प्रेगनेंसी में क्या नहीं करना चाहिए ? | Yadi Pregnant Hai to Ye 13 Kaam Na Karen .

स्त्रियों के लिए प्रेगनेंसी या गर्भावस्था एक नया अहसास होता है . इस समय उनके शरीर और शारीरिक क्रियाओं में कई ऐसी बातें होने लगती हैं जिनसे वो अनजान होती हैं . यह एक रोमांचक और कभी कभी जोखिमपूर्ण अहसास होता है . महिलायें समझ नहीं पाती कि प्रेगनेंसी में क्या नहीं करना चाहिए या क्या करना चाहिए ? इस आर्टिकल में आज इन्हीं सब विषयों पर चर्चा करेंगे और प्रेगनेंसी से सम्बंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवालों का जवाब देने का प्रयास करेंगे

प्रेगनेंसी में क्या नहीं करना चाहिए
प्रेगनेंसी में क्या नहीं करना चाहिए ?

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण कब दिखते हैं ?

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण आम तौर पर एक सप्ताह बाद दिखते हैं . गर्भधारण के 6 दिन बाद कुछ शारीरिक परिवर्तन के आधार पर प्रेगनेंट होने का अनुमान लगाया जा सकता है . माहवारी का न आना , बार बार पेशाब लगना , जी मिचलाना , स्तनों में कुछ भारीपन का अहसास आदि प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण होते हैं .

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण कब दिखते हैं

प्रेगनेंसी के लक्षण

प्रेगनेंसी के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं –

  • पीरियड्स या माहवारी का बंद होना . ( पढ़ें – पीरियड्स में दर्द कैसे कम करें ? )
  • जी मिचलाना .
  • उल्टियां होना .
  • बार बार पेशाब लगना .
  • स्तनों में परिवर्तन – भारीपन या दर्द होना .
  • स्वाद में परिवर्तन – खट्टी चीजें , चाक , मिटटी जैसी चीजों को खाने की इच्छा होना .
  • पेट दर्द होना .
  • कमर दर्द होना .
  • सिर में दर्द होना .
  • स्तन चुचुकों ( निप्पल्स ) में कालापन .

उपर्युक्त लक्षणों में कुछ या अधिकतर लक्षण प्रकट होने पर प्रेगनेंसी का अनुमान हो सकता है किन्तु निश्चित जानकारी के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए तथा प्रेगनेंसी टेस्ट करवाना चाहिए .

प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए ?

गर्भ में पल रहा बच्चा पोषण के लिए पूरी तरह अपनी माँ पर निर्भर रहता है . इसलिए प्रेगनेंसी में महिला को सामान्य की अपेक्षा 300 अतिरिक्त कैलोरी की आवश्यकता होती है .प्रेगनेंट स्त्री की भोजन सम्बन्धी आवश्यकताएं बढ़ जाती हैं और पोषक तत्त्वों से पूर्ण आहार की जरूरत होती है . आइये जानते हैं एक महिला को प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए ?

अतिरिक्त कैलोरी की आवश्यकता

प्रेगनेंसी में शरीर में कई नये तंतुओं का निर्माण होता है जिससे शरीर की कार्यशीलता में वृद्धि होती है . अतिरिक्त कार्यशीलता के कारण प्रेगनेंसी में महिला को अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत पड़ती है . सामान्यतः यह कैलोरी 300 मानी जाती है किन्तु गर्भवती महिला की कार्यशीलता के अनुसार इसे कुछ कम या ज्यादा किया जा सकता है .

यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि प्रेगनेंसी में सम्पूर्ण विश्राम अच्छा नहीं है . कुछ महिलाएं यह सोच लेती हैं कि इस अवस्था में काम करना जोखिम पूर्ण है लेकिन यह निराधार शंका है . इस समय शरीर की कार्यशीलता जरूरी है , मगर हाँ इस समय भारी काम या वजन उठाना नुकसानदायक हो सकता है .

अतिरिक्त कैलोरी की पूर्ति के लिए अनाज और चिकनाई को भोजन में बढ़ा देना चाहिए . बहुत अधिक फैट भी न लें अन्यथा मोटापे का ख़तरा रहता है , इसलिए फैट की मात्रा आवश्यकतानुसार रखें . ( महिलाओं का मोटापा कम करने के उपाय )

अतिरिक्त प्रोटीन की आवश्यकता

पूरी प्रेगनेंसी के दौरान महिला को लगभग 900 ग्राम अतिरिक्त प्रोटीन की आवश्यकता होती है . विशेषज्ञों के अनुसार प्रारम्भिक महीनों में प्रोटीन की पूर्ति भोजन की क्वालिटी में सुधार कर किया जा सकता है किन्तु अंतिम चार महीनों में प्रतिदिन 10-15 ग्राम प्रोटीन के लिए अंडा , मांस , मछली आदि का सेवन करना चाहिए और नॉनवेज भोजन नहीं लेने वालों को चना ,मटर , सोयाबीन , दालों का पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिए .

