से छालों और जलन में आराम होता है .

मुंह की दुर्गन्ध में फायदा

जटामांसी , सौंफ , इलायची और सफ़ेद जीरा का चूर्ण पानी के साथ दिन में दो बार लेने से मुंह में आने वाली बदबू से छुटकारा मिलता है .

रक्तपित्त में फायदा

जटामांसी के चूर्ण का सेवन करने से रक्त पित्त ( मुंह , नाक , कान आदि से खून निकलना ) में आराम मिलता है .

रजो निवृत्ति ( मेनोपोज ) की समस्याओं में लाभ

मेनोपोज के बाद होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्याओं में जटामांसी चूर्ण का सेवन करने से लाभ होता है .

कम्पन में लाभप्रद

हाथ , पैर , अँगुलियों आदि में कम्पन होने पर जटामांसी चूर्ण का सेवन करने से लाभ होता है .

मानसिक तनाव दूर करे

जटामांसी के सेवन से मस्तिष्क को आराम मिलता है और तनाव दूर होता है .

याददाश्त बढाने में उपयोगी

जटामांसी का सेवन करने से मस्तिष्क को बल मिलता है और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है .

सिर दर्द में आराम

बार बार सिर में दर्द होने पर जटामांसी और अश्वगंधा चूर्ण के कुछ दिन नियमित सेवन करने से सिर दर्द से छुटकारा मिलता है .

इम्युनिटी बढाने में सहायक

जटामांसी की जड़ में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने का गुण पाया जाता है .

जटामांसी के फायदे बालों के लिए

जटामांसी के विभिन्न रोगों में फायदों के बाद जानिये जटामांसी के फायदे बालों के लिए किस तरह हैं –

जटामांसी के फायदे बालों के लिए

बाल काले और लम्बे करने में जटामांसी का प्रयोग

बालों को नियमित कुछ दिन जटामांसी की जड़ के काढ़े से मालिश करें और 1-2 घंटों बाद बालों को साफ़ पानी से धो लें . कुछ दिन लगातार प्रयोग करने से बाल काले , घने और लम्बे होते हैं .

बाल झड़ने पर जटामांसी का प्रयोग

जटामांसी , भृंगराज और आंवला चूर्ण से बाल धोने पर बालों का झड़ना कम होता है .

सफ़ेद बाल होने पर जटामांसी का प्रयोग

बालों के कम उम्र में सफ़ेद हो जाने पर जटामांसी , कूठ , आंवला का चूर्ण नियमित प्रयोग करने से लाभ होता है .

जटामांसी का उपयोग कैसे करें ?

जटामांसी की जड़ का काढा या चूर्ण के रूप में बाह्य और आभ्यंतर प्रयोग किया जाता है . जटामांसी के चूर्ण का लेप सूजन आदि के लिए लगाया जाता है . जटामांसी का मुख से निम्नानुसार सेवन करना चाहिए –

जटामांसी का उपयोग कैसे करें

जटामांसी चूर्ण – 2-3 ग्राम सुबह शाम पानी के साथ

जटामांसी क्वाथ – 30-50 मिली

जटामांसी के नुकसान

जटामांसी Nervous system पर काम करती है , इसलिए इसके इस्तेमाल में सावधानी बरतनी चाहिए और चिकित्सक के परामर्श अनुसार ही इसका सही मात्रा में उपयोग करना चाहिए . अति मात्रा में सेवन करना Nervous system के लिए घातक भी हो सकता है .

दोस्तों , इस आर्टिकल में हमने जाना कि जटामांसी के फायदे किन किन रोगों में हैं और जटामांसी के फायदे बालों के लिए क्या हैं . अगले लेख में अन्य उपयोगी जानकारी लेकर आयेंगे .

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