दमा की आयुर्वेदिक दवा | Best Ayurvedic Medicines for Asthma .

दमा या श्वास की बीमारी से हम सभी परिचित हैं . यह एक मुश्किल से सही होने वाला रोग है तो आज हम जानते हैं दमा क्यों होता है और दमा की आयुर्वेदिक दवा क्या है ? महिलाओं की तुलना में पुरुष इस रोग का शिकार अधिक होते हैं .

दमा की आयुर्वेदिक दवा
दमा की आयुर्वेदिक दवा

दमा क्या है ?

दमा को श्वास रोग भी कहा जाता है , आम बोलचाल की भाषा में इसे सांस की बीमारी कहते हैं . यह फेफड़ों और श्वसन नली से सम्बंधित रोग है . जब श्वसन नलिका की भीतरी सतह श्लेष्मा झिल्ली में सूजन हो जाती है और फेफड़ों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है जिससे रोगी को श्वास लेने में तकलीफ होती है . रोगी को दम घुटने जैसा लगता है . रोगी को आगे झुककर बैठने से आराम मिलता है .

श्वास का वेग एक दौरे के रूप में शुरू होता है और खांसी आने पर जब कुछ कफ बाहर निकल जाता है तो आराम का अनुभव होता है . [ महिलाओं में कमर दर्द ]

दमा क्या है
दमा क्या है ?

दमा क्यों होता है ?

दमा या श्वास रोग के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि एलर्जी , मानसिक तनाव या वंशानुगत . सामान्य रूप से दमा रोग के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –

  • अत्यधिक धूम्रपान करने से .
  • किसी वस्तु विशेष से एलर्जी से .
  • धुंए में सांस लेने से .
  • वातावरण में प्रदूषण होने से .
  • ऊन , रुई , कपड़ों आदि के कारखानों में काम करने से .
  • मूर्ति आदि बनाने के शिल्प कारखानों में काम करने से .
  • सुगन्धित द्रव्यों इत्र , परफ्यूम आदि के सम्पर्क से .
  • ठण्डे वातावरण में रहने व अधिक ठंडी वस्तुओं के सेवन से .
  • वातावरण में घुली विभिन्न गैसों के कारण .
  • धूल , धुंआ , पशुओं के बाल , पक्षियों के पंखों आदि से .
  • कुछ विशेष दवाओं के निरंतर सेवन से .
  • आनुवंशिक कारणों से .
दमा क्यों होता है
दमा क्यों होता है ?

दमा के लक्षण

सांस लेने में तकलीफ , दम घुटने जैसी प्रतीति , खांसी , बार बार जुकाम होना आदि दमा रोगी के सामान्य लक्षण हैं . इनके अतिरिक्त भी श्वास के रोगी का सामान्य स्वास्थ्य सही नहीं रहता और उसे हरदम कमजोरी का अहसास होता रहता है . श्वास या दमा के लक्षण अधोलिखितानुसार हैं – [ पढ़ें – ल्यूकोरिया का इलाज ]

  • सांस लेने में कठिनाई या सांस फूलना .
  • सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना .
  • खांसी या जुकाम रहना .
  • कफ के कारण गले में खराश या कुछ फंसा हुआ सा महसूस होना .
  • हांफना या जल्दी जल्दी सांस लेना .
  • शुरुआत में बलगम सफ़ेद झागदार होता है बाद में संक्रमण होकर बलगम पीला , बदबूदार हो जाता है .
  • समय समय पर दौरा पड़ना , सांस में तकलीफ होना , बेचैनी होना , खांसी द्वारा बलगम बाहर निकलने पर राहत महसूस करना .
  • दमा से पीड़ित व्यक्ति को फेफड़ों के अन्य संक्रमण होने की सम्भावना भी ज्यादा रहती है .
दमा के लक्षण

दमा या सांस फूलना घरेलू उपाय

दमा या श्वास का रोग अत्यंत कष्टदायी है . इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की कार्यक्षमता पर बुरा प्रभाव होता है और सामान्य दिनचर्या भी प्रभावित होती है , इसलिए इससे बचने के लिए इसके संभावित कारणों से दूरी बनाकर व निम्नलिखित उपायों को अपनाकर इस रोग से खुद की रक्षा करनी चाहिए –

  • धूल भरी जगह पर काम न करें .
  • कारखानों व वाहनों से निकले धुंए से खुद को बचायें , ऐसी जगहों पर फेस मास्क का प्रयोग करें .
  • बीडी , सिगरेट के सेवन से बचें , अन्य कोई आदमी धूम्रपान कर रहा हो तो उससे दूर हो जाएँ .
  • यदि एलर्जी की समस्या है तो इत्र , परफ्यूम आदि का प्रयोग न करें .
  • मानसिक तनाव से बचें .
  • अधिक ठंडी व खट्टी वस्तुओं के सेवन से बचें .
  • जिस मेडिसिन से एलर्जी हो उसके सेवन से बचें .
  • रुई , ऊन , मूर्ति बनाने के कारखानों में काम न करें .
  • पराग कणों से एलर्जी होने की स्थिति में फूलों को न सूंघें .
  • पशु , पक्षियों से दूर रहें .

दमा की आयुर्वेदिक दवा

दमा या श्वास के रोग में उपचार लम्बे समय तक चलता है , ऐसी स्थिति में आयुर्वेद पद्धति से दमा का इलाज करवाने को प्राथमिकता देनी चाहिए . आयुर्वेद में श्वास रोग के लिए कई अच्छी औषधियां हैं जिनका योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में प्रयोग करने पर अच्छी सफलता मिलती है . नीचे कुछ दमा की आयुर्वेदिक दवा बतायी जा रही हैं जो चिकित्सक की देख रेख में ली जा सकती हैं – [ जोड़ों के दर्द की आयुर्वेदिक दवा ]

  • श्वास कुठार रस .
  • श्वास चिंतामणि रस .
  • श्वास कास चिंतामणि रस .
  • कफ केतु रस .
  • रस सिन्दूर .
  • समीर पन्नग रस .
  • अभ्रक भस्म .
  • श्रृंग भस्म .
  • वासावलेह.
  • कंटकारी अवलेह .
  • कनकासव .
  • बबूलारिष्ट .
  • सितोपलादि चूर्ण .
  • पिप्पली चूर्ण .

FAQ

प्रश्न – कौन सी जड़ी बूटी अस्थमा में काम करती है ?

उत्तर – हल्दी , वासा , कंटकारी , आक , धतूरा , पिप्पली आदि औषधियां अस्थमा में प्रयोग की जाती हैं और इनसे अस्थमा के इलाज के लिए आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण किया जाता है .

प्रश्न – क्या अस्थमा में लहसुन खा सकते हैं ?

उत्तर – लहसुन का प्रयोग अस्थमा के रोगियों के लिए अच्छा होता है .

प्रश्न – अस्थमा में दही खा सकते हैं क्या ?

उत्तर – अस्थमा रोगियों के लिए दही और ठण्डे पदार्थ ( कुल्फी , आइसक्रीम , कोल्ड ड्रिंक आदि ) नुकसानदायक हो सकते हैं .

दोस्तों आज के लेख में हमने दमा क्या होता है , दमा के लक्षण क्या हैं , दमा की आयुर्वेदिक दवा क्या है यह सब जाना . आशा है आपको आर्टिकल पसंद आया होगा . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे .

अन्य पढ़ें –

1 thought on “दमा की आयुर्वेदिक दवा | Best Ayurvedic Medicines for Asthma .”

Leave a comment