मासिक स्राव सम्बन्धित समस्याओं के उपचार में प्रयोग की जाने वाली आयुर्वेदिक दवा रजः प्रवर्तनी वटी का बिना चिकित्सकीय सलाह सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकर हो सकता है . आज इस आर्टिकल में हम बता रहे हैं कि स्वास्थ्य के लिए रजः प्रवर्तनी वटी के नुकसान क्या क्या हो सकते हैं . आयुर्वेद औषधि रजः प्रवर्तनी वटी के फायदे , नुकसान और सेवन विधि के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहिये .
![रजः प्रवर्तनी वटी के नुकसान](https://rajendraverma.in/wp-content/uploads/2024/02/RVKN-01-min.png)
रजः प्रवर्तनी वटी क्या है ?
रजः प्रवर्तनी वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो आयुर्वेदिक स्टोर पर टेबलेट के रूप में उपलब्ध होती है . रजः प्रवर्तनी वटी का उपयोग आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा मुख्यतः महिलाओं में आर्तव ( पीरियड्स ) सम्बन्धित समस्याओं के इलाज के लिया किया जाता है . पीरियड्स कम आना . बंद हो जाना या कष्ट के साथ आने पर रजः प्रवर्तनी वटी का प्रयोग किया जाता है .
![रजः प्रवर्तनी वटी](https://rajendraverma.in/wp-content/uploads/2024/02/RVKH-0-min.png)
रजः प्रवर्तनी वटी के फायदे
जैसा कि नाम से ही पता चलता है रजः प्रवर्तनी अर्थात् रज ( मासिक स्राव ) को प्रवृत करने वाली . आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा कष्टार्तव , कृच्छ्रार्तव , अनार्तव आदि आर्तव ( मासिक स्राव ) सम्बंधित विकारों में रजः प्रवर्तनी वटी का उपयोग किया जाता है . आइये जानते हैं पीरियड्स से सम्बन्धित किन समस्याओं में रजः प्रवर्तनी वटी के फायदे मिलते हैं तथा रजः प्रवर्तनी वटी के अन्य लाभ क्या क्या हो सकते हैं .
![रजः प्रवर्तनी वटी के फायदे](https://rajendraverma.in/wp-content/uploads/2024/02/RVKF-0-min.png)
कष्टार्तव में रजः प्रवर्तनी के लाभ
कष्टार्तव ( पीरियड्स के समय दर्द ) की समस्या होने पर इससे पीड़ित महिला को रजः प्रवर्तनी वटी का सेवन करने से दर्द में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – पीरियड्स में दर्द कैसे कम करें )
रजः प्रवर्तनी वटी फॉर पीरियड्स
महिलाओं में पीरियड्स सम्बन्धित समस्याओं विशेषतः कृच्छ्रार्तव , कष्टार्तव , अनार्तव आदि में रजः प्रवर्तनी वटी का सेवन करने से इन समस्याओं से राहत मिलती है . पीरियड्स के समय दर्द होना , पीरियड्स कम आना या पीरियड्स समय पर नहीं आना आदि समस्याओं के उपचार में रजः प्रवर्तनी वटी का सेवन लाभप्रद होता है . ( यह भी पढ़ें – महिलाओं में खून की कमी दूर करने के उपाय )
![रजः प्रवर्तनी वटी फॉर पीरियड्स](https://rajendraverma.in/wp-content/uploads/2024/02/RVFP-0-min.png)
अनियमित पीरियड्स में रजः प्रवर्तनी के फायदे
पीरियड्स में विलम्ब या अनियमितता होने पर रजः प्रवर्तनी वटी का प्रयोग करने से लाभ होता है .
कब्ज में रजः प्रवर्तनी वटी का प्रयोग
रजः प्रवर्तनी वटी में रेचक गुण होता है इसलिए कब्ज के रोगियों को इसका सेवन कराने से मलावरोध दूर होता है और कब्ज नष्ट होती है . ( यह भी पढ़ें – कब्ज क्यों होता है )
रजः प्रवर्तनी वटी के नुकसान
रजः प्रवर्तनी वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो हमेशा आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श एवं दिशा निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए . बिना चिकित्सकीय सलाह स्वेच्छा से रजः प्रवर्तनी वटी का सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है , कभी कभी अत्यधिक रक्तस्राव ( ब्लीडिंग ) से गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है . इसलिए आयुर्वेदिक डॉक्टर के निर्देशानुसार ही प्रयोग करना चाहिए . आइये जानते हैं रजः प्रवर्तनी वटी के नुकसान क्या हो सकते हैं और इसके सेवन में क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए .
![रजः प्रवर्तनी वटी के नुकसान](https://rajendraverma.in/wp-content/uploads/2024/02/RVKN-02-min.png)
- गर्भावस्था में रजः प्रवर्तनी वटी का सेवन करने से गर्भस्राव हो सकता है , इसलिए गर्भिणी स्त्री द्वारा इसका सेवन निषेध है .
- रजः प्रवर्तनी वटी का अधिक मात्रा में सेवन करने से ब्लीडिंग ( रक्तस्राव ) की समस्या हो सकती है .
- जो लोग खून पतला करने की दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं उन्हें रजः प्रवर्तनी वटी के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए अन्यथा इसके सेवन से बचना चाहिए .
- बच्चों की पहुँच से रजः प्रवर्तनी वटी को दूर रखना चाहिए .
- रजः प्रवर्तनी वटी में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में किसी द्रव्य से एलर्जी होने पर इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
- ग्रहणी या अतिसार की समस्या होने पर रजः प्रवर्तनी वटी का सेवन नहीं करना चाहिए अन्यथा समस्या में इजाफा हो सकता है .
- खून में प्लेटलेट्स की कमी होने की स्थिति में रजः प्रवर्तनी वटी का सेवन नहीं करना चाहिए .
रजः प्रवर्तनी वटी सेवन विधि
रजः प्रवर्तनी वटी एक आयुर्वेद औषधि है इसलिए हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर द्वारा निर्देशित और निर्धारित मात्रानुसार सेवन करना चाहिए . आयुर्वेद चिकित्सक रजः प्रवर्तनी वटी को मासिक स्राव आने से 7-10 दिन पूर्व लेने की सलाह देते हैं . सामान्यतः रजः प्रवर्तनी वटी की सेवन विधि ( मात्रा – अनुपान ) निम्नानुसार है .
![रजः प्रवर्तनी वटी सेवन विधि](https://rajendraverma.in/wp-content/uploads/2024/02/RVSV-0-min.png)
मात्रा – 1-2 गोली .
अनुपान – पानी अथवा चिकित्सक के निर्देशानुसार .
दोस्तों , आज के लेख में हमने आयुर्वेदिक दवा रजः प्रवर्तनी वटी के नुकसान , फायदे और सेवन विधि से सम्बन्धित जानकारी शेयर की . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे . आयुर्वेद और स्वास्थ्य से सम्बन्धित जानकारी के लिए पढ़ते रहिये हमारा ब्लॉग आयुर्वेद और साहित्य .
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