हैलो दोस्तों ! आयुर्वेद और साहित्य ब्लॉग के आज के आर्टिकल में हम बात कर रहे हैं त्वचा रोग शीतपित्त ( Urticaria )के बारे में . इस लेख में हम जानेंगे कि शीतपित्त क्या है और शीतपित्त का आयुर्वेदिक इलाज क्या है ?
शीतपित्त क्या है ? ( what is Urticaria ? )
शीतपित्त एक त्वचा का रोग है जिसमें त्वचा पर लाल गुलाबी चकत्ते या छोटे छोटे दाने निकलते हैं . इसमें रोगी को खुजली होती है और रोगी बार बार खुजाता रहता है . इस रोग को अंग्रेजी में Urticaria कहा जाता है .
शीतपित्त के लक्षण ( Symptoms of Urticaria )
शीतपित्त के रोगी में सामान्यतः निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं –
- रोगी के हाथ , पैर , पीठ , पेट , गर्दन आदि पर लाल या गुलाबी रंग के चकत्ते ( Rash ) बन जाते हैं .
- छोटे छोटे दाने निकलते हैं .
- इन चकत्तों में खुजली होती है .
- दानों और चकत्तों में सुई चुभने जैसी पीड़ा होती है .
- चकत्तों में सूजन हो जाती है .
शीतपित्त क्यों होता है ? ( Causes of Urticaria )
शीतपित्त ( Urticaria ) होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –
पाचन तंत्र की विकृति
अपक्व , दूषित या गरिष्ठ भोजन के कारण पाचन तंत्र में विकार होकर शीतपित्त हो जाता है परिणाम स्वरुप त्वचा पर चकत्ते उभर जाते हैं .
शरीर में पित्त की वृद्धि
पित्त वर्धक आहार का अधिक सेवन करने से पित्त का प्रकोप होकर शीतपित्त रोग की उत्पत्ति होती है .
कीट दंश
किसी जहरीले कीड़े के काटने पर त्वचा पर चकत्ते या दाने निकल कर शीतपित्त रोग को जन्म देते हैं .
एलर्जी
किसी वस्तु विशेष से एलर्जी होने पर उसके सम्पर्क में आने से तथा ऐसा खाद्य पदार्थ जिससे एलर्जी हो उसका सेवन करने से शीतपित्त हो जाता है .
कीट के सम्पर्क से
किसी जहरीले कीड़े के सम्पर्क से अथवा भोजन में चींटी आदि को खा जाने से भी शीतपित्त हो जाता है .
शीत वातावरण
ठंडी हवाओं के सम्पर्क से तथा अधिक ठण्ड में रहने से भी शीतपित्त का प्रकोप होता है .
शीतपित्त का आयुर्वेदिक इलाज ( Ayurveda Treatment of Urticaria)
शीतपित्त के उपचार हेतु आयुर्वेद में अनेक प्रकार की औषधियां बतायी गयी हैं जिनका आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा रोग के शमन के लिए उपयोग किया जाता है . शीतपित्त के लिए आयुर्वेद चिकित्सा में निम्नलिखित प्रमुख औषधिया हैं –
एकल औषधि
- हरिद्रा ( यह भी पढ़ें – पुरुषों के लिए हल्दी के फायदे )
- खदिर
- नीम
- मरिच ( यह भी पढ़ें – काली मिर्च के फायदे )
- गिलोय
- सारिवा
- मंजिष्ठा
- मधुयष्टि
- आमलकी
- भृंगराज
चूर्ण
- हरिद्रा खंड
- आमलकी चूर्ण
- मंजिष्ठादि चूर्ण
- त्रिकटु चूर्ण
- पिप्पली चूर्ण
- त्रिफला चूर्ण
वटी
- आरोग्यवर्धिनी वटी ( यह भी पढ़ें – आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे और सेवन विधि )
- खादिरादि वटी
- संशमनी वटी
- कैशोर गुग्गुलु
- पंचतिक्तघृत गुग्गुलु
रस एवं भस्म
- शुद्ध गंधक
- गंधक रसायन
- आमलकी रसायन
- प्रवाल पिष्टी
- गिलोय सत्त्व
आसव-अरिष्ट
- खदिरारिष्ट
- महामंजिष्ठाद्यरिष्ट
- सारिवाद्यासव
तेल
- मरिच्यादि तेल
- नीम तेल
शीतपित्त के घरेलू उपचार ( Home Remedies for Urticaria)
- कारण का पता कर कारण का परित्याग ( निदान परिवर्जन ) करना चाहिए .
- हल्का भोजन लें .
- पित्त विकार में विरेचन श्रेष्ठ होता है इसलिए विरेचक औषधि द्वारा विरेचन ( पेट साफ़ ) कराना चाहिए .
- दूध में हल्दी डाल कर पीना चाहिए .
- गुड एवं अजवायन का सेवन करें . ( यह भी पढ़ें – अजवाइन का पानी पीने के फायदे )
- काली मिर्च को गाय के घी में मिला कर चाटें .
- आंवला या आंवले का मुरब्बा लें .
- तीखे , नमकीन और मसालेदार भोजन से बचें .
- मानसिक तनाव से बचें .
- प्रभावित स्थान पर नारियल तेल अथवा मरिच्यादि तेल लगायें . ( पढ़ें – सुबह खाली पेट नारियल पानी पीने के फायदे )
- प्रभावित स्थान पर नीम का पेस्ट अथवा एलोवेरा ( ग्वारपाठा ) का गूदा लगायें . ( यह भी पढ़ें – घर में इलाज )
शीतपित्त में क्या खाना चाहिए ?
शीतपित्त होने पर भोजन में निम्न चीजों का ध्यान रखना चाहिए –
- हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन करें .
- सब्जियों में परवल , करेला , गाजर आदि का सेवन करें .
- फल एवं फाइबर युक्त सलाद लें .
- पुराने चावल , जौ , मूंग , चना आदि का सेवन करें .
शीतपित्त में क्या नहीं खाना चाहिए ?
ऊपर हमने बताया कि शीतपित्त में क्या खाना चाहिए , अब जानिये शीतपित्त में क्या नहीं खाना चाहिए ?
- गरिष्ठ ( भारी ) भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए .
- तीखे , चटपटे , मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए .
- ठण्डे , बासी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए .
- पित्त को बढाने वाले भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए .
- फास्ट फ़ूड , पिजा , बर्गर , कचौरी , समोसा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए .
दोस्तों , आज के लेख में हमने शीतपित्त का आयुर्वेदिक इलाज बताया . अगले लेख में अन्य किसी उपयोगी और रोचक जानकारी के साथ हाजिर होंगे .
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