त्रिभुवन कीर्ति रस के फायदे और नुकसान | 7 Amazing Benefits of Tribhuvankeerti Ras.

आयुर्वेदिक दवाओं की जानकारी की कड़ी में आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से सर्दी , जुकाम , खांसी , बुखार आदि की आयुर्वेद औषधि त्रिभुवन कीर्ति रस के फायदे और नुकसान से सम्बन्धित जानकारी शेयर कर रहे हैं . आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी . आयुर्वेद और स्वास्थ्य से सम्बन्धित जानकारी के लिए पढ़ते रहिये हमारा ब्लॉग ” आयुर्वेद और साहित्य ” .

त्रिभुवन कीर्ति रस के फायदे और नुकसान

त्रिभुवन कीर्ति रस क्या है ?

त्रिभुवन कीर्ति रस एक आयुर्वेदिक दवा है जो आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा सामान्यतः ज्वर , कास , प्रतिश्याय आदि की चिकित्सा के लिए प्रयोग की जाती है . त्रिभुवन कीर्ति रस सामान्य ज्वर , विषम ज्वर , वात श्लैष्मिक ज्वर , सन्निपातज ज्वर आदि सभी प्रकार के ज्वरों के उपचार में महत्त्वपूर्ण उपयोगी औषधि है .

त्रिभुवन कीर्ति रस के घटक

सर्दी , खांसी . फ़्लू आदि की आयुर्वेद औषधि त्रिभुवन कीर्ति रस के निर्माण में निम्नलिखित घटक द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है .

  • शुद्ध हिंगुल
  • शुद्ध वत्सनाभ
  • मरिच ( काली मिर्च )
  • पिप्पली ( पीपल )
  • शुण्ठी ( सौंठ )
  • टंकण भस्म
  • तुलसी स्वरस
  • आर्द्रक स्वरस ( अदरक का रस )
  • कनक स्वरस ( धतूरे का रस )

त्रिभुवन कीर्ति रस के फायदे और नुकसान

त्रिभुवन कीर्ति रस के फायदे और नुकसान

आयुर्वेद के अनुसार त्रिभुवन कीर्ति रस का जुकाम , बुखार , खांसी , सिर दर्द आदि रोगों की चिकित्सा में उपयोग बताया गया है . ज्वर , कास , प्रतिश्याय आदि में प्रयोग किया जाने वाला त्रिभुवन कीर्ति रस एक आयुर्वेद औषधि है इसलिए हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श और निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए . बिना चिकित्सकीय सलाह त्रिभुवन कीर्ति रस का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकर भी हो सकता है . आइये जानते हैं त्रिभुवन कीर्ति रस के फायदे और नुकसान क्या हैं .

त्रिभुवन कीर्ति रस के फायदे

जुकाम , खांसी , बुखार आदि की आयुर्वेदिक दवा त्रिभुवन कीर्ति रस के फायदे निम्नलिखित हैं .

त्रिभुवन कीर्ति रस के फायदे

जुकाम में त्रिभुवन कीर्ति रस से लाभ

सर्दी जुकाम में त्रिभुवन कीर्ति रस का सेवन करने से लाभ होता है और नाक से पानी बहना , छींक आना आदि लक्षणों में कमी होती है . ( यह भी पढ़ें – सर्दी जुकाम के घरेलू नुस्खें )

बुखार में त्रिभुवन कीर्ति रस के फायदे

सभी प्रकार के ज्वर , नूतन ज्वर , जीर्ण ज्वर , वात कफज ज्वर , आन्त्रिक ज्वर , विषम ज्वर आदि में त्रिभुवन कीर्ति रस का सेवन करने से रोगी को लाभ होता है और बुखार में कमी होती है .

सिर दर्द में त्रिभुवन कीर्ति रस का प्रयोग

शिरः शूल ( सिर दर्द ) होने पर त्रिभुवन कीर्ति रस की 1-2 गोली का सेवन करने से सिर दर्द में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – माइग्रेन के लक्षण और उपाय )

खांसी में त्रिभुवन कीर्ति रस का प्रयोग

त्रिभुवन कीर्ति रस का सेवन करने से कफ विकार नष्ट होता है और खांसी में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – पुरानी से पुरानी खांसी की दवा )

त्रिभुवन कीर्ति रस से सूजन में लाभ

त्रिभुवन कीर्ति रस में शोथहर गुण होने के कारण सूजन में लाभ होता है .

उदर रोगों में त्रिभुवन कीर्ति रस के उपयोग

त्रिभुवन कीर्ति रस में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में पाचन तंत्र की क्रियाओं को बेहतर बनाने का गुण होता है इसलिए पाचन सम्बन्धित विकार अपच , गैस , कब्ज आदि में त्रिभुवन कीर्ति रस का सेवन करना लाभप्रद होता है .

निमोनिया में त्रिभुवन कीर्ति रस से लाभ

निमोनिया या फेफड़ों में संक्रमण होने पर त्रिभुवन कीर्ति रस का सेवन करने से कफ नष्ट होता है और रोगी को लाभ होता है .

त्रिभुवन कीर्ति रस के नुकसान

त्रिभुवन कीर्ति रस एक आयुर्वेदिक दवा है इसलिए हमेशा आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श और दिशा निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए . बिना चिकित्सकीय सलाह स्वेच्छा से त्रिभुवन कीर्ति रस का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है . आइये जानते हैं त्रिभुवन कीर्ति रस के नुकसान क्या हो सकते हैं और इसके सेवन में क्या सावधानियां रखनी चाहिए .

त्रिभुवन कीर्ति रस के नुकसान
  • त्रिभुवन कीर्ति रस की अधिक मात्रा बी पी लो ( निम्न रक्तचाप ) की समस्या पैदा कर सकती है .
  • गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को त्रिभुवन कीर्ति रस के सेवन की सलाह नहीं दी जाती इसलिए बच्चों और गर्भिणी स्त्रियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
  • गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्ति जो अन्य दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें त्रिभुवन कीर्ति रस के सेवन से पूर्व अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए .
  • त्रिभुवन कीर्ति रस में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में किसी से एलर्जी होने पर इसका सेवन नहीं करना चाहिए .

त्रिभुवन कीर्ति रस सेवन विधि

त्रिभुवन कीर्ति रस का सेवन हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर द्वारा निर्देशित और निर्धारित मात्रा अनुसार सेवन करना चाहिए . सामान्यतः त्रिभुवन कीर्ति रस सेवन विधि निम्नानुसार है .

त्रिभुवन कीर्ति रस सेवन विधि

मात्रा – 125-250 mg

अनुपान – शहद , पानी , अदरक का रस आदि ( रोगानुसार एवं चिकित्सक के निर्देशानुसार )

दोस्तों , आज के लेख में हमने आयुर्वेद औषधि त्रिभुवन कीर्ति रस के फायदे और नुकसान से सम्बन्धित जानकारी साझा की . आशा है यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .

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