अनन्त गुणों से भरपूर है यह औषधि , जानें सारिवादि वटी के फायदे | 12 Amazing Benefits of Sarivadi Vati

दोस्तों , आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग में आज अनन्त गुणों से युक्त अनन्त मूल अर्थात् सारिवा से बनी सारिवादि वटी के फायदे बताये जा रहे हैं . त्वचा रोग , व्रण , शोथ , भगंदर , उपदंश आदि रोगों के उपचार में प्रयोग की जाने वाली सरिवादि वटी के औषधीय उपयोग जानने के लिए यह लेख पूरा पढ़ें .

सारिवादि वटी के फायदे

Table of Contents

सारिवादि वटी क्या है ?

सारिवादि वटी एक आयुर्वेद औषधि है जिसका मुख्य घटक सारिवा है . सारिवा को अनन्त मूल भी कहते हैं . रक्त विकार , त्वचा रोग , कान के रोग , प्रमेह , उपदंश , व्रण , भगंदर आदि रोगों के इलाज में सारिवादि वटी का प्रयोग किया जाता है .

सारिवादि वटी

सारिवादि वटी के घटक

  • सारिवा
  • मुलैठी
  • छोटी इलायची
  • नागकेसर
  • गिलोय
  • प्रियंगु
  • त्रिफला
  • लौंग
  • दालचीनी
  • कूठ
  • तेजपात
  • नीलोत्पल
  • लौह भस्म
  • अभ्रक भस्म
  • भृंगराज स्वरस
  • मकोय स्वरस
  • अर्जुन क्वाथ
  • जवा क्वाथ
  • गुंजा की जड़ का क्वाथ

सारिवादि वटी के फायदे और नुकसान

सारिवादि वटी का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा विभिन्न रोगों के उपचार हेतु किया जाता है . आइये जानते हैं सारिवादि वटी के फायदे किन किन रोगों में हैं –

सारिवादि वटी के फायदे

सारिवादि वटी के फायदे

सारिवादि वटी से रक्तपित्त में लाभ

शरीर के किसी भी अंग से खून निकलना ( रक्तपित्त ) में सारिवादि वटी के सेवन से लाभ होता है .

जीर्ण ज्वर ( पुराने बुखार ) में सारिवादि वटी से फायदा

पुराने बुखार में सारिवादि वटी का प्रयोग करने से फायदा होता है .

सारिवादि वटी से प्रमेह ( मधुमेह ) में लाभ

सारिवादि वटी के सेवन से प्रमेह और मधुमेह ( डायबिटीज ) के रोगियों को लाभ होता है .

कान के रोगों में सारिवादि वटी का प्रयोग

सभी प्रकार के कर्ण रोगों जैसे सुनने में कमी , कान का बहना , कानों में आवाज सुनायी देना , कान में दर्द ( कर्ण शूल ) आदि में सारिवादि वटी का सेवन करने से लाभ होता है .

श्वास रोग में सारिवादि वटी का उपयोग

सारिवादि वटी के प्रयोग से श्वास के रोगियों को फायदा होता है .

हृदय रोगियों के लिए सारिवादि वटी लाभप्रद

सारिवादि वटी का सेवन हृदय रोगियों के लिए फायदेमंद होता है . ( यह भी पढ़ें – अर्जुनारिस्ष्ट के फायदे )

सारिवादि वटी से बवासीर में फायदा

बवासीर के रोगियों के लिए सारिवादि वटी का सेवन फायदेमंद होता है . ( यह भी पढ़ें – बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने का उपाय )

मिर्गी में सारिवादि वटी के फायदे

सारिवादि वटी का प्रयोग मिर्गी के रोगियों के लिए लाभकारी होता है .

यौन रोगों में सारिवादि वटी के सेवन से लाभ

उपदंश आदि रोगों में सारिवादि वटी का सेवन करने से फायदा होता है .

सारिवादि वटी से त्वचा रोगों में लाभ

सारिवा रक्तशोधक है और सभी प्रकार चर्म रोगों , फोड़ा , फुंसी , दाद , खाज , खुजली में लाभदायक होता है . ( यह भी पढ़ें – पिम्पल्स को जड़ से खत्म कैसे करें )

सारिवादि वटी मूत्र विकारों में उपयोगी

सारिवादि वटी के सेवन से मूत्र विकार , पेशाब की रुकावट आदि में फायदा होता है . ( यह भी पढ़ें – चंद्रप्रभा वटी के फायदे )

भगंदर में सारिवादि वटी का प्रयोग

भगंदर ( फिस्टुला ) रोग में सारिवादि वटी का सेवन करने से भगंदर में फायदा होता है . ( यह भी पढ़ें – भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज )

सारिवादि वटी के नुकसान

कई रोगों के उपचार में प्रयोग की जाने वाली सारिवादि वटी से कुछ लोगों को नुकसान भी हो सकते हैं , इसलिए इन लोगों को सारिवादि वटी के सेवन से बचना चाहिये . आइये जानते हैं सारिवादि वटी के नुकसान किन लोगों को हो सकते हैं .

  • सारिवादि वटी में प्रयुक्त होने वाले घटक द्रव्यों में किसी घटक से एलर्जी होने वाले लोगों को सारिवादि वटी का सेवन नहीं करना चाहिए .
  • गर्भवती महिलाओं को सारिवादि वटी के सेवन की सलाह नहीं दी जाती .
  • छोटे बच्चों को सारिवादि वटी का सेवन नहीं करना चाहिए .
  • गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को सारिवादि वटी के सेवन से पूर्व अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करना चाहिए .

सारिवादि वटी सेवन विधि

सारिवादि वटी सेवन विधि

मात्रा – 1-2 गोली

अनुपान – दूध , जल , चन्दन का क्वाथ , शतावरी रस ( रोगानुसार एवं चिकत्सक के निर्देशानुसार )

दोस्तों , इस लेख में आयुर्वेद औषधि सारिवादि वटी के फायदे बताये गये . आशा है आपको जानकारी पसंद आयी होगी . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .

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