भोजन में आयरन की आवश्यकता

भोजन में आयरन की कमी से अक्सर इस समय स्त्रियों में खून की कमी हो जाती है . इसलिए इस दौरान भोजन में आयरन की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए . आयरन के लिए हरे पत्तेदार सब्जियों पालक , मेथी , गाजर आदि का अधिक सेवन करना चाहिए . चोकरयुक्त आटे का और मौसमी फलों अनार , अमरुद , चुकंदर आदि का सेवन करना चाहिए .

भोजन में कैल्शियम की आवश्यकता

गर्भ में पल रहे शिशु को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम प्रदान करने के लिए भोजन में 0.5 ग्राम कैल्शियम बढ़ा देना चाहिए . कैल्शियम के लिए दूध , दही , सब्जियां , अखरोट , बादाम , पिस्ता , अंडा , मांस आदि का सेवन किया जा सकता है .

विटामिन्स भी हैं जरूरी

प्रेगनेंसी में निर्धारित मात्रा में विटामिन्स की भी आवश्यकता होती है . इसलिए हरी सब्जियां , अंकुरित अनाज , सलाद , फल , अंडा आदि को भोजन में शामिल करना चाहिए . विटामिन D के लिए सर्दियों में धूप में बैठना चाहिए .

प्रेगनेंसी में सुबह कितने बजे उठना चाहिए ?

प्रेगनेंसी में सुबह कितने बजे उठना चाहिए

कई बार यह सवाल पूछा जता है कि प्रेगनेंसी में सुबह कितने बजे उठना चाहिए ? प्रेगनेंसी के दौरान भरपूर नींद आवश्यक है . प्रेगनेंट महिला को 8 घंटों की नींद अवश्य पूरी करनी चाहिए . अपनी 8 घंटों की नींद पूरी करने के बाद सुबह उठना चाहिए . यह सही है कि सुबह जल्दी जागना और रात को जल्दी सोना स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत अच्छा है . इसलिए यदि रात को 10 बजे सोया जाए और सुबह 6 बजे जागा जाए तो यह बहुत अच्छा है .

यदि किसी कारणवश रात को 10 बजे सोना संभव नहीं होता है तो 11 बजे सोकर सुबह 7 बजे जागा जाए . प्रेगनेंसी में सुबह उठने का सही समय हम 6 बजे मान सकते हैं .

प्रेगनेंसी में क्या नहीं करना चाहिए ?

प्रेगनेंसी में क्या नहीं करना चाहिए

गर्भवती महिला को अपने खान पान और स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखने की आवश्यकता होती है . स्वयं के अलावा गर्भस्थ शिशु भी पूरी तरह से उसी पर निर्भर रहता है इसलिए ऐसी चीजों से बचना चाहिए जो उसके या शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद हो . नीचे हम बता रहे हैं कि किसी भी महिला को प्रेगनेंसी में क्या नहीं करना चाहिए –

  • अधिक भुने , गरिष्ठ देर से पचने वाले भोजन का सेवन न करें .
  • शराब , धूम्रपान या अन्य कोई नशा न करें .
  • प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में ज्यादा चटपटा पित्त बढाने वाला भोजन न करें .
  • अपने मन से किसी भी मेडिसिन का प्रयोग न करें . कोई भी समस्या होने पर अपने चिकित्सक की राय लें .
  • ऐसा भोजन न करें जिससे कब्ज होने का ख़तरा हो . ( कब्ज क्यों होता है ? )
  • ऐसे भोजन से भी बचें जिससे दस्त होने की संभावना हो .
  • तीसरे महीने के बाद सम्भोग से बचें .
  • भारी काम न करें .
  • भारी वजन न उठायें .
  • मेक अप में होने वाले रसायन भी नुकसानदेह होते हैं इसलिए भारी मेक अप से बचें .
  • मोबाइल का इस्तेमाल अधिक न करें .
  • चाय , कॉफ़ी का बहुत अधिक सेवन न करें .
  • डिब्बा बंद , जंक फ़ूड का सेवन न करें .

प्रेगनेंसी में केसर कब खाना चाहिए ?

प्रेगनेंसी में केसर कब खाना चाहिए

सामान्य धारणा है कि प्रेगनेंसी के दौरान केसर का सेवन किया जाए तो होने वाले बच्चे का रंग गोरा होता है . इसलिए गर्भावस्था में केसर खाने का प्रचलन है . हम आपको बता रहे हैं कि प्रेगनेंसी में केसर कब खाना चाहिए ?

  • प्रेगनेंसी में केसर खाने का सबसे अच्छा समय चौथा महीना माना जाता है .
  • प्रारम्भिक तीन महीनों में केसर का सेवन नहीं करना चाहिए . केसर की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका सीमित मात्रा में ही प्रयोग करना चाहिए अन्यथा गर्भपात का ख़तरा भी हो सकता है .
  • अधिकतर लोगों का यही मानना है कि केसर का सेवन 4-6 महीने में करना चाहिए . किसी भी चीज का इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक की राय अवश्य लेनी चाहिए .

दोस्तों , आपको हमारा आर्टिकल ‘ प्रेगनेंसी में क्या नहीं करना चाहिए ‘ पसंद आया होगा . अगले लेख में अन्य उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे .

अन्य पढ़ें