आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आयुर्वेदिक दवाओं की जानकारी की कड़ी में आज हम लोहासव के फायदे और नुकसान से सम्बंधित जानकारी शेयर कर रहे हैं . आशा है यह आर्टिकल आपको पसंद आयेगा और आपके लिए उपयोगी होगा .
लोहासव क्या है ?
लोहासव एक आयुर्वेदिक दवा है जो आसव के रूप में आयुर्वेदिक स्टोर पर उपलब्ध होता है . जैसा कि नाम से ही विदित होता है यह आसव शरीर में लौह तत्त्व ( आयरन ) को बढाने वाला होता है . सामान्य भाषा में समझें तो यह एक खून बढाने वाली आयुर्वेदिक दवा है .
लोहासव के घटक
एनीमिया और पीलिया की आयुर्वेदिक औषधि लोहासव के निर्माण में मुख्यतः निम्नलिखित घटक द्रव्यों का उपयोग किया जाता है .
- शुद्ध लोहा
- शुण्ठी ( अदरक )
- काली मिर्च ( मरिच )
- हरीतकी ( हरड़ )
- विभीतकी ( बहेड़ा )
- आमलकी ( आंवला )
- यवनी
- विडंग
- मुस्ता ( नागर मोथा )
- चित्रा
- धातकी पुष्प ( धाय के फूल )
- मधु ( शहद )
- गुड़
- जल
लोहासव के फायदे और नुकसान
रक्ताल्पता ( खून की कमी ) और पांडु ( पीलिया ) की प्रमुख आयुर्वेदिक दवा लोहासव के अनेक स्वास्थ्यवर्धक लाभ हैं और विभिन्न रोगों के उपचार में आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा इसका प्रयोग किया जाता है . यह एक आयुर्वेद औषधि है इसलिए हमेशा आयुर्वेद डॉक्टर के परामर्श और निर्देशानुसार ही सेवन करना चाहिए . स्वेच्छा से किसी भी दवा का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकर हो सकता है . आइये जानते हैं आयुर्वेदिक दवा लोहासव के फायद और नुकसान क्या क्या हैं .
लोहासव के फायदे
लोहासव का मुख्यतः प्रयोग खून की कमी ( रक्ताल्पता ) और पीलिया ( पांडु ) रोग के लिए किया जाता है किन्तु लोहासव के अन्य कई रोगों में भी चिकित्सकीय उपयोग होते हैं . स्वास्थ्य के लिए लोहासव के फायदे निम्नलिखित हैं .
एनीमिया में लोहासव के लाभ
एनीमिया या रक्ताल्पता ( खून की कमी ) होने पर लोहासव के सेवन से शरीर में आयरन की पूर्ति होती है और हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है . ( यह भी पढ़ें – महिलाओं में खून की कमी दूर करने के उपाय )
पीलिया में लोहासव का प्रयोग
पीलिया ( पांडु ) रोग होने पर आयुर्वेद डॉक्टर के निर्देशन में लोहासव का प्रयोग करने से पीलिया में लाभ होता है . ( यह भी पढ़ें – पीलिया में क्या खाना चाहिए )
खूनी बवासीर में लोहासव के फायदे
रक्तार्श ( खूनी बवासीर ) होने पर रोगी में खून की कमी हो जाती है और वह कमजोरी का अनुभव करता है ऐसी स्थिति में लोहासव का प्रयोग करने से लाभ होता है और रोगी की कमजोरी नष्ट होती है . ( यह भी पढ़ें – खूनी बवासीर का रामबाण इलाज )
यकृत और तिल्ली रोगों में लोहासव का प्रयोग
लिवर और प्लीहा ( तिल्ली ) से सम्बन्धित विकारों में चिकित्सक के निर्देशानुसार लोहासव का प्रयोग करने से लाभ होता है .
शारीरिक कमजोरी में लोहासव फायदेमंद
दौर्बल्य या कमजोरी होने पर लोहासव का प्रयोग शारीरिक शक्ति को बढाने वाला होता है . ( यह भी पढ़ें – कमजोरी और थकान दूर करने के उपाय )
लोहासव के नुकसान
सामान्यतः लोहासव के कोई दुष्प्रभाव नहीं होते किन्तु यह एक आयुर्वेदिक दवा है इसलिए हमेशा आयुर्वेद डॉक्टर के परामर्श और निर्धारित मात्रा अनुसार ही सेवन करना चाहिए . अनुचित मात्रा में तथा स्वेच्छा से लोहासव का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है . आइये जानते हैं लोहासव के नुकसान क्या हैं और इसके सेवन में किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए .
- अधिक छोटे बच्चों में लोहासव का प्रयोग नहीं करना चाहिए .
- गर्भवती महिलाओं को आसव अरिष्ट की सलाह नहीं दी जाती अतः लोहासव का सेवन नहीं करना चाहिए .
- जिन लोगों को लोहासव में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में किसी द्रव्य से एलर्जी हो तो उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए .
- लोहासव की अधिक मात्रा से उल्टी या पेट दर्द की शिकायत हो सकती है .
लोहासव सेवन विधि
लोहासव एक आयुर्वेद औषधि है इसलिए हमेशा चिकित्सक के निर्देश और बतायी गयी मत्रानुसार ही सेवन करना चाहिए . सामान्यतः लोहासव की सेवन विधि निम्नानुसार है .
मात्रा – 15-30 मिली ( भोजन के बाद , बराबर पानी मिला कर )
FAQ
प्रश्न – लोहासव किस काम आता है ?
उत्तर – लोहासव एक आयुवेदिक दवा है जिसका मुख्यतः प्रयोग रक्ताल्पता ( खून की कमी ) और पीलिया रोग में किया जाता है .
प्रश्न – क्या लोहासव वजन बढाता है ?
उत्तर – लोहासव शारीरिक शक्ति और रक्त को बढाने वाला होता है . आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार लोहासव का सेवन करने से दुर्बल व्यक्ति की शारीरिक शक्ति और वजन में वृद्धि होती है किन्तु लोहासव मोटापा बढाने वाला नहीं होता है .
दोस्तों , आज के लेख में हमने आयुर्वेदिक दवा लोहासव के फायदे और नुकसान से सम्बन्धित जानकारी साझा की . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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